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New बर्नोली कुआं ताल Status, Photo, Video

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मेरा नाम दिव्या जोशी है और मैं श्री हेमंत चौधरी के इलाज के लिए धन जुटा रही हूं, जो प्लाज़्मा सेल कैंसर के एक प्रकार से पीड़ित हैं यह हड्डियों

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मेरा नाम दिव्या जोशी है और मैं श्री हेमंत चौधरी के इलाज के लिए धन जुटा रही हूं, जो प्लाज़्मा सेल कैंसर के एक प्रकार से पीड़ित हैं यह हड्डियों

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जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।। आओ बैठो भज लो राम । किसे याद है प्राणायाम ।। सभी ओर दिखता संग्राम । चीख रही है जनता आम ।। कौन लिया सिंहासन थाम । कौन चुगे अब गुठली आम ।। इस जीवन में सत्य अनेक । कष्ट मगर सहता है एक ।। कविवर लेते सुंदर टेक । फिर भी बोले गीत न नेक ।। बने भवन है आलीशान । लेकिन उनके हृदय विरान ।। रोटी कपड़ा ओर मकान । करते-करते मरा किसान ।। बेटा करता मदिरा पान । बहू चाहिए गऊ समान ।। बिगड़ गये घर के सुर ताल । बड़े घरो की यह है चाल ।। देख ले ऊँचा खानदान । तब ही करना कन्यादान । दिया बहुत जिनको सम्मान । बेटी भेज दिया शमशान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  जयकरी छन्द :-

आओ मिलकर कर ले योग ।
क्यों पालें जीवन में रोग ।।
बतलाते थे घर के लोग ।
करके कसरत बनो निरोग ।।
अब तो बस पढ़ने का काम ।
बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।।
आओ बैठो भज लो राम ।
किसे याद है प्राणायाम ।।
सभी ओर दिखता संग्राम ।
चीख रही है जनता आम ।।
कौन लिया सिंहासन थाम ।
कौन चुगे अब गुठली आम ।।
इस जीवन में सत्य अनेक ।
कष्ट मगर सहता है एक ।।
कविवर लेते सुंदर टेक ।
फिर भी बोले गीत न नेक ।।
बने भवन है आलीशान ।
लेकिन उनके हृदय विरान ।।
रोटी कपड़ा ओर मकान ।
करते-करते मरा किसान ।।
बेटा करता मदिरा पान ।
बहू चाहिए गऊ समान ।।
बिगड़ गये घर के सुर ताल ।
बड़े घरो की यह है चाल ।।
देख ले ऊँचा खानदान ।
तब ही करना कन्यादान ।
दिया बहुत जिनको सम्मान ।
बेटी भेज दिया शमशान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्क

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#महँगाई_की_मार #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  महँगाई की मार (दोहे)

महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल।
खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।।

बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम।
अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।।

फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम।
महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।।

चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष।
महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।।

विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर।
शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।।

मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान।
महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।।
..........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये

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#viral_video #new_post #Trading #Video #viral

मैनपुरी में हुआ बड़ा सड़क हादसा चार लोगों की मौत ट्रैक्टर ट्राली में ट्रक ने मारी ने पीछे से टक्कर मौके पर तीन की मौत एक की अस्पताल में म

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मेरा नाम दिव्या जोशी है और मैं श्री हेमंत चौधरी के इलाज के लिए धन जुटा रही हूं, जो प्लाज़्मा सेल कैंसर के एक प्रकार से पीड़ित हैं यह हड्डियों

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मेरा नाम दिव्या जोशी है और मैं श्री हेमंत चौधरी के इलाज के लिए धन जुटा रही हूं, जो प्लाज़्मा सेल कैंसर के एक प्रकार से पीड़ित हैं यह हड्डियों

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जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।। आओ बैठो भज लो राम । किसे याद है प्राणायाम ।। सभी ओर दिखता संग्राम । चीख रही है जनता आम ।। कौन लिया सिंहासन थाम । कौन चुगे अब गुठली आम ।। इस जीवन में सत्य अनेक । कष्ट मगर सहता है एक ।। कविवर लेते सुंदर टेक । फिर भी बोले गीत न नेक ।। बने भवन है आलीशान । लेकिन उनके हृदय विरान ।। रोटी कपड़ा ओर मकान । करते-करते मरा किसान ।। बेटा करता मदिरा पान । बहू चाहिए गऊ समान ।। बिगड़ गये घर के सुर ताल । बड़े घरो की यह है चाल ।। देख ले ऊँचा खानदान । तब ही करना कन्यादान । दिया बहुत जिनको सम्मान । बेटी भेज दिया शमशान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  जयकरी छन्द :-

आओ मिलकर कर ले योग ।
क्यों पालें जीवन में रोग ।।
बतलाते थे घर के लोग ।
करके कसरत बनो निरोग ।।
अब तो बस पढ़ने का काम ।
बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।।
आओ बैठो भज लो राम ।
किसे याद है प्राणायाम ।।
सभी ओर दिखता संग्राम ।
चीख रही है जनता आम ।।
कौन लिया सिंहासन थाम ।
कौन चुगे अब गुठली आम ।।
इस जीवन में सत्य अनेक ।
कष्ट मगर सहता है एक ।।
कविवर लेते सुंदर टेक ।
फिर भी बोले गीत न नेक ।।
बने भवन है आलीशान ।
लेकिन उनके हृदय विरान ।।
रोटी कपड़ा ओर मकान ।
करते-करते मरा किसान ।।
बेटा करता मदिरा पान ।
बहू चाहिए गऊ समान ।।
बिगड़ गये घर के सुर ताल ।
बड़े घरो की यह है चाल ।।
देख ले ऊँचा खानदान ।
तब ही करना कन्यादान ।
दिया बहुत जिनको सम्मान ।
बेटी भेज दिया शमशान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्क

16 Love

#महँगाई_की_मार #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  महँगाई की मार (दोहे)

महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल।
खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।।

बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम।
अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।।

फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम।
महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।।

चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष।
महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।।

विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर।
शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।।

मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान।
महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।।
..........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये

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