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New तस्लीमा नसरीन लज्जा इन हिंदी Status, Photo, Video

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#हिंदुस्तान #वीडियो #हिंदी
#मराठीविचार #हिंदी #motivatation  White जिस चीज को आप चाहते हैं,
 उसमें असफल होना,
 जिस चीज को आप नहीं चाहते
 उसमें सफल होने से बेहतर है।

©Ajay More

परिधानों से लाज ढाँपती नज़रों में छुप जाती थी, लज्जा बसती थी आँखों में मन ही मन सकुचाती थी, पर्दे के पीछे का सच भी डर की जद में सिमटा था, लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी, बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, खेतों की मेड़ों पर चलती इठलाती बलखाती थी, सावन में मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, देख आईने में ख़ुद को नटखट कितनी शर्माती थी, प्रेम और विश्वास अडिग वादे थे जीने मरने के, रूप सलोना फूलों सा कितनी सुंदर कद-काठी थी, माँ बाबूजी भैया भाभी सबके मन में रची-बसी, सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी, भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन', बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ •प्र • ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #लज्जा  परिधानों  से  लाज  ढाँपती
                                 नज़रों में छुप जाती थी, 
                             लज्जा बसती थी आँखों में 
                               मन ही मन सकुचाती थी,

पर्दे के पीछे का सच भी  डर की जद में सिमटा था, 
लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी,

बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, 
खेतों की  मेड़ों पर  चलती  इठलाती  बलखाती थी,

सावन  में  मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, 
देख  आईने में  ख़ुद को  नटखट कितनी शर्माती थी,

प्रेम  और  विश्वास  अडिग  वादे  थे   जीने मरने  के,
रूप सलोना फूलों सा  कितनी सुंदर  कद-काठी थी,

माँ  बाबूजी  भैया  भाभी  सबके  मन में  रची-बसी, 
सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी,

भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन',
बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी,
       ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ •प्र •

©Shashi Bhushan Mishra

#लज्जा बसती थी आँखों में#

16 Love

#शायरी

तस्लीमा आरीफ किच्छा में

189 View

#कविता #हिंदी #nojohindi  White धूप–पानी सब कुछ दिया मैंने अपनों
 को सब ने मुझे कीड़े वाला फल दिया,

बात हुई थी मंजिल तक साथ चलने की
कोई रास्ते में बदला किसी ने रास्ता बदल दिया।

सबके बुरे वक्त में मैं था
मेरे वक़्त किसी ने नज़रे चुराई,
कोई आँखें दिखा कर चल दिया ।

जब मुझे सहारे की जरूरत थी
तो अपनो ने मुझे सलाह दिया,
मैं सूरज जैसा चमकता रहा जब वो अंधेरे में थे
मैने जरा सी रौशनी मांगी
सब ने मिल के मेरा घर जला दिया ।
__धीरज कुमार

© Dheeraj kumar

क्या जीना और क्या आनंद बोल तुझे क्या-क्या पसंद है मेरा लहज़ा या मेरी इबादत मेरी मोहब्बत या मेरी आदत ©DANVEER SINGH DUNIYA

#शायरी  क्या जीना और क्या आनंद 
बोल तुझे क्या-क्या पसंद है
मेरा लहज़ा या मेरी इबादत 
मेरी मोहब्बत या मेरी आदत

©DANVEER SINGH DUNIYA

लव इन लव

13 Love

#हिंदुस्तान #वीडियो #हिंदी
#मराठीविचार #हिंदी #motivatation  White जिस चीज को आप चाहते हैं,
 उसमें असफल होना,
 जिस चीज को आप नहीं चाहते
 उसमें सफल होने से बेहतर है।

©Ajay More

परिधानों से लाज ढाँपती नज़रों में छुप जाती थी, लज्जा बसती थी आँखों में मन ही मन सकुचाती थी, पर्दे के पीछे का सच भी डर की जद में सिमटा था, लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी, बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, खेतों की मेड़ों पर चलती इठलाती बलखाती थी, सावन में मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, देख आईने में ख़ुद को नटखट कितनी शर्माती थी, प्रेम और विश्वास अडिग वादे थे जीने मरने के, रूप सलोना फूलों सा कितनी सुंदर कद-काठी थी, माँ बाबूजी भैया भाभी सबके मन में रची-बसी, सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी, भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन', बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ •प्र • ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #लज्जा  परिधानों  से  लाज  ढाँपती
                                 नज़रों में छुप जाती थी, 
                             लज्जा बसती थी आँखों में 
                               मन ही मन सकुचाती थी,

पर्दे के पीछे का सच भी  डर की जद में सिमटा था, 
लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी,

बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, 
खेतों की  मेड़ों पर  चलती  इठलाती  बलखाती थी,

सावन  में  मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, 
देख  आईने में  ख़ुद को  नटखट कितनी शर्माती थी,

प्रेम  और  विश्वास  अडिग  वादे  थे   जीने मरने  के,
रूप सलोना फूलों सा  कितनी सुंदर  कद-काठी थी,

माँ  बाबूजी  भैया  भाभी  सबके  मन में  रची-बसी, 
सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी,

भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन',
बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी,
       ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ •प्र •

©Shashi Bhushan Mishra

#लज्जा बसती थी आँखों में#

16 Love

#शायरी

तस्लीमा आरीफ किच्छा में

189 View

#कविता #हिंदी #nojohindi  White धूप–पानी सब कुछ दिया मैंने अपनों
 को सब ने मुझे कीड़े वाला फल दिया,

बात हुई थी मंजिल तक साथ चलने की
कोई रास्ते में बदला किसी ने रास्ता बदल दिया।

सबके बुरे वक्त में मैं था
मेरे वक़्त किसी ने नज़रे चुराई,
कोई आँखें दिखा कर चल दिया ।

जब मुझे सहारे की जरूरत थी
तो अपनो ने मुझे सलाह दिया,
मैं सूरज जैसा चमकता रहा जब वो अंधेरे में थे
मैने जरा सी रौशनी मांगी
सब ने मिल के मेरा घर जला दिया ।
__धीरज कुमार

© Dheeraj kumar

क्या जीना और क्या आनंद बोल तुझे क्या-क्या पसंद है मेरा लहज़ा या मेरी इबादत मेरी मोहब्बत या मेरी आदत ©DANVEER SINGH DUNIYA

#शायरी  क्या जीना और क्या आनंद 
बोल तुझे क्या-क्या पसंद है
मेरा लहज़ा या मेरी इबादत 
मेरी मोहब्बत या मेरी आदत

©DANVEER SINGH DUNIYA

लव इन लव

13 Love

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