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New अमर्यादित का पर्यायवाची Status, Photo, Video

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#शायरी

चेन्नई का समुद्र का नजारा

99 View

प्रेम योगी हैं बहुत कम बिना इनके पड़े अकाल योग करने का नहीं दम इसलिए है जिस्म जाल । योग युग का या स्वयं का बन गया अद्भुत कमाल , योग मेरा और तुम्हारा बन रहा प्रतिपल मिशाल । प्रेम भोगी हैं बहुत सारे जो भोगें गम मलाल , जिन्हें प्रिय हैं खूबसूरत शक्ल और गुलाबी गाल । बिना प्रेम भोगे गले ना किसी की नौजवां दाल इसलिए सदियों से चलती आ रही प्रिय प्रेम चाल । इस मिलन का योग है भोग में निश्चित दलाल , योग युग का या स्वयं का बन गया अद्भुत कमाल । . ©Ajay Tanwar Mehrana

#योग #युग #का  प्रेम योगी हैं बहुत कम 
बिना इनके पड़े अकाल
 योग करने का नहीं दम
इसलिए है जिस्म जाल ।

योग युग का या स्वयं का
बन गया अद्भुत कमाल ,
 योग मेरा और तुम्हारा 
बन रहा प्रतिपल मिशाल ।

प्रेम भोगी हैं बहुत सारे 
जो भोगें गम मलाल ,
जिन्हें प्रिय हैं खूबसूरत 
शक्ल और गुलाबी गाल ।

बिना प्रेम भोगे गले ना 
किसी की नौजवां दाल
इसलिए सदियों से चलती 
आ रही प्रिय प्रेम चाल ।

इस मिलन का योग है 
भोग में निश्चित दलाल ,
योग युग का या स्वयं का 
बन गया अद्भुत कमाल ।
.

©Ajay Tanwar Mehrana

#योग #युग #का या स्वयं का

18 Love

#प्रभुश्रीराम #गोदी_मीडिया #पुरुषोत्तम #अमर्यादित #राजनीति #मर्यादा  Jai Shri Ram "कृपया मर्यादा में रहकर अपनी बात कहे" 

"मर्यादा" अपने आप में एक आदर्श शब्द है, क्योंकि "मर्यादा" शब्द का सीधा संबंध , त्रेतायुग के महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम से है, मैं स्वयं सर्वप्रथम मर्यादा शब्द का परिचय, प्रभु श्री राम के नाम से पहले हुआ, इसलिए जब भी मर्यादा शब्द सुनता हूं तो मुझे हर समय मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का स्मरण होता है।
लेकिन कलयुग आते-आते प्रभु श्री राम एवं उनके चरित्र का एक भाग अर्थात "मर्यादा" , इन दोनों ही का उपयोग, अपने-अपने हित को साधने के लिए भारत वर्ष में, वर्तमान काल तक जारी है।

 इन दोनों ही नाम अर्थात "राम" एवं "मर्यादा" का प्रयोग धार्मिक प्रयोजन में हो तो उत्तम लाभ प्राप्त होता है, परंतु जैसे ही इन दोनों का उपयोग राजनीति में नेताओं के द्वारा, एवं धर्म क्षेत्र में चंद पाखंडियों द्वारा होता है, तो अधम हानि को प्राप्त होता है।

"मर्यादा" शब्द का प्रयोग हमारी मुख्य धारा के समाचार चैनलों पर सबसे ज़्यादा किया गया, जिसमें देश की भावनाओं को कुरेदने वाले कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, ऐसे लोगों को निमंत्रित किया जाता है, जो अमर्यादित भाषा के शिरोमणि हो।

परंतु जैसे ही निमंत्रित मेहमान, अपने उच्च कोटि की अमर्यादित भाषा बोल लेता है, तब तक समाज में बहुत से लोगों तक यह अमर्यादित भाषा पहुंच जाती है, यह सिलसिला दस साल से लगातार हो रहा है, जब यह रायता फैलता रहता है, उसके बाद देश के तथाकथित स्वयंभू नंबर वन समाचार चैनलों के हमारे होनहार चाटुकार ऐंकर और ऐंकरा यह कहना नहीं भूलते कि, "कृपया मर्यादा में रहकर अपनी बात कहे" वैसे वर्तमान में हर चीज़ ही अमर्यादित हो रही है, फ़िर भी मैं यही कहूंगा, कृपया प्रभु श्री राम का स्मरण रखें एवं मर्यादा का पालन करें।

©अदनासा-
#वीडियो

बेगम का भर्ता बैगन का भर्ता

63 View

#कॉमेडी  पुजारा खाना बहुत धीरे-धीरे खाते हैं क्यू कि धीरे-धीरे खाने से टेस्ट आता है और वो भी टेस्ट के वह खिलाड़ी हैं।

©Jit

टेस्ट का नहीं टेस्ट का है मामला

63 View

#भक्ति #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ 
और आनंदमय है. आनंद बाहर 
से नहीं आता, आनन्द ही 
भगवान श्री कृष्ण जी  का 
पर्यायवाची नाम है।।

