White पुछेंगे सब हाल, तुम्हारा बारी बारी,
कर देंगे बेहाल, तुम्हें सब बारी बारी।
गुलशन में कुछ फुल खिले हैं मुश्किल से,
बर्बाद करेंगे गुलशन को सब बारी बारी।
कुछ पल कुछ संन्यासी होंगे बारी बारी,
कुछ क्षण को अविनाशी होंगे बारी बारी।
चंदन, अगरु, तिलक लगाऐ तन महकेंगे,
बिष उगलेंगे मिलजुल कर सब बारी बारी
बैरागी बन आयेंगे सब बारी बारी,
परिधानों में वेष धरेंगे बारी बारी।
तन बैरागी मन अनुरागी वाले होंगे,
बन भुजंग फिर फुफकारेंगे बारी बारी।
गीता और पुरान सभी को अस्त्र बना कर,
रामायन की महिमा को भी शस्त्र बना कर।
अनाचार में लिप्त सदाचारी आयेंगे,
दर्शन पूजन करवायेंगे बारी बारी।
फिर कबिरा की सिसकी,औ आंसू तुलसी के,
कैसे वंशज कहलायेंगे, मां हुलसी के।
मीरा और रसखान कहीं न खो जाये,
खुद कर लें अनुमान चलो हम बारी बारी।
मनीष तिवारी।
©Manish ghazipuri
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