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#वीडियो

"सोनू खरगोश का विश्वास: विश्वास और मेहनत की खोज की कहानी" - सोनू खरगोश ने सपना देखा कि जंगल में एक बड़ा खजाना छुपा है। उसने अपने दोस्तों मीन

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#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

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#बदला_मौसम #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  बदला मौसम (दोहे)

बदला मौसम देख कर, सभी हुए हैरान।
देता है चेतावनी, राह नहीं आसान।।

असमंजस में हैं पड़े, नहीं रहा कुछ सूझ।
राह सरल को ही चुनें, कहती है ये बूझ।।

कुछ हैं जो दृढ ही रहें, सही चुनें वो राह।
पाप कर्म से दूर हों, जानें उसकी थाह।।

बदले मौसम ने बहुत, दिखा दिया है रूप।
साँप बदलता कैंचुली, ऐसा हुआ स्वरूप।।

बदल गया मौसम बहुत, बिगड़ रहे हालात।
शत्रु बैठ छिप कर गये, करने को आघात।।

बदला मौसम ये कहे, समझो तुम इंसान।
कलियुग का ये दौर है, मत रहना अंजान।।

बदले मौसम ने दिया, कृषकों को आघात।
फसल हुई सब नष्ट है, दशा हुई आपात।।

व्यर्थ मेहनत सब हुई, करते कृषक विलाप।
कहें ईश से सब यही, विघ्न हरो अब आप।।

दहशत अब दिल में हुई, दिखा भयानक रूप।
बदला है मौसम बहुत, जैसे कोई कूप।।

बालक हम सब आपके, कर दो अब उपकार।
कहती है सद्भावना, तुम ही हो आधार।।
................................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#बदला_मौसम #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi बदला मौसम (दोहे) बदला मौसम देख कर, सभी हुए हैरान। देता है चेतावनी, राह नहीं आसान।। असमं

171 View

#कविता  White लह-लहाती फसल
इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है।

©कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211

लह-लहाती फसल इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है। हिंदी कविता भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन @writer Ramu kumar Madhusudan

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#शायरी  White किसान फसल उगता है
चिड़िया चुराती है दाना 
हवा में उड़ने वाले को 
 मुझे आता है 
जमीन पर लाना

©Suresh Saini

#shayari किसान फसल उगाता है चिड़िया चुराती है दाना हवा में उड़ने वाले को मुझे आता है जमीन पर लाना

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White ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।। किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो । यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।। कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर । बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।। तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी । सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।। भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो । उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।। वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से । सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं ।
दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।।

खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी ।
फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।।

किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो ।
यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।।

कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर ।
बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।।

तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी ।
सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।।

भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो ।
उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।।

वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से ।
सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज

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"सोनू खरगोश का विश्वास: विश्वास और मेहनत की खोज की कहानी" - सोनू खरगोश ने सपना देखा कि जंगल में एक बड़ा खजाना छुपा है। उसने अपने दोस्तों मीन

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#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

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#बदला_मौसम #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  बदला मौसम (दोहे)

बदला मौसम देख कर, सभी हुए हैरान।
देता है चेतावनी, राह नहीं आसान।।

असमंजस में हैं पड़े, नहीं रहा कुछ सूझ।
राह सरल को ही चुनें, कहती है ये बूझ।।

कुछ हैं जो दृढ ही रहें, सही चुनें वो राह।
पाप कर्म से दूर हों, जानें उसकी थाह।।

बदले मौसम ने बहुत, दिखा दिया है रूप।
साँप बदलता कैंचुली, ऐसा हुआ स्वरूप।।

बदल गया मौसम बहुत, बिगड़ रहे हालात।
शत्रु बैठ छिप कर गये, करने को आघात।।

बदला मौसम ये कहे, समझो तुम इंसान।
कलियुग का ये दौर है, मत रहना अंजान।।

बदले मौसम ने दिया, कृषकों को आघात।
फसल हुई सब नष्ट है, दशा हुई आपात।।

व्यर्थ मेहनत सब हुई, करते कृषक विलाप।
कहें ईश से सब यही, विघ्न हरो अब आप।।

दहशत अब दिल में हुई, दिखा भयानक रूप।
बदला है मौसम बहुत, जैसे कोई कूप।।

बालक हम सब आपके, कर दो अब उपकार।
कहती है सद्भावना, तुम ही हो आधार।।
................................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#बदला_मौसम #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi बदला मौसम (दोहे) बदला मौसम देख कर, सभी हुए हैरान। देता है चेतावनी, राह नहीं आसान।। असमं

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#कविता  White लह-लहाती फसल
इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है।

©कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211

लह-लहाती फसल इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है। हिंदी कविता भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन @writer Ramu kumar Madhusudan

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#शायरी  White किसान फसल उगता है
चिड़िया चुराती है दाना 
हवा में उड़ने वाले को 
 मुझे आता है 
जमीन पर लाना

©Suresh Saini

#shayari किसान फसल उगाता है चिड़िया चुराती है दाना हवा में उड़ने वाले को मुझे आता है जमीन पर लाना

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White ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।। किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो । यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।। कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर । बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।। तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी । सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।। भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो । उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।। वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से । सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं ।
दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।।

खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी ।
फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।।

किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो ।
यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।।

कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर ।
बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।।

तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी ।
सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।।

भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो ।
उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।।

वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से ।
सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज

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