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#nojotohindipoetry #दोहे #कोमल #sandiprohila #nojotohindi  कोमल (दोहे)

कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान।
कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।।

बालक सम व्यवहार हो, नहीं कपट के पास।
कोमल वाणी भी रहे, जगह बनाता खास।।

वे ही उसको चाहते, जिनके ह्रदय समान।
कोमलता का राज हो, जाने सकल जहान।।

कोमल जिसका आचरण, मिले उसे सम्मान।
ईश्वर का वह लाड़ला, उसका रखते ध्यान।।

जिसने पाया ईश को, उसे मिला वरदान।
कोमलता के साथ ही, उसे मिली पहचान।।
............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कोमल #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi कोमल (दोहे) कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान। कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।। बालक सम

270 View

#विचार #Shorts #Video #Yoga

अच्छे आचरण से ध्यान बढ़ता है और ध्यान से विवेक जागृत होता । Yogi Sonu #life #Yoga #Video #Shorts

90 View

#विचार #sad_shayari  White 🌷दिल कि बात🌷
🌷🌷🌷🌷🌷
🌷 बड़ा बनना है तो हमेशा 🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷मर्यादा में रहो क्योंकि🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷 हमेशा बड़ी कंपनी 🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷के नाम के पीछे भी 🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷लिमिटेड लिखा होता है🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

©PURAN SING‌H CHILWAL

#sad_shayari विचार अगर अच्छे हैं तो अपना मन ही मंदिर है आचरण अगर अच्छा है तो अपना तन ही मंदिर है व्यवहार अगर अच्छा है तो अपना धन ही मंदिर ह

558 View

#मोटिवेशनल #GoodMorning  White रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 19-37 
{Bolo Ji Radhey Radhey}

📙 रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता, इसलिये मैंने यह काम किया था। माता गान्‍धारी ! आपको मुझमें दोष की आशड्bका नहीं करनी चाहिये। पहले जब हम लोगों ने काई अपराध नहीं किया था, उस समय हम पर अत्‍याचार करने वाले अपने पुत्रों-को तो आपने रोका नही; फिर इस समय आप क्‍यों मुझ पर दोषा रोपण करती है.

📙 गान्‍धार्युवाच गान्‍धारी बोलीं—बेटा ! तुम अपराजित वीर हो। तुमने इन बूढ़े महाराज के सौ पुत्रों को मारते समय कि‍सी एक को भी, जिसने बहुत थोड़ा अपराध किया था, क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? तात ! हम दोनों बूढ़े हुए। हमारा राज्‍य भी तुमने छीन लिया। ऐसी दशा में हमारी एक ही संतान को—हम दो अन्‍धों के लिये एक ही लाठी के सहारे को तुमने क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? 

📙 तात ! तुम मेरे सारे पुत्रों के लिये यमराज बन गये। यदि तुम धर्म का आचरण करते और मेरा एक पुत्र भी शेष रह जाता तो मुझे इतना दु:ख नहीं होता। वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं-राजन्! भीमसेन से ऐसा कहकर अपने पुत्रों और पौत्रों और पौत्रों के वध से पीडित हुई गान्‍धारी ने कुपित होकर पूछा—कहॉ है वह राज युधिष्ठिर।

📙 यह सुनकर महाराज युधिष्ठिर कॉंपते हुए हाथ जोड़े उनके सामने आये और बड़ी मीठी वाणी में बोले—देवि ! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर मैं हूँ। पृथ्‍वी भर के राजाओं का नाश कराने में मैं ही हेतु हूँ, इसलिये शाप के योग्‍य हूँ।

📙 आप मुझे शाप दे दीजिये। मैं अपने सुह्रदों का द्रोही और अविवकी हूँ। वैसे-वैसे श्रेष्‍ठ सुह्रदों का वधकर के अब मुझे जीवन, राज्‍य अथवा धनसे कोई प्रयोजन नहीं है’। जब निकट आकर डरे हुए राजा युधिष्‍ठर ने, ऐसी बातें कहीं, तब गान्‍धारी देवी जोर-जोर से सॉंस खींचती हुई सिसकने लगीं। वे मुँह से कुछ बोल न सकीं। राजा युधिष्ठिर शरीर को झुकाकर गान्‍धारी के चरणों पर गिर जाना चाहते थे। 

