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#सुरक्षा #सावधानी #वीडियो #नागरिक #लुटेरे #अदनासा

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳👌https://youtube.com/shorts/FwCEAFi1G6E?si=-qzt28oIQELtVMdX #हिंदी #हाइवे #सुरक्षा #सावधानी #लुटेरे #दक्

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White हमेशा, वही सब क्यों याद आता है.. जो हमसे छूट जाता है.. फिर चाहे, वह कोई पल हो.. बात हो.. चीज़ें हो.. या फिर कोई शख़्स! हजा़रों की भीड़ में भी, नज़रें क्यों उसी को तलाशती हैं... क्यूं इक जानी पहचानी सी खुशबू, यूं ही गुज़र जाती है मन को छूते हुए.... क्यों कोई पल, ठहर कर भी नहीं ठहर पाता.. जिसे चाहते हैं कि, कैद कर लें हम अपनी मुट्ठी में! क्यों कोई चीज़, हमारे हाथ से अचानक फिसल कर गिर जाती है... और हम पूरी ज़िदगी इस मलाल में काट देते हैं कि, काश थोड़ी सी सावधानी बरती होती! और वह जगह, जहां जाना तो चाहते हैं पर जा नहीं पाते... कभी बंधन; तो, कभी वक्त रोक लेता है हमारे पैरों को... !! शायद यही तो जीवन है आधा अधूरा फिर भी पूरा... और इसी में, आधी अधूरी ख्वाहिशों की पूरी दुनिया..! @ ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#Hope #SAD  White हमेशा,  वही सब क्यों याद आता है.. 
जो हमसे छूट जाता है.. 

फिर चाहे, 
वह कोई पल हो..  बात हो..  चीज़ें हो.. 
या फिर कोई शख़्स! 

हजा़रों की भीड़ में भी,  नज़रें क्यों उसी को तलाशती हैं... 
क्यूं इक जानी पहचानी सी खुशबू,  यूं ही गुज़र जाती है 
मन को छूते हुए.... 

क्यों कोई पल,  ठहर कर भी नहीं ठहर पाता..
जिसे चाहते हैं कि,  कैद कर लें हम अपनी मुट्ठी में! 

क्यों कोई चीज़, 
हमारे हाथ से  अचानक फिसल कर  गिर जाती है...
और हम पूरी ज़िदगी  इस मलाल में काट देते हैं 
कि, काश थोड़ी सी सावधानी बरती होती! 

और वह जगह,  जहां जाना तो चाहते हैं 
पर जा नहीं पाते... 
कभी बंधन;  तो, कभी वक्त रोक लेता है 
हमारे पैरों को... !!

शायद यही तो जीवन है आधा अधूरा फिर भी पूरा... 
और इसी में,  आधी अधूरी ख्वाहिशों की 
पूरी दुनिया..!

@

©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#Hope हमेशा, वही सब क्यों याद आता है.. जो हमसे छूट जाता है.. फिर चाहे, वह कोई पल हो.. बात हो.. चीज़ें हो.. या फिर कोई शख़्स!

13 Love

White ग़ज़ल :- हर किसी पे आती जवानी है । पर सँभलना ही सावधानी है ।। प्रेम की एक वो कहानी है । अब भी सागर में जो निशानी है ।। यूँ तो मिल जाते नैन ही सबसे । जो उतर जाये दिल में रानी है ।। झूठे वादे नहीं करो हमसे । प्रीत अपनी बहुत बखानी है ।। लौट कर आ गये वतन अपने । दीप हर-घर कहो जलानी है ।। दूर कब तक रहे सजन तुमसे । क्या यही मेरी जिन्दगानी है ।। प्यार को जब बना लिया मक़सद । डर न अब जाँ पड़े गवानी है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

हर किसी पे आती जवानी है ।
पर सँभलना ही सावधानी है ।।
प्रेम की एक वो कहानी है ।
अब भी सागर में जो निशानी है ।।
यूँ तो मिल जाते नैन ही सबसे ।
जो उतर जाये दिल में रानी है ।।
झूठे वादे नहीं करो हमसे ।
प्रीत अपनी बहुत बखानी है ।।
लौट कर आ गये वतन अपने ।
दीप हर-घर कहो जलानी है ।।
दूर कब तक रहे सजन तुमसे ।
क्या यही मेरी जिन्दगानी है ।।
प्यार को जब बना लिया मक़सद ।
डर न अब जाँ पड़े गवानी है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हर किसी पे आती जवानी है । पर सँभलना ही सावधानी है ।।

