*रक्तदान महादान* (भला दुसरे का भी,अपना भी)
रक्तदान सद्धर्म है,ये इक कर्म महान।
कर्म धर्म संगम करे,मानव का कल्याण।।
मिला मनुज तन ईश से,इसका कर उपयोग
तेरे थोड़े रक्त से,दे दे जीवनदान।
मातु गोद का लाडला,हो सिंदुर की लाज।
बहना रक्षा सूत्र या,पिता खुशी का राज।
दे दो जीवन प्राण तुम,देकर थोड़ा रक्त-
रक्तदान उनको करो,जिन्हें जरूरत आज।।
मानव मानवता दिखा,फूंके जा नवप्राण,
आशा की नव रश्मि बन,बनो किसी का त्राण।
दीपक का उजियार बन,भरदे थोड़ा तेल।
मरते को जीवन मिले, दोनों का कल्याण।।
रक्तदान जिसमें दिखे, मानवता से प्यार,
बांटें से बढ़ता मगर, नहीं मिले बाजार।
नया रक्त बनता सदा,जो उर्जा का खान-
समझ एक ही तीर से ,होते दो दो वार।।
वीणा खंडेलवाल
तुमसर महाराष्ट्र
©veena khandelwal
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