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New क्षितिज कविता Status, Photo, Video

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

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©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

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#कविता

12,519 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

198 View

#good_night  "उठ रही है कहीं क़ुर्बत से तेरी साँस की आँच 
अपनी ख़ुशबू में सुलगती हुई मद्धम-मद्धम 
दूर उफ़ुक़ पार चमकती हुई क़तरा क़तरा 
गिर रही है तिरी दिलदार नज़र की शबनम"¹

©HintsOfHeart.

#good_night 💖 1.फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ क़ुर्बत= सामीप्य,नज़दीकी / Nearness. उफ़ुक़= क्षितिज / Horizon.

126 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

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©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

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#कविता

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 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

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#good_night  "उठ रही है कहीं क़ुर्बत से तेरी साँस की आँच 
अपनी ख़ुशबू में सुलगती हुई मद्धम-मद्धम 
दूर उफ़ुक़ पार चमकती हुई क़तरा क़तरा 
गिर रही है तिरी दिलदार नज़र की शबनम"¹

©HintsOfHeart.

#good_night 💖 1.फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ क़ुर्बत= सामीप्य,नज़दीकी / Nearness. उफ़ुक़= क्षितिज / Horizon.

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