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कमर करें लचा लच Actor singer writer Chandradeep lal Yadav bhojpuri video hot videos hd videos videos gana videos

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*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  *विधा     सरसी छन्द आधारित गीत*

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी ....

पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह ।
खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।।
आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव ।
जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव ।
आओ लौट चलें अब साथी .....

स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय ।
सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।।
यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव ।
देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह ।
मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।।
अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव ।
सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी .....

झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख ।
गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।।
वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव ।
मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।।
आओ लौट चलें साथी अब ...

कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव ।
एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।।
और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव ।
अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...

15 Love

#वीडियो

कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन ने कसी कमर

117 View

#beingoriginal #nojotohindi #poem  कत्ल आँखों से हो या कमर से, मचल ही जाता है, 
नया मुर्गा भरे यौवन में फिसल ही जाता है! 
....... Er. Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey

कत्ल कमर से #beingoriginal #nojotohindi #Love #poem

432 View

#nojotohindipoetry #दोहे #खर्च #nojotohindi #Anshu  खर्च (दोहे)

खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर।
कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।।

खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर।
जीवन यह बद्तर लगे, कैसा यह दस्तूर।।

दिन प्रतिदिन कीमत बढ़े, खर्चों का विस्तार।
जिन्हें नौकरी है नहीं, माने दिल से हार।।

खुद को भी पीड़ित करें, कुछ औरों को जान।
लूट करें वे शान से, बनते हैं नादान।।

खर्चों के वश में सभी, कुछ करते तकरार।
जीवन में उलझन बढ़े, घटना के आसार।।

यही विवश्ता तोड़ती, अपनों के संबंध।
प्रेम भाव से दूर हैं, आती है दुर्गंध।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#खर्च #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों

225 View

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कमर करें लचा लच Actor singer writer Chandradeep lal Yadav bhojpuri video hot videos hd videos videos gana videos

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*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  *विधा     सरसी छन्द आधारित गीत*

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी ....

पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह ।
खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।।
आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव ।
जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव ।
आओ लौट चलें अब साथी .....

स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय ।
सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।।
यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव ।
देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह ।
मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।।
अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव ।
सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी .....

झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख ।
गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।।
वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव ।
मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।।
आओ लौट चलें साथी अब ...

कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव ।
एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।।
और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव ।
अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...

15 Love

#वीडियो

कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन ने कसी कमर

117 View

#beingoriginal #nojotohindi #poem  कत्ल आँखों से हो या कमर से, मचल ही जाता है, 
नया मुर्गा भरे यौवन में फिसल ही जाता है! 
....... Er. Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey

कत्ल कमर से #beingoriginal #nojotohindi #Love #poem

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#nojotohindipoetry #दोहे #खर्च #nojotohindi #Anshu  खर्च (दोहे)

खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर।
कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।।

खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर।
जीवन यह बद्तर लगे, कैसा यह दस्तूर।।

दिन प्रतिदिन कीमत बढ़े, खर्चों का विस्तार।
जिन्हें नौकरी है नहीं, माने दिल से हार।।

खुद को भी पीड़ित करें, कुछ औरों को जान।
लूट करें वे शान से, बनते हैं नादान।।

खर्चों के वश में सभी, कुछ करते तकरार।
जीवन में उलझन बढ़े, घटना के आसार।।

यही विवश्ता तोड़ती, अपनों के संबंध।
प्रेम भाव से दूर हैं, आती है दुर्गंध।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#खर्च #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों

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