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New एक तिनका कविता Status, Photo, Video

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#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

90 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope
#Motivational  कविता __ कुछ नया किए जा

एक न‌ई कविता __ कुछ नया किए जा

3,285 View

#MereKhayal

#MereKhayal मेरी प्रिय कविताओं में से एक कविता 🌸 आदरणीय डॉ उरसेम लता मैम की कविता "खोखू बाबा का बाज़ार"

171 View

#कविता #piyushmishra #poatry #poem

एक बगल मे चाँद होगा एक बगल मे रोटियां #piyushmishra #poatry #poem कविता #Nojoto

6,066 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

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#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope
#Motivational  कविता __ कुछ नया किए जा

एक न‌ई कविता __ कुछ नया किए जा

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#MereKhayal

#MereKhayal मेरी प्रिय कविताओं में से एक कविता 🌸 आदरणीय डॉ उरसेम लता मैम की कविता "खोखू बाबा का बाज़ार"

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#कविता #piyushmishra #poatry #poem

एक बगल मे चाँद होगा एक बगल मे रोटियां #piyushmishra #poatry #poem कविता #Nojoto

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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