©N S Yadav GoldMine

#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य

108 View

#शायरी

चेन्नई का समुद्र का नजारा

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प्रेम योगी हैं बहुत कम बिना इनके पड़े अकाल योग करने का नहीं दम इसलिए है जिस्म जाल । योग युग का या स्वयं का बन गया अद्भुत कमाल , योग मेरा और तुम्हारा बन रहा प्रतिपल मिशाल । प्रेम भोगी हैं बहुत सारे जो भोगें गम मलाल , जिन्हें प्रिय हैं खूबसूरत शक्ल और गुलाबी गाल । बिना प्रेम भोगे गले ना किसी की नौजवां दाल इसलिए सदियों से चलती आ रही प्रिय प्रेम चाल । इस मिलन का योग है भोग में निश्चित दलाल , योग युग का या स्वयं का बन गया अद्भुत कमाल । . ©Ajay Tanwar Mehrana

#योग #युग #का  प्रेम योगी हैं बहुत कम 
बिना इनके पड़े अकाल
 योग करने का नहीं दम
इसलिए है जिस्म जाल ।

योग युग का या स्वयं का
बन गया अद्भुत कमाल ,
 योग मेरा और तुम्हारा 
बन रहा प्रतिपल मिशाल ।

प्रेम भोगी हैं बहुत सारे 
जो भोगें गम मलाल ,
जिन्हें प्रिय हैं खूबसूरत 
शक्ल और गुलाबी गाल ।

बिना प्रेम भोगे गले ना 
किसी की नौजवां दाल
इसलिए सदियों से चलती 
आ रही प्रिय प्रेम चाल ।

इस मिलन का योग है 
भोग में निश्चित दलाल ,
योग युग का या स्वयं का 
बन गया अद्भुत कमाल ।
.

©Ajay Tanwar Mehrana

#योग #युग #का या स्वयं का

18 Love

#प्रभुश्रीराम #गोदी_मीडिया #पुरुषोत्तम #अमर्यादित #राजनीति #मर्यादा  Jai Shri Ram "कृपया मर्यादा में रहकर अपनी बात कहे" 

"मर्यादा" अपने आप में एक आदर्श शब्द है, क्योंकि "मर्यादा" शब्द का सीधा संबंध , त्रेतायुग के महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम से है, मैं स्वयं सर्वप्रथम मर्यादा शब्द का परिचय, प्रभु श्री राम के नाम से पहले हुआ, इसलिए जब भी मर्यादा शब्द सुनता हूं तो मुझे हर समय मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का स्मरण होता है।
लेकिन कलयुग आते-आते प्रभु श्री राम एवं उनके चरित्र का एक भाग अर्थात "मर्यादा" , इन दोनों ही का उपयोग, अपने-अपने हित को साधने के लिए भारत वर्ष में, वर्तमान काल तक जारी है।

 इन दोनों ही नाम अर्थात "राम" एवं "मर्यादा" का प्रयोग धार्मिक प्रयोजन में हो तो उत्तम लाभ प्राप्त होता है, परंतु जैसे ही इन दोनों का उपयोग राजनीति में नेताओं के द्वारा, एवं धर्म क्षेत्र में चंद पाखंडियों द्वारा होता है, तो अधम हानि को प्राप्त होता है।

"मर्यादा" शब्द का प्रयोग हमारी मुख्य धारा के समाचार चैनलों पर सबसे ज़्यादा किया गया, जिसमें देश की भावनाओं को कुरेदने वाले कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, ऐसे लोगों को निमंत्रित किया जाता है, जो अमर्यादित भाषा के शिरोमणि हो।

परंतु जैसे ही निमंत्रित मेहमान, अपने उच्च कोटि की अमर्यादित भाषा बोल लेता है, तब तक समाज में बहुत से लोगों तक यह अमर्यादित भाषा पहुंच जाती है, यह सिलसिला दस साल से लगातार हो रहा है, जब यह रायता फैलता रहता है, उसके बाद देश के तथाकथित स्वयंभू नंबर वन समाचार चैनलों के हमारे होनहार चाटुकार ऐंकर और ऐंकरा यह कहना नहीं भूलते कि, "कृपया मर्यादा में रहकर अपनी बात कहे" वैसे वर्तमान में हर चीज़ ही अमर्यादित हो रही है, फ़िर भी मैं यही कहूंगा, कृपया प्रभु श्री राम का स्मरण रखें एवं मर्यादा का पालन करें।

©अदनासा-
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बेगम का भर्ता बैगन का भर्ता

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#कॉमेडी  पुजारा खाना बहुत धीरे-धीरे खाते हैं क्यू कि धीरे-धीरे खाने से टेस्ट आता है और वो भी टेस्ट के वह खिलाड़ी हैं।

©Jit

टेस्ट का नहीं टेस्ट का है मामला

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#भक्ति #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ 
और आनंदमय है. आनंद बाहर 
से नहीं आता, आनन्द ही 
भगवान श्री कृष्ण जी  का 
पर्यायवाची नाम है।।

©N S Yadav GoldMine

#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य

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