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White वह रोटी में नमक की तरह प्रवेश करता है ताखे पर रखी हुई रात की रोटी उसके आने की ख़ुशी में ज़रा-सा उछलती है और एक भूखे आदमी की नींद में गिर पड़ती है एक बच्चा जगता है और घने कोहरे में पिता की चाय के लिए दूध ख़रीदने नुक्कड़ की दुकान तक अकेला चला जाता ©@BeingAdilKhan

#emotional_sad_shayari  White वह रोटी में नमक की तरह प्रवेश करता है

ताखे पर रखी हुई रात की रोटी
उसके आने की ख़ुशी में ज़रा-सा उछलती है
और एक भूखे आदमी की नींद में गिर पड़ती है

एक बच्चा जगता है
और घने कोहरे में पिता की चाय के लिए दूध ख़रीदने
नुक्कड़ की दुकान तक अकेला चला जाता

©@BeingAdilKhan

White जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे, मयूरों-से सभी मुद पा रहे थे, वहाँ परिणाम में पत्थर पड़े यों, खड़े ही रह गये सब थे खड़े ज्यों। करें कब क्या, इसे बस राम जानें, वही अपने अलौकिक काम जानें। कहाँ है कल्पने! तू देख आकर, स्वयं ही सत्य हो यह गीत गाकर। बिदा होकर प्रिया से वीर लक्ष्मण-- हुए नत राम के आगे उसी क्षण। हृदय से राम ने उनको लगाया, कहा--"प्रत्यक्ष यह साम्राज्य पाया।" ©@BeingAdilKhan

#Sad_Status  White जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे,
मयूरों-से सभी मुद पा रहे थे,
वहाँ परिणाम में पत्थर पड़े यों,
खड़े ही रह गये सब थे खड़े ज्यों।
करें कब क्या, इसे बस राम जानें,
वही अपने अलौकिक काम जानें।
कहाँ है कल्पने! तू देख आकर,
स्वयं ही सत्य हो यह गीत गाकर।
बिदा होकर प्रिया से वीर लक्ष्मण--
हुए नत राम के आगे उसी क्षण।
हृदय से राम ने उनको लगाया,
कहा--"प्रत्यक्ष यह साम्राज्य पाया।"

©@BeingAdilKhan

White कभी तुम्हे पूरा लिखूँ कभी अधूरा लिखूँ मै रातो मे बैठकर तुम्हे सवेरा लिखूँ...! मै जब भी लिखू बस इतना लिखूँ मुझे तेरा,,और तुझे मेरा लिखूँ....!! ©@BeingAdilKhan

#Road  White कभी तुम्हे पूरा लिखूँ कभी अधूरा लिखूँ
मै रातो मे बैठकर तुम्हे सवेरा लिखूँ...!

मै जब भी लिखू बस इतना लिखूँ
मुझे तेरा,,और तुझे मेरा लिखूँ....!!

©@BeingAdilKhan

White अपनी तो ज़िन्दगी है अजीब कहानी है, जिस चीज़ की चाह है वो ही बेगानी है, हँसते भी है तो दुनिया को हँसाने के लिए, वरना दुनिया डूब जाये इन आखों में इतना पानी ©@BeingAdilKhan

#VoteForIndia  White अपनी तो ज़िन्दगी है अजीब कहानी है,
जिस चीज़ की चाह है वो ही बेगानी है,
हँसते भी है तो दुनिया को हँसाने के लिए,
वरना दुनिया डूब जाये इन आखों में इतना पानी

©@BeingAdilKhan

White मुझको मिलते हैं अदीब और कलाकार बहुत लेकिन इंसान के दर्शन हैं मुहाल। दर्द की एक तड़प - हल्के-से दर्द की एक तड़प, सच्ची तड़प मैंने अगलों के यहाँ देखी है; - या तो वह आज है ख़ामोश तबस्सुम में ज़लील या वो है कफ़-आलूद; या वो दहशत का पता देती है; या हिरासां है; या फिर इस दौर के ख़ाको-ख़ूँ में गुमगश्ता है। ©@BeingAdilKhan

#Night  White मुझको मिलते हैं अदीब और कलाकार बहुत
लेकिन इंसान के दर्शन हैं मुहाल।
दर्द की एक तड़प -
हल्के-से दर्द की एक तड़प,
सच्ची तड़प
मैंने अगलों के यहाँ देखी है; -
या तो वह आज है ख़ामोश तबस्सुम में ज़लील
या वो है कफ़-आलूद;
या वो दहशत का पता देती है;
या हिरासां है;
या फिर इस दौर के ख़ाको-ख़ूँ में
गुमगश्ता है।

