. वर्ष प्रतिपदा
बहार से सजी है धरती,
जन मन में भी हर्ष है,
स्नेह सुधा, खुशहाली वाला
यह भारतीय नववर्ष है..... (2)
माँ दुर्गा के स्वरूपो से जहाँ
होती वर्ष की शुरुआत है,
इस संपूर्ण जगत में कहाँ
इससे सुंदर बात है,
आज ही तो ब्रह्मा जी ने
इस सृष्टि का निर्माण किया था,
कण कण और जड़ चेतन में
नव चैतन्य, प्राण दिया था,
आधुनिकता की इस दौड़ में क्यों
हम संस्कृति अपनी भूल जाते है,
ठिठुरती सर्दी में मद मस्त होकर
क्यों विदेशी नववर्ष मनाते है।
नवऊर्जा उत्साह नव प्रतिपदा
है आदि अनादि और सर्वदा,
इसमें ही तो सबका उत्कर्ष है
यह भारतीय नववर्ष है
यह भारतीय नववर्ष है।
~ सौरव
©कुमार सौरव
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