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#विचार

क्या चलती फिरते हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं#@manai'sway

90 View

#विचार  बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो..  गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है…  बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते हो, और ‘गजनी’ लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो….  कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे एंटीना कहते हो,और शाहरुख के ‘डॉन’ लुक के दीवाने बने फिरते हो….  किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक नहीँ लगता, और उसी अनाज को पॉलिश कर के कंपनियाँ बेचेँ तो क्वालिटी नजर आने लगती है..✍️💯👌

©Neelam Modanwal

बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपि

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#महँगाई_की_मार #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  महँगाई की मार (दोहे)

महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल।
खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।।

बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम।
अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।।

फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम।
महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।।

चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष।
महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।।

विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर।
शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।।

मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान।
महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।।
..........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये

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#womeninternation🙋Womensday😏 #shamawritesBebaak #writersofindia #Trending #Women #Live  🙋Womensday😏
"शमा"ये कैसा मुआश्रा है..?
बेटी की विलादत पर मुंह  बिचकाने वाले 
खुदके लिए खूबरू  बीवी  की हसरत लिए फिरते  है....

बेशुमार लानत  उस दरों दयार पर  जिस घर में औरत खुश
 नही,के खामखां लोग उसकी झूठी मसर्रत लिए फिरते है...

मुआश्र्रे की चाहते पिसर ने औरत को दोयम दर्जा है दिया ,और
त ही वो हस्ती है बिन जिसके आदमजात वंश की फितरत लिए फिरते है...

न दे सका ये मुआश्रा औरत को दर्जा ए ऊरूज,के ढालक
र अपनी मन मर्जी के मुताबिक  खुदकी सहूलत लिए फिरते है...

हर दौर में बसाया गया औरत को किस्से में गजल मे,बहर में, रदीफ में,काफिया  में,बस एक दिल में नहीं बसाने की हुज्जत लिए फिरते है....
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#womeninternation🙋Womensday😏 "शमा"ये कैसा मुआश्रा है..? बेटी की विलादत पर मुंह बिचकाने वाले खुदके लिए खूबरू बीवी की हसरत लिए फिरते है.... ब

495 View

घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।। आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल । हे राधा छू लेन दो , यही  नन्द के लाल ।। हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल । मैं कोई नादान हूँ ,  सब समझूँ मैं चाल ।। भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल । तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।। रिश्ता :- रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल । छुपा किसी से है नही ,  हम दोनो का हाल ।। रिश्ते की बुनियाद है ,  अटल हमारी प्रीति । क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।। रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप । मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।। रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल । लेकिन उनमें आज कुछ ,  बनकर चुभते शूल ।। एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान । जिनका रिश्ता ये जगत  , जोड़ गया भगवान ।। रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार । मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।। ०७/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल ।
छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।।

लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल ।
आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।।

आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल ।
हे राधा छू लेन दो , यही  नन्द के लाल ।।

हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल ।
मैं कोई नादान हूँ ,  सब समझूँ मैं चाल ।।

भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल ।
तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।।
रिश्ता :-
रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल ।
छुपा किसी से है नही ,  हम दोनो का हाल ।।

रिश्ते की बुनियाद है ,  अटल हमारी प्रीति ।
क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।।

रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप ।
मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।।

रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल ।
लेकिन उनमें आज कुछ ,  बनकर चुभते शूल ।।

एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान ।
जिनका रिश्ता ये जगत  , जोड़ गया भगवान ।।

रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार ।
मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।।

०७/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का

11 Love

#biography #Krishna #MR  who is KRISHNA MOHAN MISHRA SOFTWARE ENGINEER ✨❤️?