13 Love

#मोटिवेशनल #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 
महाभारत: आश्रमवासिका पर्व 
पंचम अध्याय: श्लोक 18-32 
📔 भारत। जिन मनुष्यों के कुल और शील अच्छी तरह ज्ञात हों, उन्हीं से तुम्हें काम लेना चाहिये। भोजन आदि के अवसरों पर सदा तुम्हें आत्मरक्षा पर ध्यान देना चाहिये। आहार विहार के समय तथा माला पहनने, शय्या पर सोने और आसनों पर बैठने के समय भी तुम्हें सावधानी के साथ अपनी रक्षा करनी चाहिये। युधिष्ठिर। कुलीन, शीलवान्, विद्वान, विश्वासपात्र एवं वृद्ध पुरुषों की अध्यक्षता में रखकर तुम्हें अन्तःपुर की स्त्रियों की रक्षा का सुन्दर प्रबन्ध करना चाहिये। राजन्। तुम उन्हीं ब्राह्मणों को अपने मन्त्री बनाओ, जो विद्या में प्रवीण, विनयशील, कुलीन, धर्म और अर्थ में कुशल तथा सरल स्वभाव वाले हों। उन्हीं के साथ तुम गूढ़ विषय पर विचार करो, किंतु अधिक लोगों को साथ लेकर देर तक मन्त्रणा नहीं करनी चाहिये। सम्पूर्ण मन्त्रियों को अथवा उनमें से दो एक को किसी के बहाने चारों ओर से घिरे हुए बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाकर उनके साथ किसी गूढ़ विषय पर विचार करना। जहाँ अधिक घास फूस या झाड़ झंखाड़ न हो, ऐसे जंगल में भी गुप्त मन्त्रणा की जा सकती है, परंतु रात्रि के समय इन स्थानों में किसी तरह गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये।
📔 मनुष्यों का अनुसरण करने वाले जो वानर और पक्षी आदि हैं, उन सबको तथा मूर्ख एवं पंगु मनुष्यों को भी मन्त्रणा गृह में नहीं आने देना चाहिये। गुप्त मन्त्रणा के दूसरों पर प्रकट हो जाने से राजाओं को जो संकट प्राप्त होते हैं, उनका किसी तरह समाधान नहीं किया जा सकता - ऐसा मेरा विश्वास है। शत्रुदमन नरेश। गुप्त मन्त्रणा फूट जाने पर जो दोष पैदा होते हैं और न फूटने से जो लाभ होते हैं, उनको तुम मन्त्रिमण्डल के समक्ष बारंबार बतलाते रहना। राजन्। कुरूश्रेष्ठ युधिष्ठिर। नगर औश्र जनपद के लोगों का हृदय तुम्हारे प्रति शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का तुम्हें जैसे भी ज्ञान प्राप्त हो सके, वैसा उपाय करना। नरेश्वर। न्याय करने के काम पर तुम सदा ऐसे ही पुरुषों को नियुक्त करना, जो विश्वासपात्र, संतोषी और हितैषी हों तथा गुप्तचरों के द्वारा सदा उनके कार्यों पर दृष्टि रखना। भरतनन्दन युधिष्ठिर। तुम्हें ऐसा विधान बनाना चाहिये, जिससे तुम्हारे नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें।
📔 जो दूसरों से घूस लेने की रुचि रखते हों, परायी स्त्रियों से जिनका सम्पर्क हो, जो विशषतः कठोर दण्ड देने के पक्षपाती हों, झूठा फैसला देते हों, जो कटुवादी, लोभी, दूसरों का धन हड़पने वाले, दुस्साहसी, सभाभवन और उद्यान आदि को नष्ट करने वाले तथा सभी वर्ण के लोगों को कलंकित करने वाले हों, उन न्यायाधिकारियों को देश काल का ध्यान रखते हुए सुवर्ण दण्ड अथवा प्राण दण्ड के द्वारा दण्डित करना चाहिये। प्रातःकाल उठकर (नित्य नियम से निवृत्त होने के बाद) पहले तुम्हें उन लोगों से मिलना चाहिये, जो तुम्हारे खर्च बर्च के काम पर नियुक्त हों। उसके बाद आभूषण पहनने या भोजन करने के काम पर ध्यान देना चाहिये। जय श्री राधे कृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उ

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#भक्ति #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्

