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Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था । हो जाती जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था । लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था- लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था ।
हो जाती  जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था ।
लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था-
लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था । हो जाती जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था । लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता

13 Love

#Quotes  बस थोडी देर..............
आर या पार यह कैसी तकरार.......!
तुम रहो या हम....!!
यह कैसी है जंग सोच-सोच के फेर है...!!!
ऊपर बाले के घर....!!!!
अंधरे नही,बस थोडी सी देर है....

©Rameshkumar Mehra Mehra

# बस थोडी देर...... आर या पार यह कैसी है तकरार,तुम रहो या हम,यह कैसी है जंग सोंच-सोंच के फेर है,ऊपर बाले के घर,अंधरे नही बस थोडी सी देर है..

153 View

Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था । हो जाती जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था । लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था- लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था ।
हो जाती  जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था ।
लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था-
लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था । हो जाती जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था । लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता

13 Love

#Quotes  बस थोडी देर..............
आर या पार यह कैसी तकरार.......!
तुम रहो या हम....!!
यह कैसी है जंग सोच-सोच के फेर है...!!!
ऊपर बाले के घर....!!!!
अंधरे नही,बस थोडी सी देर है....

©Rameshkumar Mehra Mehra

# बस थोडी देर...... आर या पार यह कैसी है तकरार,तुम रहो या हम,यह कैसी है जंग सोंच-सोंच के फेर है,ऊपर बाले के घर,अंधरे नही बस थोडी सी देर है..

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