📙 इतने ही में धर्म को जानने वाली दूर-दर्शिनी देवी गान्‍धारी ने पट्टी के भीतर से ही राजा युधिष्ठिर के पैरों की अगुलियों के अग्रभाग देख लिये। इतने ही से राजा के नख काले पड़ गये। इसके पहले उनके नख बड़े ही सुन्‍दर और दर्शनीय थे। उनकी यह अवस्‍था देख अर्जुन भगवान् श्रीकृष्‍ण के पीछे जाकर छिप गये। 

📙 भारत ! उन्‍हें इस प्रकार इधर-उधर छिपने की चेष्‍टा करते देख गान्‍धारी का क्रोध उतर गया और उन्‍होंने उन सबको स्‍नेहमयी माता के समान सान्‍त्‍वना दी। फिर उनकी आज्ञा ले चौड़ी छाती वाले सभी पाण्‍ड वन एक साथ वीर जननी माता कुन्‍ती के पास गये। कुन्‍ती देवी दीर्घकाल के बाद अपने पुत्रों को देखकर उनके कष्‍टों का स्‍मरण करके करुणाbमें डूब गयीं और आचल से मुँह ढककर ऑंसू बहाने लगीं।

📙 पुत्रों सहित ऑंसू बहाकर उन्‍होंने उनके शरीरों पर बारबार दृष्टिपात कि‍या। वे सभी अस्‍त्र-शस्त्रों की चोट से घायल हो रहे थे। बारी-बारी से पुत्रों के शरीर पर बारंबार हाथ फेरती हुई कुन्‍ती दु:खसे आतुर हो उस द्रौपदी के लिय शोक करने लगी, जिसके सभी पुत्र मारे गये थे। इतने में ही उन्‍होंने देखा कि द्रौपदी पास ही पृथ्‍वी पर गिरकर रो रही है।

📙 द्रौपद्युवाच द्रौपदी बोली-आयें ! अभिमन्‍यु सहित वे आपके सभी पौत्र कहॉं चले गये ? वे दीर्घकाल के बाद आयी हुई आज आप तपस्विनी देवी को देखकर आपके निकट क्‍यों नहीं आ रहे हैं ? अपने पुत्रों से हीन होकर अब इस राज्‍य से हमें क्‍या कार्य है ?

©N S Yadav GoldMine

#GoodMorning रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Rad

99 View

#Motivational #आचरण  White शिलाचार  केवल अपने बड़ों के साथ हीं नहीं , अपने से छोटे के साथ भी होना चाहिए। छोटे  उम्र के आदमी से बस इसलिए  आचरण अलग हो कि कालचक्र में उसका नंबर बाद में हो । इस हिसाब से  किसी भी व्यक्ति को अपमानित नहीं किया जाना चाहिए। घर में छोटा हीं हो पर अगर विशिष्ट गुण धारण करने वाला हो तो उसका सम्मान होना चाहिए।  अगर उम्र में छोटा आदमी कोई विशिष्ट गुण वाला ना भी हो तब भी  उसके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार रखना चाहिए। जो काल चक्र की वजह से फलित हुआ हो उसमें व्यक्ति का क्या दोष ?

