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New डायलॉग्स ऑफ चंद्रशेखर आजाद Status, Photo, Video

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#कविता #mothers_day  White "जब भी संकट आता है
 कोई जीवन में मेरे
ना मंदिर जाता हूं 
 ना मस्जिद जाता हूं 
जब मां थी तो 
मां के पास जाता था 
आज मां नहीं है तो 
मां का ध्यान किया करता हूं 
मां के आशीर्वाद के सहारे 
हर मुश्किल पर 
आसानी से पार पा जाता हूं।""सभी को मदर्स डे की आजाद शुभकामनाएं।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#mothers_day आजाद शुभकामनाएं

117 View

#कविता #Free  White आज मै आज़ाद हूं,
अपना कर्तव्य चुनने के वास्ते
अपना मौलिक अधिकार चुनने के वास्ते
मै आज़ाद हूं...
मुझे अधिकार है किधर जाना है,
मुझे अधिकार है कि क्या पाना है,
मुझे अधिकार है किससे रुठूं किसे मनाना है
मुझे अधिकार है..मै आज़ाद हूं
अपने शिखर तक जाऊंगा
जो किसी ने नही पाया वो पाउंगा,
थोड़ा देर लगेगी पर जीत ही जाउंगा,
पर हारा हुआ लौटकर वापिस घर नहि आउंगा
मुझे अधिकार है..!!

©HARSH369

#Free मैं आजाद हूं

117 View

#karanrayup #lyrics #Shorts

आजाद कर देम #karanrayup 💯 #Shorts #lyrics

99 View

#लव❤ #लव #ऑफ #City  White एक शहर बसा है ,
दिल में मेरे ,
मकान हजारों तेरे नाम के है,
जमीं पर हम खड़े है तेरे दीदार के
लिए तो आसमान पर सितारे
सजे है तेरे सत्कार के लिए

©पथिक..

अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे, मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, फूल कलियों से चमन में ताज़गी है, दुआओं के इत्र से आबाद हूँ अब, चाँदनी उतरी है दिल के दरीचे में, लग रहा जैसे कोई महताब हूँ अब, जलने वाले इस क़दर हैरानगी से, देखते जैसे कोई तेजाब हूँ अब, झुकाते हैं शीश दरवाजे पे आकर, नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब, ख़त्म दौर-ए-जहाँ का करके गुंजन, ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #आजाद  अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, 
बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, 

नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे,
मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, 

फूल कलियों से  चमन में  ताज़गी है, 
दुआओं  के  इत्र  से  आबाद हूँ  अब, 

चाँदनी  उतरी  है  दिल  के  दरीचे में, 
लग रहा  जैसे  कोई  महताब हूँ अब, 

जलने  वाले  इस  क़दर  हैरानगी से, 
देखते  जैसे   कोई   तेजाब  हूँ  अब, 

झुकाते  हैं  शीश  दरवाजे पे आकर, 
नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब,

ख़त्म  दौर-ए-जहाँ का  करके गुंजन,
ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, 
      --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#आजाद हूँ अब#

13 Love

#कॉमेडी #ये

#ये होता है गार्ड ऑफ ऑनर

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#कविता #mothers_day  White "जब भी संकट आता है
 कोई जीवन में मेरे
ना मंदिर जाता हूं 
 ना मस्जिद जाता हूं 
जब मां थी तो 
मां के पास जाता था 
आज मां नहीं है तो 
मां का ध्यान किया करता हूं 
मां के आशीर्वाद के सहारे 
हर मुश्किल पर 
आसानी से पार पा जाता हूं।""सभी को मदर्स डे की आजाद शुभकामनाएं।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#mothers_day आजाद शुभकामनाएं

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#कविता #Free  White आज मै आज़ाद हूं,
अपना कर्तव्य चुनने के वास्ते
अपना मौलिक अधिकार चुनने के वास्ते
मै आज़ाद हूं...
मुझे अधिकार है किधर जाना है,
मुझे अधिकार है कि क्या पाना है,
मुझे अधिकार है किससे रुठूं किसे मनाना है
मुझे अधिकार है..मै आज़ाद हूं
अपने शिखर तक जाऊंगा
जो किसी ने नही पाया वो पाउंगा,
थोड़ा देर लगेगी पर जीत ही जाउंगा,
पर हारा हुआ लौटकर वापिस घर नहि आउंगा
मुझे अधिकार है..!!

©HARSH369

#Free मैं आजाद हूं

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#karanrayup #lyrics #Shorts

आजाद कर देम #karanrayup 💯 #Shorts #lyrics

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#लव❤ #लव #ऑफ #City  White एक शहर बसा है ,
दिल में मेरे ,
मकान हजारों तेरे नाम के है,
जमीं पर हम खड़े है तेरे दीदार के
लिए तो आसमान पर सितारे
सजे है तेरे सत्कार के लिए

©पथिक..

अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे, मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, फूल कलियों से चमन में ताज़गी है, दुआओं के इत्र से आबाद हूँ अब, चाँदनी उतरी है दिल के दरीचे में, लग रहा जैसे कोई महताब हूँ अब, जलने वाले इस क़दर हैरानगी से, देखते जैसे कोई तेजाब हूँ अब, झुकाते हैं शीश दरवाजे पे आकर, नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब, ख़त्म दौर-ए-जहाँ का करके गुंजन, ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #आजाद  अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, 
बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, 

नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे,
मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, 

फूल कलियों से  चमन में  ताज़गी है, 
दुआओं  के  इत्र  से  आबाद हूँ  अब, 

चाँदनी  उतरी  है  दिल  के  दरीचे में, 
लग रहा  जैसे  कोई  महताब हूँ अब, 

जलने  वाले  इस  क़दर  हैरानगी से, 
देखते  जैसे   कोई   तेजाब  हूँ  अब, 

झुकाते  हैं  शीश  दरवाजे पे आकर, 
नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब,

ख़त्म  दौर-ए-जहाँ का  करके गुंजन,
ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, 
      --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#आजाद हूँ अब#

13 Love

#कॉमेडी #ये

#ये होता है गार्ड ऑफ ऑनर

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