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New आँखों के इशारे Status, Photo, Video

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#शायरी #matangiupadhyay #thought #my  आंखो से मोहब्बत के इशारे निकल आए ,
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए।

©Matangi Upadhyay( चिंका )

आंखो से मोहब्बत के इशारे निकल आए ,❤️ #matangiupadhyay #Nojoto #thought #my #Love #शायरी

216 View

#matangiupadhyay #thought #poem  आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए 
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए

©Matangi Upadhyay( चिंका )

मोहब्बत के इशारे निकल आए ❤️ #matangiupadhyay #Nojoto #poem #thought

144 View

#शायरी #आँखों  आँखों से ओझल
------------------

किसी शक़्स के बेहद करीब आने को बेताब रहनेवालों से वक़्त पर आँखों से ओझल हो जाने का हुनर कोई इनसे सीखे

मनीष राज

©Manish Raaj

#आँखों से ओझल

117 View

#AnjaliSinghal

"हासिल करना दिल का मक़सद नहीं, पर उनका दीदार पाना आँखों का ख़्वाब है! आँखों के इस ख़्वाब से दिल अभी अंजान है, क्योंकि दिलों को मिलाना आँखों

180 View

#आँसुओं #कविता #आँखों #कतरा #कहने #बहने  White आँखों के आँसुओं को,कतरा कतरा बहने दो।
घाव जिगर के कुछ कम नही हैं, कुछ तो कहने दो।।

©Shubham Bhardwaj

परिधानों से लाज ढाँपती नज़रों में छुप जाती थी, लज्जा बसती थी आँखों में मन ही मन सकुचाती थी, पर्दे के पीछे का सच भी डर की जद में सिमटा था, लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी, बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, खेतों की मेड़ों पर चलती इठलाती बलखाती थी, सावन में मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, देख आईने में ख़ुद को नटखट कितनी शर्माती थी, प्रेम और विश्वास अडिग वादे थे जीने मरने के, रूप सलोना फूलों सा कितनी सुंदर कद-काठी थी, माँ बाबूजी भैया भाभी सबके मन में रची-बसी, सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी, भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन', बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ •प्र • ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #लज्जा  परिधानों  से  लाज  ढाँपती
                                 नज़रों में छुप जाती थी, 
                             लज्जा बसती थी आँखों में 
                               मन ही मन सकुचाती थी,

पर्दे के पीछे का सच भी  डर की जद में सिमटा था, 
लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी,

बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, 
खेतों की  मेड़ों पर  चलती  इठलाती  बलखाती थी,

सावन  में  मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, 
देख  आईने में  ख़ुद को  नटखट कितनी शर्माती थी,

प्रेम  और  विश्वास  अडिग  वादे  थे   जीने मरने  के,
रूप सलोना फूलों सा  कितनी सुंदर  कद-काठी थी,

माँ  बाबूजी  भैया  भाभी  सबके  मन में  रची-बसी, 
सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी,

भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन',
बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी,
       ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ •प्र •

©Shashi Bhushan Mishra

#लज्जा बसती थी आँखों में#

16 Love

#शायरी #matangiupadhyay #thought #my  आंखो से मोहब्बत के इशारे निकल आए ,
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए।

©Matangi Upadhyay( चिंका )

आंखो से मोहब्बत के इशारे निकल आए ,❤️ #matangiupadhyay #Nojoto #thought #my #Love #शायरी

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#matangiupadhyay #thought #poem  आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए 
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए

©Matangi Upadhyay( चिंका )

मोहब्बत के इशारे निकल आए ❤️ #matangiupadhyay #Nojoto #poem #thought

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#शायरी #आँखों  आँखों से ओझल
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किसी शक़्स के बेहद करीब आने को बेताब रहनेवालों से वक़्त पर आँखों से ओझल हो जाने का हुनर कोई इनसे सीखे

मनीष राज

©Manish Raaj

#आँखों से ओझल

117 View

#AnjaliSinghal

"हासिल करना दिल का मक़सद नहीं, पर उनका दीदार पाना आँखों का ख़्वाब है! आँखों के इस ख़्वाब से दिल अभी अंजान है, क्योंकि दिलों को मिलाना आँखों

180 View

#आँसुओं #कविता #आँखों #कतरा #कहने #बहने  White आँखों के आँसुओं को,कतरा कतरा बहने दो।
घाव जिगर के कुछ कम नही हैं, कुछ तो कहने दो।।

©Shubham Bhardwaj

परिधानों से लाज ढाँपती नज़रों में छुप जाती थी, लज्जा बसती थी आँखों में मन ही मन सकुचाती थी, पर्दे के पीछे का सच भी डर की जद में सिमटा था, लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी, बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, खेतों की मेड़ों पर चलती इठलाती बलखाती थी, सावन में मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, देख आईने में ख़ुद को नटखट कितनी शर्माती थी, प्रेम और विश्वास अडिग वादे थे जीने मरने के, रूप सलोना फूलों सा कितनी सुंदर कद-काठी थी, माँ बाबूजी भैया भाभी सबके मन में रची-बसी, सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी, भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन', बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ •प्र • ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #लज्जा  परिधानों  से  लाज  ढाँपती
                                 नज़रों में छुप जाती थी, 
                             लज्जा बसती थी आँखों में 
                               मन ही मन सकुचाती थी,

पर्दे के पीछे का सच भी  डर की जद में सिमटा था, 
लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी,

बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, 
खेतों की  मेड़ों पर  चलती  इठलाती  बलखाती थी,

सावन  में  मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, 
देख  आईने में  ख़ुद को  नटखट कितनी शर्माती थी,

प्रेम  और  विश्वास  अडिग  वादे  थे   जीने मरने  के,
रूप सलोना फूलों सा  कितनी सुंदर  कद-काठी थी,

माँ  बाबूजी  भैया  भाभी  सबके  मन में  रची-बसी, 
सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी,

भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन',
बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी,
       ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ •प्र •

©Shashi Bhushan Mishra

#लज्जा बसती थी आँखों में#

16 Love

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