©ADITYA GAURAW

#आचरण

135 View

#विचार #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी भी कुल में धर्म का, धर्म 
के आचरण का, अपने-पन के 
सम्मान का जब नास या पतन 
होता है, तो उस कुल को पाप, 
व अधर्म दबा लेता है।।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कुल में धर्म का, धर्म के आचरण का, अपने-पन के सम्मान का जब नास या पतन होता है, तो उस कुल को पाप,

108 View

#nojotohindipoetry #दोहे #कोमल #sandiprohila #nojotohindi  कोमल (दोहे)

कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान।
कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।।

बालक सम व्यवहार हो, नहीं कपट के पास।
कोमल वाणी भी रहे, जगह बनाता खास।।

वे ही उसको चाहते, जिनके ह्रदय समान।
कोमलता का राज हो, जाने सकल जहान।।

कोमल जिसका आचरण, मिले उसे सम्मान।
ईश्वर का वह लाड़ला, उसका रखते ध्यान।।

जिसने पाया ईश को, उसे मिला वरदान।
कोमलता के साथ ही, उसे मिली पहचान।।
............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कोमल #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi कोमल (दोहे) कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान। कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।। बालक सम

270 View

#विचार #Shorts #Video #Yoga

अच्छे आचरण से ध्यान बढ़ता है और ध्यान से विवेक जागृत होता । Yogi Sonu #life #Yoga #Video #Shorts

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#विचार #sad_shayari  White 🌷दिल कि बात🌷
🌷🌷🌷🌷🌷
🌷 बड़ा बनना है तो हमेशा 🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷मर्यादा में रहो क्योंकि🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷 हमेशा बड़ी कंपनी 🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷के नाम के पीछे भी 🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌷लिमिटेड लिखा होता है🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

©PURAN SING‌H CHILWAL

#sad_shayari विचार अगर अच्छे हैं तो अपना मन ही मंदिर है आचरण अगर अच्छा है तो अपना तन ही मंदिर है व्यवहार अगर अच्छा है तो अपना धन ही मंदिर ह

558 View

#मोटिवेशनल #GoodMorning  White रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 19-37 
{Bolo Ji Radhey Radhey}

📙 रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता, इसलिये मैंने यह काम किया था। माता गान्‍धारी ! आपको मुझमें दोष की आशड्bका नहीं करनी चाहिये। पहले जब हम लोगों ने काई अपराध नहीं किया था, उस समय हम पर अत्‍याचार करने वाले अपने पुत्रों-को तो आपने रोका नही; फिर इस समय आप क्‍यों मुझ पर दोषा रोपण करती है.

📙 गान्‍धार्युवाच गान्‍धारी बोलीं—बेटा ! तुम अपराजित वीर हो। तुमने इन बूढ़े महाराज के सौ पुत्रों को मारते समय कि‍सी एक को भी, जिसने बहुत थोड़ा अपराध किया था, क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? तात ! हम दोनों बूढ़े हुए। हमारा राज्‍य भी तुमने छीन लिया। ऐसी दशा में हमारी एक ही संतान को—हम दो अन्‍धों के लिये एक ही लाठी के सहारे को तुमने क्‍यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? 

📙 तात ! तुम मेरे सारे पुत्रों के लिये यमराज बन गये। यदि तुम धर्म का आचरण करते और मेरा एक पुत्र भी शेष रह जाता तो मुझे इतना दु:ख नहीं होता। वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं-राजन्! भीमसेन से ऐसा कहकर अपने पुत्रों और पौत्रों और पौत्रों के वध से पीडित हुई गान्‍धारी ने कुपित होकर पूछा—कहॉ है वह राज युधिष्ठिर।

📙 यह सुनकर महाराज युधिष्ठिर कॉंपते हुए हाथ जोड़े उनके सामने आये और बड़ी मीठी वाणी में बोले—देवि ! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर मैं हूँ। पृथ्‍वी भर के राजाओं का नाश कराने में मैं ही हेतु हूँ, इसलिये शाप के योग्‍य हूँ।

📙 आप मुझे शाप दे दीजिये। मैं अपने सुह्रदों का द्रोही और अविवकी हूँ। वैसे-वैसे श्रेष्‍ठ सुह्रदों का वधकर के अब मुझे जीवन, राज्‍य अथवा धनसे कोई प्रयोजन नहीं है’। जब निकट आकर डरे हुए राजा युधिष्‍ठर ने, ऐसी बातें कहीं, तब गान्‍धारी देवी जोर-जोर से सॉंस खींचती हुई सिसकने लगीं। वे मुँह से कुछ बोल न सकीं। राजा युधिष्ठिर शरीर को झुकाकर गान्‍धारी के चरणों पर गिर जाना चाहते थे। 

