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#वीडियो  Dr. Babasaheb Ambedkar: Writings and Speeches, Vol. 3: Buddha or Karl Marx

War is wrong unless it is for truth and justice.


डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर: लेखन और भाषण, खंड 3: बुद्ध या कार्ल मार्क्स

युद्ध तब तक गलत है जब तक वह सत्य और न्याय के लिए न हो।

Original photo of Dr. B. R. Ambedkar as a student. 
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की विद्यार्थी के रूप में मूल तस्वीर।

©Raj kumar kumar

Dr. Babasaheb Ambedkar: Writings and Speeches, Vol. 3: Buddha or Karl Marx War is wrong unless it is for truth and justice. डॉ. बाबासाहेब

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रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित । खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।। हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी । लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।। सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन । भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।। आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन । किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।। रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते । करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।। कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे। आये सुख की भोर,  मेघ गायें रातों पे ।। बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा । चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  रोला छन्द :- भीषण गर्मी :-

कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी ।
पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।।

हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित ।
खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।।

हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी ।
लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।।

सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन ।
भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।।

आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन ।
किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।।

रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते ।
करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।।

कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे।
आये सुख की भोर,  मेघ गायें रातों पे ।।

बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा ।
चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छ

11 Love

#viral_video #viralpost #trnding #Videos #Video

लोकसभा चुनाव का दूसरा फेस करीब आते आते उत्तर प्रदेश में हिंदू मुसलमान को लेकर राजनीति तेज हो गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार

126 View

#लालबहादुरशास्त्री #लोकतंत्र #अदनासा #हिंदी #कविता #नेता  Men walking on dark street निरंकुश हर सत्ता को जनता का जवाब

जनता को पंगु बनाती फ्री का राशन,
और फ्री विद फियर का भाषण नही,
मेहनत के बुते कमाई हुई दाल रोटी,
काम, मकान और रोज़गार चाहिए।
हमें अनेकों धार्मिक स्थलों से ज़्यादा,
महाविद्यालय और अस्पताल चाहिए,
लघु परंतु प्रभावी व्यवसाय के साथ,
अच्छी शिक्षा अच्छा शासन चाहिए।
ये जात-पात ऊंच-नीच की जंग नही,
मानवता एवं एकता का संग चाहिए,
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही नही,
एक और लाल बहादुर शास्त्री चाहिए।

©अदनासा-
#वीडियो  Dr. Babasaheb Ambedkar: Writings and Speeches, Vol. 3: Buddha or Karl Marx

War is wrong unless it is for truth and justice.


डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर: लेखन और भाषण, खंड 3: बुद्ध या कार्ल मार्क्स

युद्ध तब तक गलत है जब तक वह सत्य और न्याय के लिए न हो।

Original photo of Dr. B. R. Ambedkar as a student. 
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की विद्यार्थी के रूप में मूल तस्वीर।

©Raj kumar kumar

Dr. Babasaheb Ambedkar: Writings and Speeches, Vol. 3: Buddha or Karl Marx War is wrong unless it is for truth and justice. डॉ. बाबासाहेब

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रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित । खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।। हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी । लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।। सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन । भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।। आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन । किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।। रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते । करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।। कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे। आये सुख की भोर,  मेघ गायें रातों पे ।। बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा । चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  रोला छन्द :- भीषण गर्मी :-

कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी ।
पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।।

हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित ।
खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।।

हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी ।
लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।।

सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन ।
भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।।

आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन ।
किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।।

रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते ।
करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।।

कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे।
आये सुख की भोर,  मेघ गायें रातों पे ।।

बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा ।
चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छ

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और फ्री विद फियर का भाषण नही,
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हमें अनेकों धार्मिक स्थलों से ज़्यादा,
महाविद्यालय और अस्पताल चाहिए,
लघु परंतु प्रभावी व्यवसाय के साथ,
अच्छी शिक्षा अच्छा शासन चाहिए।
ये जात-पात ऊंच-नीच की जंग नही,
मानवता एवं एकता का संग चाहिए,
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही नही,
एक और लाल बहादुर शास्त्री चाहिए।

©अदनासा-
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