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#सुरक्षा #सावधानी #वीडियो #नागरिक #लुटेरे #अदनासा

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳👌https://youtube.com/shorts/FwCEAFi1G6E?si=-qzt28oIQELtVMdX #हिंदी #हाइवे #सुरक्षा #सावधानी #लुटेरे #दक्

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White हमेशा, वही सब क्यों याद आता है.. जो हमसे छूट जाता है.. फिर चाहे, वह कोई पल हो.. बात हो.. चीज़ें हो.. या फिर कोई शख़्स! हजा़रों की भीड़ में भी, नज़रें क्यों उसी को तलाशती हैं... क्यूं इक जानी पहचानी सी खुशबू, यूं ही गुज़र जाती है मन को छूते हुए.... क्यों कोई पल, ठहर कर भी नहीं ठहर पाता.. जिसे चाहते हैं कि, कैद कर लें हम अपनी मुट्ठी में! क्यों कोई चीज़, हमारे हाथ से अचानक फिसल कर गिर जाती है... और हम पूरी ज़िदगी इस मलाल में काट देते हैं कि, काश थोड़ी सी सावधानी बरती होती! और वह जगह, जहां जाना तो चाहते हैं पर जा नहीं पाते... कभी बंधन; तो, कभी वक्त रोक लेता है हमारे पैरों को... !! शायद यही तो जीवन है आधा अधूरा फिर भी पूरा... और इसी में, आधी अधूरी ख्वाहिशों की पूरी दुनिया..! @ ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#Hope #SAD  White हमेशा,  वही सब क्यों याद आता है.. 
जो हमसे छूट जाता है.. 

फिर चाहे, 
वह कोई पल हो..  बात हो..  चीज़ें हो.. 
या फिर कोई शख़्स! 

हजा़रों की भीड़ में भी,  नज़रें क्यों उसी को तलाशती हैं... 
क्यूं इक जानी पहचानी सी खुशबू,  यूं ही गुज़र जाती है 
मन को छूते हुए.... 

क्यों कोई पल,  ठहर कर भी नहीं ठहर पाता..
जिसे चाहते हैं कि,  कैद कर लें हम अपनी मुट्ठी में! 

क्यों कोई चीज़, 
हमारे हाथ से  अचानक फिसल कर  गिर जाती है...
और हम पूरी ज़िदगी  इस मलाल में काट देते हैं 
कि, काश थोड़ी सी सावधानी बरती होती! 

और वह जगह,  जहां जाना तो चाहते हैं 
पर जा नहीं पाते... 
कभी बंधन;  तो, कभी वक्त रोक लेता है 
हमारे पैरों को... !!

शायद यही तो जीवन है आधा अधूरा फिर भी पूरा... 
और इसी में,  आधी अधूरी ख्वाहिशों की 
पूरी दुनिया..!

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©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#Hope हमेशा, वही सब क्यों याद आता है.. जो हमसे छूट जाता है.. फिर चाहे, वह कोई पल हो.. बात हो.. चीज़ें हो.. या फिर कोई शख़्स!

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White ग़ज़ल :- हर किसी पे आती जवानी है । पर सँभलना ही सावधानी है ।। प्रेम की एक वो कहानी है । अब भी सागर में जो निशानी है ।। यूँ तो मिल जाते नैन ही सबसे । जो उतर जाये दिल में रानी है ।। झूठे वादे नहीं करो हमसे । प्रीत अपनी बहुत बखानी है ।। लौट कर आ गये वतन अपने । दीप हर-घर कहो जलानी है ।। दूर कब तक रहे सजन तुमसे । क्या यही मेरी जिन्दगानी है ।। प्यार को जब बना लिया मक़सद । डर न अब जाँ पड़े गवानी है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-

हर किसी पे आती जवानी है ।
पर सँभलना ही सावधानी है ।।
प्रेम की एक वो कहानी है ।
अब भी सागर में जो निशानी है ।।
यूँ तो मिल जाते नैन ही सबसे ।
जो उतर जाये दिल में रानी है ।।
झूठे वादे नहीं करो हमसे ।
प्रीत अपनी बहुत बखानी है ।।
लौट कर आ गये वतन अपने ।
दीप हर-घर कहो जलानी है ।।
दूर कब तक रहे सजन तुमसे ।
क्या यही मेरी जिन्दगानी है ।।
प्यार को जब बना लिया मक़सद ।
डर न अब जाँ पड़े गवानी है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हर किसी पे आती जवानी है । पर सँभलना ही सावधानी है ।।

