कितना मज़बूत वो शख़्स रहा होगा।
जो हर बार हार कर भी आगे बढ़ा होगा ।।
जिसे दुनिया ने कमजोर कहा होगा, जिसने मौन होकर सब सहा होगा, जिसके साथ ना कोई खड़ा होगा,
फिर भी वो आगे बढ़ा होगा,
कितना मज़बूत वो शख़्स रहा होगा ।
कहने को तो शायद हर कोई उसका अपना रहा होगा,
या फिर गुमनामी में ही उसने अपना रास्ता तय किया होगा,
फिर भी वो आगे बढ़ा होगा,
कितना मज़बूत वो शख़्स रहा होगा।
आंसू कायरता का पर्याय है ऐसा उसने भी कहीं सुना होगा,
टूटे हुए विश्वास की गठरी को उसने भी दूर तक ढोया होगा,
फिर भी वो आगे बढ़ा होगा,
कितना मज़बूत वो शख़्स रहा होगा।
किरदार नहीं बनता एक दिन में कहीं संयम और धैर्य तो उसने भी रखा होगा,
न जाने कितने ही त्याग के साथ अपनी अस्मिता को संजोया होगा,
कितना मज़बूत वो शख़्स रहा होगा।
कितना मज़बूत वो शख़्स रहा होगा ।
जो कुछ इस तरह आगे बढ़ा होगा।।
✍️✍️सृष्टि ✍️✍️
©thesaurus_of_thoughts
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