©@BeingAdilKhan

White वह रोटी में नमक की तरह प्रवेश करता है ताखे पर रखी हुई रात की रोटी उसके आने की ख़ुशी में ज़रा-सा उछलती है और एक भूखे आदमी की नींद में गिर पड़ती है एक बच्चा जगता है और घने कोहरे में पिता की चाय के लिए दूध ख़रीदने नुक्कड़ की दुकान तक अकेला चला जाता ©@BeingAdilKhan

#emotional_sad_shayari  White वह रोटी में नमक की तरह प्रवेश करता है

ताखे पर रखी हुई रात की रोटी
उसके आने की ख़ुशी में ज़रा-सा उछलती है
और एक भूखे आदमी की नींद में गिर पड़ती है

एक बच्चा जगता है
और घने कोहरे में पिता की चाय के लिए दूध ख़रीदने
नुक्कड़ की दुकान तक अकेला चला जाता

©@BeingAdilKhan

White जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे, मयूरों-से सभी मुद पा रहे थे, वहाँ परिणाम में पत्थर पड़े यों, खड़े ही रह गये सब थे खड़े ज्यों। करें कब क्या, इसे बस राम जानें, वही अपने अलौकिक काम जानें। कहाँ है कल्पने! तू देख आकर, स्वयं ही सत्य हो यह गीत गाकर। बिदा होकर प्रिया से वीर लक्ष्मण-- हुए नत राम के आगे उसी क्षण। हृदय से राम ने उनको लगाया, कहा--"प्रत्यक्ष यह साम्राज्य पाया।" ©@BeingAdilKhan

#Sad_Status  White जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे,
मयूरों-से सभी मुद पा रहे थे,
वहाँ परिणाम में पत्थर पड़े यों,
खड़े ही रह गये सब थे खड़े ज्यों।
करें कब क्या, इसे बस राम जानें,
वही अपने अलौकिक काम जानें।
कहाँ है कल्पने! तू देख आकर,
स्वयं ही सत्य हो यह गीत गाकर।
बिदा होकर प्रिया से वीर लक्ष्मण--
हुए नत राम के आगे उसी क्षण।
हृदय से राम ने उनको लगाया,
कहा--"प्रत्यक्ष यह साम्राज्य पाया।"

©@BeingAdilKhan

White कभी तुम्हे पूरा लिखूँ कभी अधूरा लिखूँ मै रातो मे बैठकर तुम्हे सवेरा लिखूँ...! मै जब भी लिखू बस इतना लिखूँ मुझे तेरा,,और तुझे मेरा लिखूँ....!! ©@BeingAdilKhan

#Road  White कभी तुम्हे पूरा लिखूँ कभी अधूरा लिखूँ
मै रातो मे बैठकर तुम्हे सवेरा लिखूँ...!

मै जब भी लिखू बस इतना लिखूँ
मुझे तेरा,,और तुझे मेरा लिखूँ....!!

©@BeingAdilKhan

White अपनी तो ज़िन्दगी है अजीब कहानी है, जिस चीज़ की चाह है वो ही बेगानी है, हँसते भी है तो दुनिया को हँसाने के लिए, वरना दुनिया डूब जाये इन आखों में इतना पानी ©@BeingAdilKhan

#VoteForIndia  White अपनी तो ज़िन्दगी है अजीब कहानी है,
जिस चीज़ की चाह है वो ही बेगानी है,
हँसते भी है तो दुनिया को हँसाने के लिए,
वरना दुनिया डूब जाये इन आखों में इतना पानी

©@BeingAdilKhan

White मुझको मिलते हैं अदीब और कलाकार बहुत लेकिन इंसान के दर्शन हैं मुहाल। दर्द की एक तड़प - हल्के-से दर्द की एक तड़प, सच्ची तड़प मैंने अगलों के यहाँ देखी है; - या तो वह आज है ख़ामोश तबस्सुम में ज़लील या वो है कफ़-आलूद; या वो दहशत का पता देती है; या हिरासां है; या फिर इस दौर के ख़ाको-ख़ूँ में गुमगश्ता है। ©@BeingAdilKhan

#Night  White मुझको मिलते हैं अदीब और कलाकार बहुत
लेकिन इंसान के दर्शन हैं मुहाल।
दर्द की एक तड़प -
हल्के-से दर्द की एक तड़प,
सच्ची तड़प
मैंने अगलों के यहाँ देखी है; -
या तो वह आज है ख़ामोश तबस्सुम में ज़लील
या वो है कफ़-आलूद;
या वो दहशत का पता देती है;
या हिरासां है;
या फिर इस दौर के ख़ाको-ख़ूँ में
गुमगश्ता है।

©@BeingAdilKhan
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