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#शायरी #flowers #Lvoe  White सच्ची मोहब्बत एक जेल के कैदी की तरह होती हैं
जिसमे उम्र बीत भी जाए तो सजा पूरी नहीं होत
आज तुझे एक बात बताऊं
दिल की बात तुम्हे सुनाऊं
पास रहूँगा तेरे
तू कहे तो तेरी धड़कन बन कर
तेरे सीने में ही रह जाऊ

तुम नहीं होते हो तो बहुत खलता है
प्यार कितना है तुमसे पता चलता

©Kishore

#flowers #Lvoe शायरी लव की शायरी लव की

54 View

#शायरी  White गाँव तो बस नाम का है साहब, 
जिन्दगी बीत रही है, कमाते-कमाते।

©Komal Raikwar

जिन्दगी की कहानी

216 View

#जिन्दगी #विचार

#जिन्दगी की शुरुआत

117 View

#जिन्दगी #संघर्ष #शायरी #अनुभव #कोट्स #जीवन  White संघर्ष में तुम अनाथ हो मित्र, 
क़ाफ़िला तो सफलता के बाद उमड़ता है...

©Shankar
 White महत्वकांक्षाएं तुझें दूर ले जाएंगी सबसे
की इच्छाएं कब पूरी हुई हैं किसी की
'अंजान' जो एक आरजू दिल में
यहाँ तो खत्म ही नहीं होती जरूरत किसी   की।

©कवि: अंजान

#Night #लव #जिन्दगी #कविता #शायरी #Life #SAD #Poetry #Shayari

126 View

White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥ बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ, तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥ यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥ अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई, ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥ मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है, हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥ मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है, कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥ ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में, ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥ - मुनव्वर राना ©Saurav Kumar

#जिन्दगी #शायरी #एहसास #follow4follow #copyright  White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar
#शायरी #flowers #Lvoe  White सच्ची मोहब्बत एक जेल के कैदी की तरह होती हैं
जिसमे उम्र बीत भी जाए तो सजा पूरी नहीं होत
आज तुझे एक बात बताऊं
दिल की बात तुम्हे सुनाऊं
पास रहूँगा तेरे
तू कहे तो तेरी धड़कन बन कर
तेरे सीने में ही रह जाऊ

तुम नहीं होते हो तो बहुत खलता है
प्यार कितना है तुमसे पता चलता

©Kishore

#flowers #Lvoe शायरी लव की शायरी लव की

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#शायरी  White गाँव तो बस नाम का है साहब, 
जिन्दगी बीत रही है, कमाते-कमाते।

©Komal Raikwar

जिन्दगी की कहानी

216 View

#जिन्दगी #विचार

#जिन्दगी की शुरुआत

117 View

#जिन्दगी #संघर्ष #शायरी #अनुभव #कोट्स #जीवन  White संघर्ष में तुम अनाथ हो मित्र, 
क़ाफ़िला तो सफलता के बाद उमड़ता है...

©Shankar
 White महत्वकांक्षाएं तुझें दूर ले जाएंगी सबसे
की इच्छाएं कब पूरी हुई हैं किसी की
'अंजान' जो एक आरजू दिल में
यहाँ तो खत्म ही नहीं होती जरूरत किसी   की।

©कवि: अंजान

#Night #लव #जिन्दगी #कविता #शायरी #Life #SAD #Poetry #Shayari

126 View

White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥ बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ, तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥ यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥ अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई, ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥ मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है, हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥ मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है, कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥ ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में, ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥ - मुनव्वर राना ©Saurav Kumar

#जिन्दगी #शायरी #एहसास #follow4follow #copyright  White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar
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