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New लम्हों पर कविता Status, Photo, Video

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#election #car  White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार।
मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार।
केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार।
कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार।
अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार।

©Sapna Meena

#car चुनाव 2024 पर कविता

126 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope
#शायरी #Couple  White गुज़रते लम्हों के साथ,
तेरे इश्क़ की महक
मेरे तन मन को महका रही है।।

©Kiran Chaudhary

गुज़रते लम्हों के साथ।। #Couple

135 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#कविता

कविता

441 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#election #car  White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार।
मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार।
केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार।
कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार।
अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार।

©Sapna Meena

#car चुनाव 2024 पर कविता

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#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope
#शायरी #Couple  White गुज़रते लम्हों के साथ,
तेरे इश्क़ की महक
मेरे तन मन को महका रही है।।

©Kiran Chaudhary

गुज़रते लम्हों के साथ।। #Couple

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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#कविता

कविता

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#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

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