• सजनी के साजन •
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सीने से एक बार फिर मुझे अपने लगा लो ना
मैं तरस रही हूं अब दिन पर दिन तुम से मिलने की चाह में
उस चाह को मेरी भुजादो ना।
ना जानें क्यूं एक एक दिन
तुम्हारे बिना अधूरा सा लगता है ये पागल सा दिल मेरे अंदर है पर
नाम तेरा ही जपता है।।
इस दिल को शांत कराने आजाओ ना यह सजनी राहा देख रही है तुम्हारी
उससे मिलने जल्दी से आजाओ ना।
क्यूं तरसा रहे हो अब इस जान को अपनी
आकर इसको प्यार से अपनी बाहों में समा लो ना
बहुत दिन की दूरियां हो गई है अब
अब इस दूरियों को मिटा दो ना।
नहीं मिलता मुझे सुकून किसी भी चीज़ में
जब तक तुम पास में होते नहीं
होकर भी सब चीज़ मेरे क़रीब में
पर मेरी जान मेरे पास होती नहीं।
बहुत मुश्किल की घड़ी होते है वो पल
जिनमे साथ तुम मेरे होते नहीं सब कुछ होते हुए भी मेरे पास
तुम मेरे साथ होते नहीं।।
नही कटती वो दिन रात ,जिसमे तुम मेरे संग होते नहीं
अब आजा ओ मेरे साजन ,तेरी सजनी तेरे बिना अब कहीं थमती नहीं
आकर संभाल ले इस दीवानी को जो तेरा जीकर कही पर
किए बिना छोड़ती नही ।।
✓Ishitav
@poetrysoul_999
©Ishita Verma
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