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New गरुड़ पुराण स्त्री Status, Photo, Video

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#संस्कारी #Quotes  जो स्त्री गर में रहके चुपचाप 
अन्याय सह गई ,वो संस्कारी कहलाई।
और जो विद्रोह पर उतर आई ,
 उसे समाज ने चरित्रहीन नाम दे दिया ।

Sonalika speaks ❤️

©SDP SDP

#संस्कारी और चरित्रहीन स्त्री #

90 View

 White स्त्री एक पुरुष को नहीं बदल सकती है।
एक पुरुष स्वयं को बदल देता है क्योंकि
वह उससे प्रेम  करता है 
ख़ैर...

©ANIL KUMAR

एक स्त्री

117 View

White बुद्ध होने की पहली शर्त त्याग है, स्त्री हर दिन त्याग कर भी बुद्ध नहीं हो सकती। ©साक्षी

#स्त्री #विचार #ज्ञान #नारी #buddha  White बुद्ध होने की पहली शर्त त्याग है,
स्त्री हर दिन त्याग कर भी
बुद्ध नहीं हो सकती।

©साक्षी
#मोटिवेशनल

भली स्त्री

144 View

#स्त्री #समर्पण #प्रेम #कविता #वजूद  हर दर्द को अपना है बना लेतीं ।
हम स्त्रियां तकलीफ में भी हैं मुस्कुरा लेतीं।
खुद रहती हैं बिखरी हुई,
पर अपना आशियाना है बखूबी सजा लेतीं।
एक आस लिए जीवन है जीती।
खुश रखना है सभी को यही है चाहतीं।
और कोई चाहत नही है उनकी,
बस रिश्तों को सहेजना है जानती।
अपनी ख्वाइशों को करती है दफ़न।
निभाती हैं मान सम्मान और चलन।
इन सबके बावजूद भी जब नही मिलता प्रेम,
तो दो आसूं बहा गुजार देती हैं सारा जीवन।
हर दर्द को अपना...।

रश्मि वत्स ।

©Rashmi Vats
#स्त्री  वो स्वतंत्र थी तो कैद की गई वो सीधी
 थी तो सताई गई वो उन्मुक्त थी तो 
चरित्रहीन कहलाई... -वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73
#संस्कारी #Quotes  जो स्त्री गर में रहके चुपचाप 
अन्याय सह गई ,वो संस्कारी कहलाई।
और जो विद्रोह पर उतर आई ,
 उसे समाज ने चरित्रहीन नाम दे दिया ।

Sonalika speaks ❤️

©SDP SDP

#संस्कारी और चरित्रहीन स्त्री #

90 View

 White स्त्री एक पुरुष को नहीं बदल सकती है।
एक पुरुष स्वयं को बदल देता है क्योंकि
वह उससे प्रेम  करता है 
ख़ैर...

©ANIL KUMAR

एक स्त्री

117 View

White बुद्ध होने की पहली शर्त त्याग है, स्त्री हर दिन त्याग कर भी बुद्ध नहीं हो सकती। ©साक्षी

#स्त्री #विचार #ज्ञान #नारी #buddha  White बुद्ध होने की पहली शर्त त्याग है,
स्त्री हर दिन त्याग कर भी
बुद्ध नहीं हो सकती।

©साक्षी
#मोटिवेशनल

भली स्त्री

144 View

#स्त्री #समर्पण #प्रेम #कविता #वजूद  हर दर्द को अपना है बना लेतीं ।
हम स्त्रियां तकलीफ में भी हैं मुस्कुरा लेतीं।
खुद रहती हैं बिखरी हुई,
पर अपना आशियाना है बखूबी सजा लेतीं।
एक आस लिए जीवन है जीती।
खुश रखना है सभी को यही है चाहतीं।
और कोई चाहत नही है उनकी,
बस रिश्तों को सहेजना है जानती।
अपनी ख्वाइशों को करती है दफ़न।
निभाती हैं मान सम्मान और चलन।
इन सबके बावजूद भी जब नही मिलता प्रेम,
तो दो आसूं बहा गुजार देती हैं सारा जीवन।
हर दर्द को अपना...।

रश्मि वत्स ।

©Rashmi Vats
#स्त्री  वो स्वतंत्र थी तो कैद की गई वो सीधी
 थी तो सताई गई वो उन्मुक्त थी तो 
चरित्रहीन कहलाई... -वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73
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