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सुमिरन जो माया करे , रिश्ते नाते तोड़ । निकल वही आगे बढ़े , राहें अपनी मोड़ । हमको भी सब दे रहे , मिलकर यही सलाह- रखो स्वार्थ तुम भी प्रखर, प्रीति-रीति की छोड़ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सुमिरन जो माया करे , रिश्ते नाते तोड़ ।
निकल वही आगे बढ़े , राहें अपनी मोड़ ।
हमको भी सब दे रहे , मिलकर यही सलाह-
रखो स्वार्थ तुम भी प्रखर, प्रीति-रीति की छोड़ ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सुमिरन जो माया करे , रिश्ते नाते तोड़ । निकल वही आगे बढ़े , राहें अपनी मोड़ । हमको भी सब दे रहे , मिलकर यही सलाह- रखो स्वार्थ तुम भी प्रखर, प्र

10 Love

#प्रीति #nojatohindishayri #nojatoquotes #nojatolove #nojohindi  ज्यों ज्यों डूबे प्रीत में, 
बढ़ती जाए प्यास।
सारे पत्ते झड़ गए, 
कब आए मधुमास।

©Kalpana Tomar

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।। ०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सीता छन्द
मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२
वर्ण :-  १५
राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।।
लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है ।
आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।।
१
भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं ।
दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।।
प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में ।
खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।।
२
प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो ।
प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।।
प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते ।
जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।।
३
प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये ।
प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।।
प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है ।
प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।।
०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।

14 Love

मुक्तक :- कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार- प्रीति बिना सब बाते तीत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :- 
कोयल गाती मीठे गीत ।
संग चलो मेरे मनमीत ।
तुम बिन सूना यह संसार-
प्रीति बिना सब बाते तीत ।।









महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- मात्रा भार १५ कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार-

14 Love

#जानकारी #mountainsnearme  {Bolo Ji Radhey Radhey}
हमें भगवान या भक्त को नही 
गाना चाहिए, बल्कि इनसे 
ऊपर इनका चरित्र है, 
चरित्र का चिंतन मनन करके 
देखो, आपकी प्रीति इनकी 
और अधिक बढ़ जाएगी।। 
जय श्री कृष्ण।।

©N S Yadav GoldMine

#mountainsnearme {Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान या भक्त को नही गाना चाहिए, बल्कि इनसे ऊपर इनका चरित्र है, चरित्र का चिंतन मनन करके द

135 View

कुण्डलिया :-  जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी । समझोगे कब आप , सताते क्यों बनवारी ।। सुन गोपी आवाज , दौड़ तट यमुना आते । रखो प्रीति की लाज ,  पुकारूँ तुम आ जाते ।।   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :- 

जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम ।
रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।।
कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी ।
समझोगे कब आप , सताते क्यों बनवारी ।।
सुन गोपी आवाज , दौड़ तट यमुना आते ।
रखो प्रीति की लाज ,  पुकारूँ तुम आ जाते ।।

  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :-  जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी ।

12 Love

सुमिरन जो माया करे , रिश्ते नाते तोड़ । निकल वही आगे बढ़े , राहें अपनी मोड़ । हमको भी सब दे रहे , मिलकर यही सलाह- रखो स्वार्थ तुम भी प्रखर, प्रीति-रीति की छोड़ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सुमिरन जो माया करे , रिश्ते नाते तोड़ ।
निकल वही आगे बढ़े , राहें अपनी मोड़ ।
हमको भी सब दे रहे , मिलकर यही सलाह-
रखो स्वार्थ तुम भी प्रखर, प्रीति-रीति की छोड़ ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सुमिरन जो माया करे , रिश्ते नाते तोड़ । निकल वही आगे बढ़े , राहें अपनी मोड़ । हमको भी सब दे रहे , मिलकर यही सलाह- रखो स्वार्थ तुम भी प्रखर, प्र

10 Love

#प्रीति #nojatohindishayri #nojatoquotes #nojatolove #nojohindi  ज्यों ज्यों डूबे प्रीत में, 
बढ़ती जाए प्यास।
सारे पत्ते झड़ गए, 
कब आए मधुमास।

©Kalpana Tomar

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।। ०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सीता छन्द
मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२
वर्ण :-  १५
राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।।
लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है ।
आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।।
१
भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं ।
दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।।
प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में ।
खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।।
२
प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो ।
प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।।
प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते ।
जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।।
३
प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये ।
प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।।
प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है ।
प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।।
०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।

14 Love

मुक्तक :- कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार- प्रीति बिना सब बाते तीत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :- 
कोयल गाती मीठे गीत ।
संग चलो मेरे मनमीत ।
तुम बिन सूना यह संसार-
प्रीति बिना सब बाते तीत ।।









महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- मात्रा भार १५ कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार-

14 Love

#जानकारी #mountainsnearme  {Bolo Ji Radhey Radhey}
हमें भगवान या भक्त को नही 
गाना चाहिए, बल्कि इनसे 
ऊपर इनका चरित्र है, 
चरित्र का चिंतन मनन करके 
देखो, आपकी प्रीति इनकी 
और अधिक बढ़ जाएगी।। 
जय श्री कृष्ण।।

©N S Yadav GoldMine

#mountainsnearme {Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान या भक्त को नही गाना चाहिए, बल्कि इनसे ऊपर इनका चरित्र है, चरित्र का चिंतन मनन करके द

135 View

कुण्डलिया :-  जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी । समझोगे कब आप , सताते क्यों बनवारी ।। सुन गोपी आवाज , दौड़ तट यमुना आते । रखो प्रीति की लाज ,  पुकारूँ तुम आ जाते ।।   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :- 

जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम ।
रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।।
कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी ।
समझोगे कब आप , सताते क्यों बनवारी ।।
सुन गोपी आवाज , दौड़ तट यमुना आते ।
रखो प्रीति की लाज ,  पुकारूँ तुम आ जाते ।।

  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :-  जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी ।

12 Love

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