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New लेखक बाबा कदम Status, Photo, Video

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#कविता  हर कदम ,कदम पे तेरी आहट है।
गुलाब की तरह मुसकुराहट है।
आंखों में तेरी मोहबबत का
नजराना।
बस तेरे लिये ही चाहत है।

©Mahesh Ram Tandan divyang kavi

कविता - कदम कदम पे

108 View

#मेरे #कदम  White हम हार नहीं मानेंगे अभी, जब तक है जान मेरे तन में।
मेरी जब तक सांस चलेगी सदा,आगे ही बढ़ेंगे मेरे कदम।।

©दूध नाथ वरुण

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT

#प्यारे  वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,
मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी,
स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल,

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी
बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों,

रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था,

कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं,
ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे,
फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे।

रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था,

जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते,
हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती,
याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती।

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं,
उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था।
बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था,
और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था।

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से।

©Nik JAT

#प्यारे बाबा

10 Love

Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA

#विचार  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े
 और 
होली में ही उतर भी गये 
और 
एक आपकी यादों और वादो का रंग
 है जो आज तक उतरा ही नहीं 
और 
भी गहरा होता चला गया...

©vidushi MISHRA

बाबा

18 Love

#आदर्श_की_कलम_से #विचार  दुनियां को झूठे लोग
 ही पसंद आते हैं,
थोड़ी से सच्चाई कह 
देने से आजकल
    अपने ही रूठ जाते हैं..!


                         आदर्श






,

,

©Shashi Bhushan Kumar

#आदर्श_की_कलम_से बाबा ब्राऊनबियर्ड

117 View

#कविता  हर कदम ,कदम पे तेरी आहट है।
गुलाब की तरह मुसकुराहट है।
आंखों में तेरी मोहबबत का
नजराना।
बस तेरे लिये ही चाहत है।

©Mahesh Ram Tandan divyang kavi

कविता - कदम कदम पे

108 View

#मेरे #कदम  White हम हार नहीं मानेंगे अभी, जब तक है जान मेरे तन में।
मेरी जब तक सांस चलेगी सदा,आगे ही बढ़ेंगे मेरे कदम।।

©दूध नाथ वरुण

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT

#प्यारे  वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,
मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी,
स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल,

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी
बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों,

रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था,

कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं,
ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे,
फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे।

रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था,

जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते,
हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती,
याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती।

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं,
उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था।
बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था,
और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था।

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से।

©Nik JAT

#प्यारे बाबा

10 Love

Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA

#विचार  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े
 और 
होली में ही उतर भी गये 
और 
एक आपकी यादों और वादो का रंग
 है जो आज तक उतरा ही नहीं 
और 
भी गहरा होता चला गया...

©vidushi MISHRA

बाबा

18 Love

#आदर्श_की_कलम_से #विचार  दुनियां को झूठे लोग
 ही पसंद आते हैं,
थोड़ी से सच्चाई कह 
देने से आजकल
    अपने ही रूठ जाते हैं..!


                         आदर्श






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©Shashi Bhushan Kumar

#आदर्श_की_कलम_से बाबा ब्राऊनबियर्ड

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