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#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ #शायरी

#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ ✍️ स्वरचितCopyright ©️ Basant

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#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ #शायरी

#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ ✍️ स्वरचितCopyright ©️ Basant

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इस ऋतु बसंत की आड़ में अगर तुम चाहो तो इक रोज हम भी मिलेंगे, बसंत के असंख्य कुसुमों के बीच दो फूल हम भी खिलेंगे। ये ऋतुराज स्थिर रहे या ना रहे, हम अपनी वस्ल का ये सिलसिला हर मौसम में भी जारी रखेंगे। तुम अगर चाहो तो, मिलकर कुछ गीत भी प्रेम के गुनगुनाते रहेंगे। जिस तरह आकाश घिर जाता है मेघों की ओट से, हम भी उसी भांति प्रणय से घिर जाएंगे। ताउम्र ये हाथ तुम्हारे हाथों में ही रहे , इसलिए इक रोज इसी प्रणय के साथ, परिणय सूत्र में बंध जाएंगे। तुम अगर चाहो तो, इस ऋतु बसंत की आड़ में इक रोज हम भी मिलेंगे ।। ©D.R. divya (Deepa)

#ज़िन्दगी #Trending #Basant #you  इस ऋतु बसंत की आड़ में अगर तुम चाहो तो इक रोज हम भी मिलेंगे,
   बसंत के असंख्य कुसुमों के बीच दो फूल हम भी खिलेंगे।
   ये ऋतुराज स्थिर रहे या ना रहे,
 हम अपनी वस्ल का ये सिलसिला हर मौसम में भी जारी रखेंगे।
       तुम अगर चाहो तो,
 मिलकर कुछ गीत भी प्रेम के गुनगुनाते रहेंगे।
 जिस तरह आकाश घिर जाता है मेघों की ओट से,
   हम भी उसी भांति प्रणय से घिर जाएंगे।
ताउम्र ये हाथ तुम्हारे हाथों में ही रहे ,
    इसलिए इक रोज इसी प्रणय के साथ,
परिणय सूत्र में बंध जाएंगे।
 तुम अगर चाहो तो,
    इस ऋतु बसंत की आड़ में इक रोज हम भी मिलेंगे ।।

©D.R. divya (Deepa)

#Basant #Love #Life #you #Trending

15 Love

#nutannaval #muktak #Basant  मुक्तक
खिल गए पुष्प फिर से बसंत में।
सौंधी सी महक फिर से बसंत में।
कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई।
सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में।

©Dr Nutan Sharma Naval
#कविता #Nature #Basant #agni  पलाश के वनों का फूलों से खिल जाना
 आम के बागों का बौर से लद जाना
सरसों का पीलापन और बालियों का मुस्काना
इसका मतलब है फिर बसंत का आ जाना
 
                   ----सौमित्र तिवारी

©Saumitra Tiwari
#मुक्तक_श्रृंखला #nutannaval #Basant  मुक्तक
खिल गए पुष्प फिर से बसंत में।
सौंधी सी महक फिर से बसंत में।
कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई।
सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में।

©Dr Nutan Sharma Naval
#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ #शायरी

#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ ✍️ स्वरचितCopyright ©️ Basant

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#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ #शायरी

#मेरे_अनकहे_अल्फाज़ ✍️ स्वरचितCopyright ©️ Basant

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इस ऋतु बसंत की आड़ में अगर तुम चाहो तो इक रोज हम भी मिलेंगे, बसंत के असंख्य कुसुमों के बीच दो फूल हम भी खिलेंगे। ये ऋतुराज स्थिर रहे या ना रहे, हम अपनी वस्ल का ये सिलसिला हर मौसम में भी जारी रखेंगे। तुम अगर चाहो तो, मिलकर कुछ गीत भी प्रेम के गुनगुनाते रहेंगे। जिस तरह आकाश घिर जाता है मेघों की ओट से, हम भी उसी भांति प्रणय से घिर जाएंगे। ताउम्र ये हाथ तुम्हारे हाथों में ही रहे , इसलिए इक रोज इसी प्रणय के साथ, परिणय सूत्र में बंध जाएंगे। तुम अगर चाहो तो, इस ऋतु बसंत की आड़ में इक रोज हम भी मिलेंगे ।। ©D.R. divya (Deepa)

#ज़िन्दगी #Trending #Basant #you  इस ऋतु बसंत की आड़ में अगर तुम चाहो तो इक रोज हम भी मिलेंगे,
   बसंत के असंख्य कुसुमों के बीच दो फूल हम भी खिलेंगे।
   ये ऋतुराज स्थिर रहे या ना रहे,
 हम अपनी वस्ल का ये सिलसिला हर मौसम में भी जारी रखेंगे।
       तुम अगर चाहो तो,
 मिलकर कुछ गीत भी प्रेम के गुनगुनाते रहेंगे।
 जिस तरह आकाश घिर जाता है मेघों की ओट से,
   हम भी उसी भांति प्रणय से घिर जाएंगे।
ताउम्र ये हाथ तुम्हारे हाथों में ही रहे ,
    इसलिए इक रोज इसी प्रणय के साथ,
परिणय सूत्र में बंध जाएंगे।
 तुम अगर चाहो तो,
    इस ऋतु बसंत की आड़ में इक रोज हम भी मिलेंगे ।।

©D.R. divya (Deepa)

#Basant #Love #Life #you #Trending

15 Love

#nutannaval #muktak #Basant  मुक्तक
खिल गए पुष्प फिर से बसंत में।
सौंधी सी महक फिर से बसंत में।
कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई।
सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में।

©Dr Nutan Sharma Naval
#कविता #Nature #Basant #agni  पलाश के वनों का फूलों से खिल जाना
 आम के बागों का बौर से लद जाना
सरसों का पीलापन और बालियों का मुस्काना
इसका मतलब है फिर बसंत का आ जाना
 
                   ----सौमित्र तिवारी

©Saumitra Tiwari
#मुक्तक_श्रृंखला #nutannaval #Basant  मुक्तक
खिल गए पुष्प फिर से बसंत में।
सौंधी सी महक फिर से बसंत में।
कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई।
सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में।

©Dr Nutan Sharma Naval
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