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New लेखक अशोक पाटोळे Status, Photo, Video

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#कविता  White मौर्य राज वंश के चक्रवर्ती सम्राट की जिंदगी रोचक है।
वो रणभूमि में पराक्रम दिखाते दुश्मनों के संहारक है।।
इनकी कीर्ति है विराट, मानवता के बने रहे द्योतक है।
बौद्ध धर्म के संरक्षक रहे गरीबों बहुजनों के पोषक है।।
भारत को विश्व गुरु बनाने वाले बौद्ध धर्म के संवाहक हैं।
सदा सत्य ,दया ,करुणा, मैत्री भाव ,प्रेम के उपासक हैं।।
सत कर्मों से हमेशा ऊंचा रहने वाला इनका मस्तक है।
विश्व में बुद्मम शरणम गच्छामि का देते रहे दस्तक है।।
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के यही समपोषक हैं।
धर्म में बाह्य आडंबर का सदा बने रहे अवरोधक हैं।।

वसीम राजा की है यही आरजू और है यही कथन।
विश्व में गूंजे भाईचारे का स्वर हरसू हो बस अमन।।
महान सम्राट अशोक की जयंती पर शत-शत नमन।

©Dr Wasim Raja

सम्राट अशोक के जन्मदिन पर समर्पित

126 View

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

अशोक स्तंभ चार मुंह वाला शेर #hunarbaaz

108 View

#MereKhayal #CTET

#CTET प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक #MereKhayal

108 View

अपनी लेखनी अपनी वार्ता लेखक भगत सतीश कुमार घोडेला

144 View

अपनी लेखनी अपनी वार्ता लेखक भगत सतीश कुमार घोडेला

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#कविता  White मौर्य राज वंश के चक्रवर्ती सम्राट की जिंदगी रोचक है।
वो रणभूमि में पराक्रम दिखाते दुश्मनों के संहारक है।।
इनकी कीर्ति है विराट, मानवता के बने रहे द्योतक है।
बौद्ध धर्म के संरक्षक रहे गरीबों बहुजनों के पोषक है।।
भारत को विश्व गुरु बनाने वाले बौद्ध धर्म के संवाहक हैं।
सदा सत्य ,दया ,करुणा, मैत्री भाव ,प्रेम के उपासक हैं।।
सत कर्मों से हमेशा ऊंचा रहने वाला इनका मस्तक है।
विश्व में बुद्मम शरणम गच्छामि का देते रहे दस्तक है।।
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के यही समपोषक हैं।
धर्म में बाह्य आडंबर का सदा बने रहे अवरोधक हैं।।

वसीम राजा की है यही आरजू और है यही कथन।
विश्व में गूंजे भाईचारे का स्वर हरसू हो बस अमन।।
महान सम्राट अशोक की जयंती पर शत-शत नमन।

©Dr Wasim Raja

सम्राट अशोक के जन्मदिन पर समर्पित

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शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
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खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

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अशोक स्तंभ चार मुंह वाला शेर #hunarbaaz

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#MereKhayal #CTET

#CTET प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक #MereKhayal

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अपनी लेखनी अपनी वार्ता लेखक भगत सतीश कुमार घोडेला

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