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#विचार  Hi friends please like its

©आशुतोष पांडेय (Aashu) सनातनी

ना जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गई तेरे लिए, की मेरा दिल भी अब तेरी खातिर मुझसे रूठ जाता है !!

270 View

#ज़हर #hunarbaaz #feelings  ज़हर 
काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल,

मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर

©ज़हर

#feelings #ज़हर ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर @0 @075121912b52718e38d17e4be3a1eb/anshu-writer" title="Anshu writer">@Anshu writer @019d8c4f7c41b3@0dee5@05/hardik-mahajan" title="hardik Mahajan">@hardik Mahajan Sharm

702 View

#कविता #Night  White 

पता नहीं क्या चल रहा है ज़िंदगी में मेरी 
आखिर कौन सा पड़ाव है ये मेरी ज़िन्दगी का
खत्म नहीं होते कभी  अंधेरे ज़िंदगी से मेरे 
लगता है जैसे कितनी ज़िंदगी में जी लिया 
आखिर क्यों इतना दर्द है मेरी ज़िन्दगी में 
मैंने कभी किसी के लिए कुछ बुरा नहीं किया 
तूने जो भी दिया मैंने कबूल किया हंसकर 
दिखावे का हंसना भी तो कसूर हो गया 
बता तो सही एक दफा मेरा कसूर क्या है।
तू क्यों इतना मेरे लिए कठोर हो गया ।
क्यों  बना कर पत्थर छोड़ दिया तूने मुझे।
तेरे अलावा तो मेरा यहां कोई नहीं था ।













मेरी उदासी का कारण में खुद नहीं जानता

©Vickram

#Night आखिर मेरा कसूर क्या है

207 View

 White न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है ,

मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ....

©꧁ARSHU꧂ارشد

न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ... Sneh Prem Chand @Disha @jhanvi Singh @Shayra Maaahi

234 View

 न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है ,


मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ...

©꧁ARSHU꧂ارشد

न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है .... Manisha Keshav NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अपने ) Beena

252 View

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

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#विचार  Hi friends please like its

©आशुतोष पांडेय (Aashu) सनातनी

ना जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गई तेरे लिए, की मेरा दिल भी अब तेरी खातिर मुझसे रूठ जाता है !!

270 View

#ज़हर #hunarbaaz #feelings  ज़हर 
काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल,

मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर

©ज़हर

#feelings #ज़हर ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर @0 @075121912b52718e38d17e4be3a1eb/anshu-writer" title="Anshu writer">@Anshu writer @019d8c4f7c41b3@0dee5@05/hardik-mahajan" title="hardik Mahajan">@hardik Mahajan Sharm

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#कविता #Night  White 

पता नहीं क्या चल रहा है ज़िंदगी में मेरी 
आखिर कौन सा पड़ाव है ये मेरी ज़िन्दगी का
खत्म नहीं होते कभी  अंधेरे ज़िंदगी से मेरे 
लगता है जैसे कितनी ज़िंदगी में जी लिया 
आखिर क्यों इतना दर्द है मेरी ज़िन्दगी में 
मैंने कभी किसी के लिए कुछ बुरा नहीं किया 
तूने जो भी दिया मैंने कबूल किया हंसकर 
दिखावे का हंसना भी तो कसूर हो गया 
बता तो सही एक दफा मेरा कसूर क्या है।
तू क्यों इतना मेरे लिए कठोर हो गया ।
क्यों  बना कर पत्थर छोड़ दिया तूने मुझे।
तेरे अलावा तो मेरा यहां कोई नहीं था ।













मेरी उदासी का कारण में खुद नहीं जानता

©Vickram

#Night आखिर मेरा कसूर क्या है

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 White न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है ,

मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ....

©꧁ARSHU꧂ارشد

न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ... Sneh Prem Chand @Disha @jhanvi Singh @Shayra Maaahi

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 न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है ,


मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है ...

©꧁ARSHU꧂ارشد

न समझो ,मेरा दिल ही अकेला ख़तावार है , मेरी बर्बादी के अफ़साने में तेरा भी नाम शुमार है .... Manisha Keshav NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अपने ) Beena

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चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

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