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New थांबलेलं जग कसं वाटतंय Status, Photo, Video

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#शायरी #Sad_Status #ashraffani  White दर्द शोला है, 
उमड़कर उग रहा है 
सीने में
मौन था अब तक 
उभरकर जग रहा है 
सीने में

©Ashraf Fani【असर】

दर्द शोला है, उमड़कर उग रहा है सीने में मौन था अब तक उभरकर जग रहा है सीने में #ashraffani #Sad_Status

126 View

#Ganesh_chaturthi #Motivational #जग  White जो आप सोचते हो वह कभी नहीं होता है

©deepmala kumari

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

#Quotes  कस रे बा विठ्ठला 
गरज होती  तर तुझ्या पाई  गर्दी च्या रांगा !
आता नुसता एकटाच न रे बा तु विटेवरी उभा रे  विठ्ठला .!
संकटात नुसता तुझाच धावा
माणूस बघ न किती बदलतो रे विठ्ठला 
तू एकटाच आता विटेवरी उभा ..!

©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

कसं रे बा विठ्ठला

162 View

#कविता #guru_purnima #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
वेतन से,तन अब पलते
फजीहत आज के गुरुओ की है
सियासतों के हाथों शिक्षा पद्धति लग गयी
संस्कारो की अवनति है
व्यवसायी वैश्वीकरण के दौर में
सूली पर इज्जत गुरुओ  की है
तप त्याग सब बेमानी हो गये
गुरुकुल से स्कूल हो गये
छात्रों से डरते अब शिक्षक है
तेज नही दिखता अब छात्रों में
व्यसनो की लते दिखती है
अभाव सच्चे गुरुओ का है
जग सारा आवारापन से भरा दिखता है
                                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#guru_purnima सच्चे गुरुओ के अभाव में ,सारे जग में आवारापन दिखता है #nojotohindi

180 View

#कविता #guru_purnima #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
ज्ञान का सूरज,गुरु के चरणों मे
यथार्थ जग का बताते है
उच्चतम सीमा हर बस्तु की 
हद की रेखा खींचकर बताते है
योग भोग का परिमाण कितना है
जीवन का सार बताते है
आनन्द की अनुभूतियों कराकर
परमात्म पद तक ले जाते है
संचालन समाज देश का करते
भविष्य की दिशा के अनुगामी होते है
विरासत और संस्कृति की हिफाजत करते
गूढ़ रहस्यो का उदघाटन करते
उन गुरु के तप और प्रताप से ही
जग में अहिंसा और करुणा के फूल खिलते है
                                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#guru_purnima उनके के प्रताप से ही जग में अहिँसा और करुणा के फूल खिलते है #nojotohindi

270 View

#शायरी #Sad_Status #ashraffani  White दर्द शोला है, 
उमड़कर उग रहा है 
सीने में
मौन था अब तक 
उभरकर जग रहा है 
सीने में

©Ashraf Fani【असर】

दर्द शोला है, उमड़कर उग रहा है सीने में मौन था अब तक उभरकर जग रहा है सीने में #ashraffani #Sad_Status

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#Ganesh_chaturthi #Motivational #जग  White जो आप सोचते हो वह कभी नहीं होता है

©deepmala kumari

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

#Quotes  कस रे बा विठ्ठला 
गरज होती  तर तुझ्या पाई  गर्दी च्या रांगा !
आता नुसता एकटाच न रे बा तु विटेवरी उभा रे  विठ्ठला .!
संकटात नुसता तुझाच धावा
माणूस बघ न किती बदलतो रे विठ्ठला 
तू एकटाच आता विटेवरी उभा ..!

©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

कसं रे बा विठ्ठला

162 View

#कविता #guru_purnima #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
वेतन से,तन अब पलते
फजीहत आज के गुरुओ की है
सियासतों के हाथों शिक्षा पद्धति लग गयी
संस्कारो की अवनति है
व्यवसायी वैश्वीकरण के दौर में
सूली पर इज्जत गुरुओ  की है
तप त्याग सब बेमानी हो गये
गुरुकुल से स्कूल हो गये
छात्रों से डरते अब शिक्षक है
तेज नही दिखता अब छात्रों में
व्यसनो की लते दिखती है
अभाव सच्चे गुरुओ का है
जग सारा आवारापन से भरा दिखता है
                                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#guru_purnima सच्चे गुरुओ के अभाव में ,सारे जग में आवारापन दिखता है #nojotohindi

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#कविता #guru_purnima #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
ज्ञान का सूरज,गुरु के चरणों मे
यथार्थ जग का बताते है
उच्चतम सीमा हर बस्तु की 
हद की रेखा खींचकर बताते है
योग भोग का परिमाण कितना है
जीवन का सार बताते है
आनन्द की अनुभूतियों कराकर
परमात्म पद तक ले जाते है
संचालन समाज देश का करते
भविष्य की दिशा के अनुगामी होते है
विरासत और संस्कृति की हिफाजत करते
गूढ़ रहस्यो का उदघाटन करते
उन गुरु के तप और प्रताप से ही
जग में अहिंसा और करुणा के फूल खिलते है
                                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#guru_purnima उनके के प्रताप से ही जग में अहिँसा और करुणा के फूल खिलते है #nojotohindi

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