हो हंसा संभल संभल क्यों फुर्र उड़ जाए
मेरे जीवन को क्यों मिट्टी बनाए
मिट्टी बनाए
तेरे रहते मेने देखे नित सपने
क्यों अब तू इन्हे मिट्टी बनाए
हो हंसा संभल संभल क्यों फुर्र उड़ जाए
मेरे जीवन को क्यों मिट्टी बनाए
तेरे ही रहते मेने देखे नित अपने
क्यों तू अब इन्हें सपने बनाए
ओ हंसा संभल संभल
क्यों उड़ता ही जाए
मेरे इस जीवन को क्यों मिट्टी बनाए
तेरे ही रहते मेने सुख दुःख पाए
अब क्यों तू इन्हे मुझसे भगाए ए ए
ओ हंसा संभल संभल क्यों फुर्र उड़ जाए
तेरे ही रहते मैने पाई उपलब्धि
नित मेने नए नए रिश्ते बनाए
फिर क्यों इन्हे पल में मिटाए
ओ हंसा संभल संभल क्यों
उड़ता तू जाए,उड़ता तू जाए
मेरे इस जीवन को ,क्यों मिट्टी बनाए
ओ हंसा संभल संभल क्यों
उड़ता तू जाए
मेरे इस जीवन की हस्ती मिटाए
मेरे इस जीवन की हस्ती मिटाए
©Er.Mahesh
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