White चाँद तन्हा खास क्यों है अनगिनत तारों के बीच,
और तुम ही खास क्यों हो फक़त इन यारों के बीच,
बेवज़ह ही कोई दिल को इसतरह भाता नहीं,
भा गई आँखों को ये गुलाब इन ख़ारों के बीच,
शोर से मन परेशाँ होना स्वभाविक है मगर,
प्यार के दो शब्द अब भी गूँजते नारों के बीच,
सबने अपनी तरह से महफ़िल सजाई रातभर,
उसकी फ़ितरत ही जुदा थी यार फनकारों के बीच,
छाप ऐसी छोड़कर कुछ लोग दुनिया से गए,
याद करते नाम उनका लोग ग़म-ख़्वारों के बीच,
जीव और परमात्मा के मध्य का रिश्ता ग़जब,
जैसे बछरा ढूँढ लेता माँ को हजारों के बीच,
कौन करना चाहता 'गुंजन' नुमाईश प्यार की,
बात दिल की कह गई आहिस्ते इशारों के बीच,
---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
चेन्नई तमिलनाडु
©Shashi Bhushan Mishra
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