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New तड़पाने लाचारी Status, Photo, Video

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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के

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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।

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#SAD  
टूटने से बिखरने तक जिंदगी की जद्दोजहद जारी है ...
मंजिल हसीं अब हो नहीं सकती जीना अब बस बेबसी लाचारी है ...
कुछ दोस्त प्यारे हैं जो होंसला देते हैं..
वर्ना दिल में दर्द दामन में बोझ भारी है ...

©Arsh....

टूटने से बिखरने तक जिंदगी की जद्दोजहद जारी है.. मंजिल हसीं अब हो नहीं सकती जीना अब बस बेबसी लाचारी है.. कुछ दोस्त प्यारे हैं जो होंसला देत

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#शायरी #sad_shayari  में देख नही सकता
 कटे फटे अंगों को
में देख नही सकता मरते 
अपने सगी संबंधी को
में देख नहीं सकता
बहु बेटियो की लूटी अस्मत को 
में देख नही सकता बैकसूर लचारो को 
में देख नही सकता भूखे की लाचारी को 
अब हमको कदम कुछ तो उठाना होगा 
बंद हो ये अत्याचार बेकसूरों पर 
नही तो दोस्तो हमको फिर से
 हथियार उठाना होगा!

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#sad_shayari में देख नही सकता कटे फटे अंगों को में देख नही सकता मरते अपने सगी संबंधी को में देख नहीं सकता बहु बेटियो की लूटी अस्मत को में

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White ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ ने करी तैयारी है  चाँद कुछ भी न आसमां में अब  उससे प्यारी जमीं हमारी है  कैसे करता गिला रकीबों से  हाथ उनके दिखी कटारी है  जुल्म़ सहना समाज के हँसकर  आज इंसान की लाचारी है  लोग कहते हैं राहबर जिसको  वो हक़ीक़त में इक शिकारी है लाज़ आती नहीं प्रखर उसको  ऐसा लगता बड़ा भिखारी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
इश्क़ की छाई अब खुमारी है 
रात करवट भरी गुजारी है 
सबने बोला बड़ी बिमारी है
माँ ने फिर भी नज़र उतारी है 
फूल आयेंगे एक दिन सुंदर 
बागबाँ ने करी तैयारी है 
चाँद कुछ भी न आसमां में अब 
उससे प्यारी जमीं हमारी है 
कैसे करता गिला रकीबों से 
हाथ उनके दिखी कटारी है 
जुल्म़ सहना समाज के हँसकर 
आज इंसान की लाचारी है 
लोग कहते हैं राहबर जिसको 
वो हक़ीक़त में इक शिकारी है
लाज़ आती नहीं प्रखर उसको 
ऐसा लगता बड़ा भिखारी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ

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#लाचारी #शायरी  White बस, हंसने की लाचारी थी।
बच्चों  की जिम्मेदारी थी।।
थे   रिश्ते  - नाते, शीशे से,,,
पत्थर - सी,दुनियादारी थी।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के

12 Love

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-

आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान ।
मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।।
अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।।
कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती ।
सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।

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#SAD  
टूटने से बिखरने तक जिंदगी की जद्दोजहद जारी है ...
मंजिल हसीं अब हो नहीं सकती जीना अब बस बेबसी लाचारी है ...
कुछ दोस्त प्यारे हैं जो होंसला देते हैं..
वर्ना दिल में दर्द दामन में बोझ भारी है ...

©Arsh....

टूटने से बिखरने तक जिंदगी की जद्दोजहद जारी है.. मंजिल हसीं अब हो नहीं सकती जीना अब बस बेबसी लाचारी है.. कुछ दोस्त प्यारे हैं जो होंसला देत

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#शायरी #sad_shayari  में देख नही सकता
 कटे फटे अंगों को
में देख नही सकता मरते 
अपने सगी संबंधी को
में देख नहीं सकता
बहु बेटियो की लूटी अस्मत को 
में देख नही सकता बैकसूर लचारो को 
में देख नही सकता भूखे की लाचारी को 
अब हमको कदम कुछ तो उठाना होगा 
बंद हो ये अत्याचार बेकसूरों पर 
नही तो दोस्तो हमको फिर से
 हथियार उठाना होगा!

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#sad_shayari में देख नही सकता कटे फटे अंगों को में देख नही सकता मरते अपने सगी संबंधी को में देख नहीं सकता बहु बेटियो की लूटी अस्मत को में

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White ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ ने करी तैयारी है  चाँद कुछ भी न आसमां में अब  उससे प्यारी जमीं हमारी है  कैसे करता गिला रकीबों से  हाथ उनके दिखी कटारी है  जुल्म़ सहना समाज के हँसकर  आज इंसान की लाचारी है  लोग कहते हैं राहबर जिसको  वो हक़ीक़त में इक शिकारी है लाज़ आती नहीं प्रखर उसको  ऐसा लगता बड़ा भिखारी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
इश्क़ की छाई अब खुमारी है 
रात करवट भरी गुजारी है 
सबने बोला बड़ी बिमारी है
माँ ने फिर भी नज़र उतारी है 
फूल आयेंगे एक दिन सुंदर 
बागबाँ ने करी तैयारी है 
चाँद कुछ भी न आसमां में अब 
उससे प्यारी जमीं हमारी है 
कैसे करता गिला रकीबों से 
हाथ उनके दिखी कटारी है 
जुल्म़ सहना समाज के हँसकर 
आज इंसान की लाचारी है 
लोग कहते हैं राहबर जिसको 
वो हक़ीक़त में इक शिकारी है
लाज़ आती नहीं प्रखर उसको 
ऐसा लगता बड़ा भिखारी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ

15 Love

#लाचारी #शायरी  White बस, हंसने की लाचारी थी।
बच्चों  की जिम्मेदारी थी।।
थे   रिश्ते  - नाते, शीशे से,,,
पत्थर - सी,दुनियादारी थी।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
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