कृष्ण मोहन मिश्रा ✨ ❤️ का जन्म 10 अप्रैल 2002 को हुआ था, उनके पिता का नाम धर्म नाथ मिश्रा और माता का नाम ब्युटी देवी है, और उनका जन्म स्थान सुल्तानपुर, मोहिउद्दीननगर बिहार है।  किसी भी अन्य मध्यवर्गीय व्यक्ति की तरह, वह भी महत्वाकांक्षी और बड़े सपने देखने वाला था, लेकिन दूसरों के विपरीत, उसमें वास्तव में बड़ा काम करने और जोखिम लेने की क्षमता थी।  तो उनकी कहानी तब शुरू हुई जब वह 10वीं कक्षा में थे, उन्हें 10वीं और 12वीं में 60% अंक मिले, जिसके बाद उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिला।  बिजनेस करना उनका आइडिया तो था ही लेकिन इसके साथ-साथ वह इंजीनियर भी बनना चाहते थे।  और वह आज खुद को सबसे ज्यादा धन्यवाद देता है, कभी हार न मानने के लिए, कभी पीछे मुड़कर नहीं देखने के लिए, कभी असफलता से नहीं डरने के लिए, वह दौड़ना चाहता था, वह उड़ना चाहता था, और गिरना भी चाहता था लेकिन वह कभी रुकना नहीं चाहता था, और न ही उसने,  आज 4 साल बाद लोग उसे नहीं जानते लेकिन लोग उसे जानते हैं, उसके माता-पिता जो उसके खिलाफ थे, अब किसी से भी ज्यादा उस पर गर्व करते हैं।  वह आज एक स्व-निर्मित सेलिब्रिटी, एक डिजिटल निर्माता और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में जाने जाते हैं, वह वह विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं जिसका उन्होंने सपना देखा था, लेकिन अगर वह कर सकते हैं तो हम कर सकते हैं, और यही कारण है कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को अपना हाथ लेने में मदद करते हैं और  पूरे विश्वास और धैर्य के साथ चलना शुरू करें। नफरत करने वाले नफरत करेंगे लेकिन यह उनकी यात्रा का अंत नहीं है, उन्हें उम्मीद है कि अगली बार जब हम लेंगे तो वह विश्व स्तर पर प्रसिद्ध होंगे।  वह नहीं रुकेगा, वह असफल हो सकता है लेकिन वह कभी नहीं रुकेगा!

©mr.krishna101_official

#Krishna mohan mishra ✨ ❤️ #MR.krishna101_official #biography of KRISHNA MOHAN MISHRA ✨❤️ कृष्ण मोहन मिश्रा ✨ ❤️ का जन्म 10 अप्रैल 2002 क

135 View

#विचार

क्या चलती फिरते हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं#@manai'sway

90 View

#विचार  बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो..  गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है…  बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते हो, और ‘गजनी’ लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो….  कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे एंटीना कहते हो,और शाहरुख के ‘डॉन’ लुक के दीवाने बने फिरते हो….  किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक नहीँ लगता, और उसी अनाज को पॉलिश कर के कंपनियाँ बेचेँ तो क्वालिटी नजर आने लगती है..✍️💯👌

©Neelam Modanwal

बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपि

495 View

#महँगाई_की_मार #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  महँगाई की मार (दोहे)

महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल।
खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।।

बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम।
अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।।

फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम।
महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।।

चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष।
महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।।

विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर।
शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।।

मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान।
महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।।
..........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये

315 View

#womeninternation🙋Womensday😏 #shamawritesBebaak #writersofindia #Trending #Women #Live  🙋Womensday😏
"शमा"ये कैसा मुआश्रा है..?
बेटी की विलादत पर मुंह  बिचकाने वाले 
खुदके लिए खूबरू  बीवी  की हसरत लिए फिरते  है....

बेशुमार लानत  उस दरों दयार पर  जिस घर में औरत खुश
 नही,के खामखां लोग उसकी झूठी मसर्रत लिए फिरते है...

मुआश्र्रे की चाहते पिसर ने औरत को दोयम दर्जा है दिया ,और
त ही वो हस्ती है बिन जिसके आदमजात वंश की फितरत लिए फिरते है...

न दे सका ये मुआश्रा औरत को दर्जा ए ऊरूज,के ढालक
र अपनी मन मर्जी के मुताबिक  खुदकी सहूलत लिए फिरते है...

