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New लेखक अरुण साधू Status, Photo, Video

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#लव

गोपाल साधू song

108 View

#अंतरमनन #विचार #लेखक #मन  अंतरमनन मे बहुत सवाल हैं ज़िन्दगी निहाल हैं 
कैसे सुलझाए समस्याओ क़ो कई लोगो का जीवन 
दुश्वार हैं, as a writer लिख कर अपनी वेदना प्रकट करती हूँ पर मेरे पास भी इसका कोई जवाब नहीं कि कैसे सब का हल निकालू, क्या लोग समझे गे एक दूसरे की तकलीफ क़ो कि लड़ते ही रहेगे आपस मे धन दौलत प्यार शोहरत के लिए, अपने 
अंदर ही सब के यूद्ध चल रहा बाहर महाभारत तो 
मन कहाँ से शांत होगा, जल्द ही इसका कोई उपाय सोचना पड़ेगा????

©PФФJД ЦDΞSHI
#शायरी #summer_vacation #अरुण  White उसे मेरी कब्र पर दिया मत जलेने देना यारो वो नादान है ,।
अपना हाथ जला लेगी 😥।।

©Arun Verma

#summer_vacation #अरुण सायर

72 View

#विचार #राइटर  White साल बदलते है पर सवाल नहीं
आखिर 400 kg rdx आया कहा से 😥😥

©Arun Verma

#राइटर अरुण वर्मा

90 View

#वीडियो #Trending #Shorts #viral

अरुण गोविल का हुआ जबरदस्त विरोध #Nojoto #viral #Trending #Shorts

135 View

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

#लव

गोपाल साधू song

108 View

#अंतरमनन #विचार #लेखक #मन  अंतरमनन मे बहुत सवाल हैं ज़िन्दगी निहाल हैं 
कैसे सुलझाए समस्याओ क़ो कई लोगो का जीवन 
दुश्वार हैं, as a writer लिख कर अपनी वेदना प्रकट करती हूँ पर मेरे पास भी इसका कोई जवाब नहीं कि कैसे सब का हल निकालू, क्या लोग समझे गे एक दूसरे की तकलीफ क़ो कि लड़ते ही रहेगे आपस मे धन दौलत प्यार शोहरत के लिए, अपने 
अंदर ही सब के यूद्ध चल रहा बाहर महाभारत तो 
मन कहाँ से शांत होगा, जल्द ही इसका कोई उपाय सोचना पड़ेगा????

©PФФJД ЦDΞSHI
#शायरी #summer_vacation #अरुण  White उसे मेरी कब्र पर दिया मत जलेने देना यारो वो नादान है ,।
अपना हाथ जला लेगी 😥।।

©Arun Verma

#summer_vacation #अरुण सायर

72 View

#विचार #राइटर  White साल बदलते है पर सवाल नहीं
आखिर 400 kg rdx आया कहा से 😥😥

©Arun Verma

#राइटर अरुण वर्मा

90 View

#वीडियो #Trending #Shorts #viral

अरुण गोविल का हुआ जबरदस्त विरोध #Nojoto #viral #Trending #Shorts

135 View

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

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