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New नयी कविता के प्रमुख कवि Status, Photo, Video

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कानों के झुमके, हाथों के कंगन या तेरे पैरों की झांझर में मिले, नुसरत व लता के गानों में नहीं, चैन मुझको तो तेरे आखर में मिले, दुनियाँ चाहती हो अपना मिलन चाहे हीर और राँझे के जैसा लेकिन मैं चाहता हूँ कि तू और मैं मिले ऐसे जैसे नदियाँ सागर में मिले। #चारण_गोविन्द

#चारण_गोविन्द #कविता #शायरी #CharanGovindG #govindkesher  कानों के झुमके, हाथों के कंगन या तेरे पैरों की झांझर में मिले,
नुसरत व लता के गानों में नहीं, चैन मुझको तो तेरे आखर में मिले,
दुनियाँ चाहती हो अपना मिलन चाहे हीर और राँझे के जैसा लेकिन
मैं चाहता हूँ कि तू और मैं मिले ऐसे जैसे नदियाँ सागर में मिले।

#चारण_गोविन्द
 दिनांक 12/06/2024

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता कलम के सिपाही

126 View

#चुनाव #सरकार  White नया सबेरा हो चुका,
ऊषा का बस धुंधलापन हो दूर।
सूरज निकलेगा जी तरोताजा,
जहां भारी मन से गया गरूर।

©BANDHETIYA OFFICIAL

#सरकार नयी होगी।

99 View

 हिंदी साहित्य मंच

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी

135 View

#Videos #gone

भारत के प्रमुख date #gone

135 View

#BaadalBarse #Videos

भारत के प्रमुख सहर का उपनाम #BaadalBarse

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कानों के झुमके, हाथों के कंगन या तेरे पैरों की झांझर में मिले, नुसरत व लता के गानों में नहीं, चैन मुझको तो तेरे आखर में मिले, दुनियाँ चाहती हो अपना मिलन चाहे हीर और राँझे के जैसा लेकिन मैं चाहता हूँ कि तू और मैं मिले ऐसे जैसे नदियाँ सागर में मिले। #चारण_गोविन्द

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नुसरत व लता के गानों में नहीं, चैन मुझको तो तेरे आखर में मिले,
दुनियाँ चाहती हो अपना मिलन चाहे हीर और राँझे के जैसा लेकिन
मैं चाहता हूँ कि तू और मैं मिले ऐसे जैसे नदियाँ सागर में मिले।

#चारण_गोविन्द
 दिनांक 12/06/2024

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता कलम के सिपाही

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#चुनाव #सरकार  White नया सबेरा हो चुका,
ऊषा का बस धुंधलापन हो दूर।
सूरज निकलेगा जी तरोताजा,
जहां भारी मन से गया गरूर।

©BANDHETIYA OFFICIAL

#सरकार नयी होगी।

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 हिंदी साहित्य मंच

©कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी

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#Videos #gone

भारत के प्रमुख date #gone

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#BaadalBarse #Videos

भारत के प्रमुख सहर का उपनाम #BaadalBarse

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