हर दौर में बसाया गया औरत को किस्से में गजल मे,बहर में, रदीफ में,काफिया  में,बस एक दिल में नहीं बसाने की हुज्जत लिए फिरते है....
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#womeninternation🙋Womensday😏 "शमा"ये कैसा मुआश्रा है..? बेटी की विलादत पर मुंह बिचकाने वाले खुदके लिए खूबरू बीवी की हसरत लिए फिरते है.... ब

495 View

घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।। आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल । हे राधा छू लेन दो , यही  नन्द के लाल ।। हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल । मैं कोई नादान हूँ ,  सब समझूँ मैं चाल ।। भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल । तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।। रिश्ता :- रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल । छुपा किसी से है नही ,  हम दोनो का हाल ।। रिश्ते की बुनियाद है ,  अटल हमारी प्रीति । क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।। रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप । मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।। रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल । लेकिन उनमें आज कुछ ,  बनकर चुभते शूल ।। एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान । जिनका रिश्ता ये जगत  , जोड़ गया भगवान ।। रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार । मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।। ०७/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल ।
छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।।

लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल ।
आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।।

आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल ।
हे राधा छू लेन दो , यही  नन्द के लाल ।।

हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल ।
मैं कोई नादान हूँ ,  सब समझूँ मैं चाल ।।

भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल ।
तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।।
रिश्ता :-
रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल ।
छुपा किसी से है नही ,  हम दोनो का हाल ।।

रिश्ते की बुनियाद है ,  अटल हमारी प्रीति ।
क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।।

रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप ।
मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।।

रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल ।
लेकिन उनमें आज कुछ ,  बनकर चुभते शूल ।।

एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान ।
जिनका रिश्ता ये जगत  , जोड़ गया भगवान ।।

रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार ।
मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।।

०७/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का

11 Love

#biography #Krishna #MR  who is KRISHNA MOHAN MISHRA SOFTWARE ENGINEER ✨❤️?


कृष्ण मोहन मिश्रा ✨ ❤️ का जन्म 10 अप्रैल 2002 को हुआ था, उनके पिता का नाम धर्म नाथ मिश्रा और माता का नाम ब्युटी देवी है, और उनका जन्म स्थान सुल्तानपुर, मोहिउद्दीननगर बिहार है।  किसी भी अन्य मध्यवर्गीय व्यक्ति की तरह, वह भी महत्वाकांक्षी और बड़े सपने देखने वाला था, लेकिन दूसरों के विपरीत, उसमें वास्तव में बड़ा काम करने और जोखिम लेने की क्षमता थी।  तो उनकी कहानी तब शुरू हुई जब वह 10वीं कक्षा में थे, उन्हें 10वीं और 12वीं में 60% अंक मिले, जिसके बाद उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिला।  बिजनेस करना उनका आइडिया तो था ही लेकिन इसके साथ-साथ वह इंजीनियर भी बनना चाहते थे।  और वह आज खुद को सबसे ज्यादा धन्यवाद देता है, कभी हार न मानने के लिए, कभी पीछे मुड़कर नहीं देखने के लिए, कभी असफलता से नहीं डरने के लिए, वह दौड़ना चाहता था, वह उड़ना चाहता था, और गिरना भी चाहता था लेकिन वह कभी रुकना नहीं चाहता था, और न ही उसने,  आज 4 साल बाद लोग उसे नहीं जानते लेकिन लोग उसे जानते हैं, उसके माता-पिता जो उसके खिलाफ थे, अब किसी से भी ज्यादा उस पर गर्व करते हैं।  वह आज एक स्व-निर्मित सेलिब्रिटी, एक डिजिटल निर्माता और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में जाने जाते हैं, वह वह विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं जिसका उन्होंने सपना देखा था, लेकिन अगर वह कर सकते हैं तो हम कर सकते हैं, और यही कारण है कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को अपना हाथ लेने में मदद करते हैं और  पूरे विश्वास और धैर्य के साथ चलना शुरू करें। नफरत करने वाले नफरत करेंगे लेकिन यह उनकी यात्रा का अंत नहीं है, उन्हें उम्मीद है कि अगली बार जब हम लेंगे तो वह विश्व स्तर पर प्रसिद्ध होंगे।  वह नहीं रुकेगा, वह असफल हो सकता है लेकिन वह कभी नहीं रुकेगा!

©mr.krishna101_official

#Krishna mohan mishra ✨ ❤️ #MR.krishna101_official #biography of KRISHNA MOHAN MISHRA ✨❤️ कृष्ण मोहन मिश्रा ✨ ❤️ का जन्म 10 अप्रैल 2002 क

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