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#मराठीसंस्कृति  

अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन चळवळीचे मुख्य केंद्र 

मराठी साहित्य मंडळ आयोजित राज्यस्तरीय काव्यसंमेलन आणि पुरस्कार वितरण सोहळा 

आमदार संजय मुकुंद केळकर, मुंबई प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ कुलकर्णी, पुणे मराठी साहित्य मंडळ अध्यक्ष डॉ. नीना गोटे यांना माझे 'बुद्ध या जगातील पहिले वैज्ञानिक?... ' हे पुस्तक भेट स्वरूपात देताना 

आणि काव्यसंमेलनात स्वागतगीत व माझी स्त्री संघर्षावरील कविता सादर करताना मी

©Jk

अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन चळवळीचे मुख्य केंद्र  मराठी साहित्य मंडळ आयोजित राज्यस्तरीय काव्यसंमेलन आणि पुरस्कार वितरण सोहळा  आमदार

180 View

#कविता  दोहा

भारत-भू  का लाडला, सच्चा पहरेदार ।
मेवाड़ी सरदार को, नमन करोङों बार ॥

अरावली पाषाण पर, सुन चेतक की टाप।
खड़ा खड़ा दुश्मन गिरे, भू पर अपने आप ।।

अंजली श्रीवास्तव
महाराणा प्रताप के जयंती पर मेरे भी कुछ लिखे दोहे

©Anjali Srivastav

दोहा भारत-भू का लाडला, सच्चा पहरेदार । मेवाड़ी सरदार को, नमन करोङों बार ॥ अरावली पाषाण पर, सुन चेतक की टाप। खड़ा खड़ा दुश्मन गिरे, भू पर अप

153 View

अग्नि प्रज्ज्वलित हो मोहब्बत की पाषाण दिल से पाषाण दिल टकराने से ठोकर से चूर चूर होए कोमल दर्पण पत्थर से दिल लगाने से (.) ©Bindu Sharma

#कविता #अग्नि #पाषाण #nojohindi  अग्नि प्रज्ज्वलित हो मोहब्बत की
पाषाण दिल से पाषाण दिल टकराने से
ठोकर से चूर चूर होए कोमल दर्पण
पत्थर से दिल लगाने से (.)

©Bindu Sharma
#कविता  White तुम दूध पिला रहे हो  पाशाण 
प्रतिमाओ क़ो मंदिर में जाकर 

और मै  मासूमों की भूख  के 
लिए . दूध की व्यवस्था करने में लगा हुआ हूँ 


तुम लाल कर रहे हो इस धरती क़ो 
खून के कतरो से
और मै बारिश बन कर  उन दागो क़ो 
धो रहा हूँ

©Arora PR

पाषाण प्रतिमाये

135 View

#भक्ति #ramnavmi  White 

आल्हा छंद  मुक्तक

रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना

जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण।
 भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।।
न हो सके जो तुमसे बोलो, कठिन कौन सा ऐसा काम। 
 नहीं जगत में तुमसा कोई,दूजा स्वीकारो हनुमान।।


दीर्घकाय पर्वत से होकर,लिए शक्ति अपनी पहचान।
 चुका सके ऋण अनुदानों का, जीवन कर अपना बलिदान।।
 जो कुछ भी कर पाए उसका , नहीं कभी मन में हो  दम्भ ।
सिंहनाद करके फौलादी,ले संकल्प किये प्रस्थान।।

*सुधा त्रिपाठी*

©Sudha Tripathi

#ramnavmi आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्य

504 View

#मराठीसंस्कृति  

अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन चळवळीचे मुख्य केंद्र 

मराठी साहित्य मंडळ आयोजित राज्यस्तरीय काव्यसंमेलन आणि पुरस्कार वितरण सोहळा 

आमदार संजय मुकुंद केळकर, मुंबई प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ कुलकर्णी, पुणे मराठी साहित्य मंडळ अध्यक्ष डॉ. नीना गोटे यांना माझे 'बुद्ध या जगातील पहिले वैज्ञानिक?... ' हे पुस्तक भेट स्वरूपात देताना 

आणि काव्यसंमेलनात स्वागतगीत व माझी स्त्री संघर्षावरील कविता सादर करताना मी

©Jk

अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन चळवळीचे मुख्य केंद्र  मराठी साहित्य मंडळ आयोजित राज्यस्तरीय काव्यसंमेलन आणि पुरस्कार वितरण सोहळा  आमदार

180 View

#कविता  दोहा

भारत-भू  का लाडला, सच्चा पहरेदार ।
मेवाड़ी सरदार को, नमन करोङों बार ॥

अरावली पाषाण पर, सुन चेतक की टाप।
खड़ा खड़ा दुश्मन गिरे, भू पर अपने आप ।।

अंजली श्रीवास्तव
महाराणा प्रताप के जयंती पर मेरे भी कुछ लिखे दोहे

©Anjali Srivastav

दोहा भारत-भू का लाडला, सच्चा पहरेदार । मेवाड़ी सरदार को, नमन करोङों बार ॥ अरावली पाषाण पर, सुन चेतक की टाप। खड़ा खड़ा दुश्मन गिरे, भू पर अप

153 View

अग्नि प्रज्ज्वलित हो मोहब्बत की पाषाण दिल से पाषाण दिल टकराने से ठोकर से चूर चूर होए कोमल दर्पण पत्थर से दिल लगाने से (.) ©Bindu Sharma

#कविता #अग्नि #पाषाण #nojohindi  अग्नि प्रज्ज्वलित हो मोहब्बत की
पाषाण दिल से पाषाण दिल टकराने से
ठोकर से चूर चूर होए कोमल दर्पण
पत्थर से दिल लगाने से (.)

©Bindu Sharma
#कविता  White तुम दूध पिला रहे हो  पाशाण 
प्रतिमाओ क़ो मंदिर में जाकर 

और मै  मासूमों की भूख  के 
लिए . दूध की व्यवस्था करने में लगा हुआ हूँ 


तुम लाल कर रहे हो इस धरती क़ो 
खून के कतरो से
और मै बारिश बन कर  उन दागो क़ो 
धो रहा हूँ

©Arora PR

पाषाण प्रतिमाये

135 View

#भक्ति #ramnavmi  White 

आल्हा छंद  मुक्तक

रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना

जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण।
 भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।।
न हो सके जो तुमसे बोलो, कठिन कौन सा ऐसा काम। 
 नहीं जगत में तुमसा कोई,दूजा स्वीकारो हनुमान।।


दीर्घकाय पर्वत से होकर,लिए शक्ति अपनी पहचान।
 चुका सके ऋण अनुदानों का, जीवन कर अपना बलिदान।।
 जो कुछ भी कर पाए उसका , नहीं कभी मन में हो  दम्भ ।
सिंहनाद करके फौलादी,ले संकल्प किये प्रस्थान।।

*सुधा त्रिपाठी*

©Sudha Tripathi

#ramnavmi आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्य

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