📙 इतने ही में धर्म को जानने वाली दूर-दर्शिनी देवी गान्‍धारी ने पट्टी के भीतर से ही राजा युधिष्ठिर के पैरों की अगुलियों के अग्रभाग देख लिये। इतने ही से राजा के नख काले पड़ गये। इसके पहले उनके नख बड़े ही सुन्‍दर और दर्शनीय थे। उनकी यह अवस्‍था देख अर्जुन भगवान् श्रीकृष्‍ण के पीछे जाकर छिप गये। 

📙 भारत ! उन्‍हें इस प्रकार इधर-उधर छिपने की चेष्‍टा करते देख गान्‍धारी का क्रोध उतर गया और उन्‍होंने उन सबको स्‍नेहमयी माता के समान सान्‍त्‍वना दी। फिर उनकी आज्ञा ले चौड़ी छाती वाले सभी पाण्‍ड वन एक साथ वीर जननी माता कुन्‍ती के पास गये। कुन्‍ती देवी दीर्घकाल के बाद अपने पुत्रों को देखकर उनके कष्‍टों का स्‍मरण करके करुणाbमें डूब गयीं और आचल से मुँह ढककर ऑंसू बहाने लगीं।

📙 पुत्रों सहित ऑंसू बहाकर उन्‍होंने उनके शरीरों पर बारबार दृष्टिपात कि‍या। वे सभी अस्‍त्र-शस्त्रों की चोट से घायल हो रहे थे। बारी-बारी से पुत्रों के शरीर पर बारंबार हाथ फेरती हुई कुन्‍ती दु:खसे आतुर हो उस द्रौपदी के लिय शोक करने लगी, जिसके सभी पुत्र मारे गये थे। इतने में ही उन्‍होंने देखा कि द्रौपदी पास ही पृथ्‍वी पर गिरकर रो रही है।

📙 द्रौपद्युवाच द्रौपदी बोली-आयें ! अभिमन्‍यु सहित वे आपके सभी पौत्र कहॉं चले गये ? वे दीर्घकाल के बाद आयी हुई आज आप तपस्विनी देवी को देखकर आपके निकट क्‍यों नहीं आ रहे हैं ? अपने पुत्रों से हीन होकर अब इस राज्‍य से हमें क्‍या कार्य है ?

©N S Yadav GoldMine

#GoodMorning रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्ष‍त्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Rad

99 View

#Motivational #आचरण  White शिलाचार  केवल अपने बड़ों के साथ हीं नहीं , अपने से छोटे के साथ भी होना चाहिए। छोटे  उम्र के आदमी से बस इसलिए  आचरण अलग हो कि कालचक्र में उसका नंबर बाद में हो । इस हिसाब से  किसी भी व्यक्ति को अपमानित नहीं किया जाना चाहिए। घर में छोटा हीं हो पर अगर विशिष्ट गुण धारण करने वाला हो तो उसका सम्मान होना चाहिए।  अगर उम्र में छोटा आदमी कोई विशिष्ट गुण वाला ना भी हो तब भी  उसके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार रखना चाहिए। जो काल चक्र की वजह से फलित हुआ हो उसमें व्यक्ति का क्या दोष ?

©ADITYA GAURAW

#आचरण

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#विचार #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी भी कुल में धर्म का, धर्म 
के आचरण का, अपने-पन के 
सम्मान का जब नास या पतन 
होता है, तो उस कुल को पाप, 
व अधर्म दबा लेता है।।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कुल में धर्म का, धर्म के आचरण का, अपने-पन के सम्मान का जब नास या पतन होता है, तो उस कुल को पाप,

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