13 Love

#मोटिवेशनल #SAD  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 
महाभारत: आश्रमवासिका पर्व 
पंचम अध्याय: श्लोक 18-32 
📔 भारत। जिन मनुष्यों के कुल और शील अच्छी तरह ज्ञात हों, उन्हीं से तुम्हें काम लेना चाहिये। भोजन आदि के अवसरों पर सदा तुम्हें आत्मरक्षा पर ध्यान देना चाहिये। आहार विहार के समय तथा माला पहनने, शय्या पर सोने और आसनों पर बैठने के समय भी तुम्हें सावधानी के साथ अपनी रक्षा करनी चाहिये। युधिष्ठिर। कुलीन, शीलवान्, विद्वान, विश्वासपात्र एवं वृद्ध पुरुषों की अध्यक्षता में रखकर तुम्हें अन्तःपुर की स्त्रियों की रक्षा का सुन्दर प्रबन्ध करना चाहिये। राजन्। तुम उन्हीं ब्राह्मणों को अपने मन्त्री बनाओ, जो विद्या में प्रवीण, विनयशील, कुलीन, धर्म और अर्थ में कुशल तथा सरल स्वभाव वाले हों। उन्हीं के साथ तुम गूढ़ विषय पर विचार करो, किंतु अधिक लोगों को साथ लेकर देर तक मन्त्रणा नहीं करनी चाहिये। सम्पूर्ण मन्त्रियों को अथवा उनमें से दो एक को किसी के बहाने चारों ओर से घिरे हुए बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाकर उनके साथ किसी गूढ़ विषय पर विचार करना। जहाँ अधिक घास फूस या झाड़ झंखाड़ न हो, ऐसे जंगल में भी गुप्त मन्त्रणा की जा सकती है, परंतु रात्रि के समय इन स्थानों में किसी तरह गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये।
📔 मनुष्यों का अनुसरण करने वाले जो वानर और पक्षी आदि हैं, उन सबको तथा मूर्ख एवं पंगु मनुष्यों को भी मन्त्रणा गृह में नहीं आने देना चाहिये। गुप्त मन्त्रणा के दूसरों पर प्रकट हो जाने से राजाओं को जो संकट प्राप्त होते हैं, उनका किसी तरह समाधान नहीं किया जा सकता - ऐसा मेरा विश्वास है। शत्रुदमन नरेश। गुप्त मन्त्रणा फूट जाने पर जो दोष पैदा होते हैं और न फूटने से जो लाभ होते हैं, उनको तुम मन्त्रिमण्डल के समक्ष बारंबार बतलाते रहना। राजन्। कुरूश्रेष्ठ युधिष्ठिर। नगर औश्र जनपद के लोगों का हृदय तुम्हारे प्रति शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का तुम्हें जैसे भी ज्ञान प्राप्त हो सके, वैसा उपाय करना। नरेश्वर। न्याय करने के काम पर तुम सदा ऐसे ही पुरुषों को नियुक्त करना, जो विश्वासपात्र, संतोषी और हितैषी हों तथा गुप्तचरों के द्वारा सदा उनके कार्यों पर दृष्टि रखना। भरतनन्दन युधिष्ठिर। तुम्हें ऐसा विधान बनाना चाहिये, जिससे तुम्हारे नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें।
📔 जो दूसरों से घूस लेने की रुचि रखते हों, परायी स्त्रियों से जिनका सम्पर्क हो, जो विशषतः कठोर दण्ड देने के पक्षपाती हों, झूठा फैसला देते हों, जो कटुवादी, लोभी, दूसरों का धन हड़पने वाले, दुस्साहसी, सभाभवन और उद्यान आदि को नष्ट करने वाले तथा सभी वर्ण के लोगों को कलंकित करने वाले हों, उन न्यायाधिकारियों को देश काल का ध्यान रखते हुए सुवर्ण दण्ड अथवा प्राण दण्ड के द्वारा दण्डित करना चाहिये। प्रातःकाल उठकर (नित्य नियम से निवृत्त होने के बाद) पहले तुम्हें उन लोगों से मिलना चाहिये, जो तुम्हारे खर्च बर्च के काम पर नियुक्त हों। उसके बाद आभूषण पहनने या भोजन करने के काम पर ध्यान देना चाहिये। जय श्री राधे कृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उ

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#भक्ति #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्

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