tags

New जिन्दगी शायरी Status, Photo, Video

Find the latest Status about जिन्दगी शायरी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about जिन्दगी शायरी.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#जिन्दगी #कोट्स  White काश जिंदगी के रंग मे भी 
इन फूलों के रंग होते
बदलते वक़्त के साथ कभी बेरंग न होते .. ।।

©RSridhiRs
#जिन्दगी #संघर्ष #शायरी #अनुभव #कोट्स #जीवन  White संघर्ष में तुम अनाथ हो मित्र, 
क़ाफ़िला तो सफलता के बाद उमड़ता है...

©Shankar
#जिन्दगी #फ़िल्म
 सीख लिया हमने, 
गैरमौजूदगी में तुम्हारे, 
जीना सीख लिया हमने, 
कौन कहता है कि , 
तुम नासमझ हो, 
मैंने तो जिन्दगी का सबसे जरूरी सबक, 
 सीखा तुमसे ही तो है मेरी जान,
रोते रोते मुस्कुराने का हुनर,,

©@manya Kashyap

#जिन्दगी #Nojoto #poem #Quote #story #Life #Life_experience #शायरी #Dard #Love 💕💕

135 View

 White महत्वकांक्षाएं तुझें दूर ले जाएंगी सबसे
की इच्छाएं कब पूरी हुई हैं किसी की
'अंजान' जो एक आरजू दिल में
यहाँ तो खत्म ही नहीं होती जरूरत किसी   की।

©कवि: अंजान

#Night #लव #जिन्दगी #कविता #शायरी #Life #SAD #Poetry #Shayari

126 View

White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥ बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ, तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥ यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥ अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई, ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥ मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है, हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥ मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है, कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥ ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में, ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥ - मुनव्वर राना ©Saurav Kumar

#जिन्दगी #शायरी #एहसास #follow4follow #copyright  White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar
#जिन्दगी #कोट्स  White काश जिंदगी के रंग मे भी 
इन फूलों के रंग होते
बदलते वक़्त के साथ कभी बेरंग न होते .. ।।

©RSridhiRs
#जिन्दगी #संघर्ष #शायरी #अनुभव #कोट्स #जीवन  White संघर्ष में तुम अनाथ हो मित्र, 
क़ाफ़िला तो सफलता के बाद उमड़ता है...

©Shankar
#जिन्दगी #फ़िल्म
 सीख लिया हमने, 
गैरमौजूदगी में तुम्हारे, 
जीना सीख लिया हमने, 
कौन कहता है कि , 
तुम नासमझ हो, 
मैंने तो जिन्दगी का सबसे जरूरी सबक, 
 सीखा तुमसे ही तो है मेरी जान,
रोते रोते मुस्कुराने का हुनर,,

©@manya Kashyap

#जिन्दगी #Nojoto #poem #Quote #story #Life #Life_experience #शायरी #Dard #Love 💕💕

135 View

 White महत्वकांक्षाएं तुझें दूर ले जाएंगी सबसे
की इच्छाएं कब पूरी हुई हैं किसी की
'अंजान' जो एक आरजू दिल में
यहाँ तो खत्म ही नहीं होती जरूरत किसी   की।

©कवि: अंजान

#Night #लव #जिन्दगी #कविता #शायरी #Life #SAD #Poetry #Shayari

126 View

White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥ बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ, तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥ यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥ अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई, ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥ मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है, हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥ मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है, कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥ ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में, ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥ - मुनव्वर राना ©Saurav Kumar

#जिन्दगी #शायरी #एहसास #follow4follow #copyright  White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar
Trending Topic