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धरती को सुरक्षा कवच मिलेगा नये पौधे लगाकर प्रदूषण को समूल रोंधने का एक मात्र ब्रह्मास्त्र यही है ©Parul Sharma

#WorldEnvironmentDay #Quotes  धरती को सुरक्षा कवच मिलेगा 
नये पौधे लगाकर
प्रदूषण को समूल रोंधने का
एक मात्र  ब्रह्मास्त्र यही  है

©Parul Sharma

#WorldEnvironmentDay धरती को सुरक्षा कवच मिलेगा नये पौधे लगाकर प्रदूषण को समूल रोंधने का एक मात्र ब्रह्मास्त्र यही है पारुल शर्मा

14 Love

चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।। हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।। मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।। चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला । मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।। देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।। अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।। शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।। पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।। हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।। मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।। मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।। भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।। तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।। राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।। हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-
जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।।
राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।।
भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।।
हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।।
मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।।
चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला ।
मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।।
देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।।
अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।।
शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।।
पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।।
हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।।
मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।।
मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।।
भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।।
तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।।
राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।।
हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते

13 Love

#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (35 & 36) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

81 View

#आंजनेय #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  आंजनेय (दोहे)

आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान।
निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान।

दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट।
देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट।

हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान।
लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान।

संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार।
जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार।

भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार।
हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार।
.................................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं

423 View

#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (25 & 26) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

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धरती को सुरक्षा कवच मिलेगा नये पौधे लगाकर प्रदूषण को समूल रोंधने का एक मात्र ब्रह्मास्त्र यही है ©Parul Sharma

#WorldEnvironmentDay #Quotes  धरती को सुरक्षा कवच मिलेगा 
नये पौधे लगाकर
प्रदूषण को समूल रोंधने का
एक मात्र  ब्रह्मास्त्र यही  है

©Parul Sharma

#WorldEnvironmentDay धरती को सुरक्षा कवच मिलेगा नये पौधे लगाकर प्रदूषण को समूल रोंधने का एक मात्र ब्रह्मास्त्र यही है पारुल शर्मा

14 Love

चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।। हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।। मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।। चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला । मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।। देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।। अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।। शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।। पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।। हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।। मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।। मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।। भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।। तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।। राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।। हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-
जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।।
राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।।
भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।।
हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।।
मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।।
चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला ।
मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।।
देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।।
अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।।
शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।।
पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।।
हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।।
मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।।
मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।।
भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।।
तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।।
राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।।
हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते

13 Love

#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (35 & 36) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

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#आंजनेय #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  आंजनेय (दोहे)

आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान।
निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान।

दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट।
देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट।

हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान।
लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान।

संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार।
जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार।

भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार।
हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार।
.................................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं

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#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

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