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#अब #Videos

#अब कौन सी दुआ मांग रहा बीसी, एक काम एक, सारी दुआ तुम्ही मांग ले 🥴🥴

270 View

#शायरी  अब…
तुमसे क्या कहना
सोचा पन्नों से बात करूँ
मन बहल जाए शायद
तुमको याद करूँ
और फ़िर
इनसे सारी बात कहूँ

©हिमांशु Kulshreshtha

अब, तुमसे..

117 View

White कभी एक जमाना था जब हम अंधेरे से डरते थे अब एक ऐसा दौर आया की अंधेरों से ही इश्क कर बैठे ©DILEEP RAJ AHIRWAR

#mango  White कभी एक जमाना था जब हम अंधेरे से डरते थे 
अब एक ऐसा दौर आया की अंधेरों से ही इश्क कर बैठे

©DILEEP RAJ AHIRWAR

#mango कभी एक जमाना था जब हम अंधेरे से डरते थे अब एक ऐसा दौर आया की अंधेरों से ही इश्क कर बैठे

13 Love

#शायरी #Free  White बैठ कर ख़ामोश् अब तुम्हें आज़मायेंगे देखते है हम तुम्हें कब याद आयेंगे

©RAVI PRAKASH

#Free ख़ामोश् अब

135 View

अब बस एक ही तरीका बाकी है, जिससे हमारे दिल को आराम आए.......... हम पढ़ें बेहतरीन ग़ज़ल महफ़िल में और उस ग़ज़ल में तुम्हारा नाम आए......... ©Poet Maddy

#Comfort #Heart #gazal #Name  अब बस एक ही तरीका बाकी है,
जिससे हमारे दिल को आराम आए..........
हम पढ़ें बेहतरीन ग़ज़ल महफ़िल में
और उस ग़ज़ल में तुम्हारा नाम आए.........

©Poet Maddy

अब बस एक ही तरीका बाकी है, जिससे हमारे दिल को आराम आए.......... #Way#Comfort#Heart#read#gazal#Name...........

11 Love

अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे, मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, फूल कलियों से चमन में ताज़गी है, दुआओं के इत्र से आबाद हूँ अब, चाँदनी उतरी है दिल के दरीचे में, लग रहा जैसे कोई महताब हूँ अब, जलने वाले इस क़दर हैरानगी से, देखते जैसे कोई तेजाब हूँ अब, झुकाते हैं शीश दरवाजे पे आकर, नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब, ख़त्म दौर-ए-जहाँ का करके गुंजन, ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #आजाद  अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, 
बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, 

नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे,
मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, 

फूल कलियों से  चमन में  ताज़गी है, 
दुआओं  के  इत्र  से  आबाद हूँ  अब, 

चाँदनी  उतरी  है  दिल  के  दरीचे में, 
लग रहा  जैसे  कोई  महताब हूँ अब, 

जलने  वाले  इस  क़दर  हैरानगी से, 
देखते  जैसे   कोई   तेजाब  हूँ  अब, 

झुकाते  हैं  शीश  दरवाजे पे आकर, 
नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब,

ख़त्म  दौर-ए-जहाँ का  करके गुंजन,
ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, 
      --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#आजाद हूँ अब#

13 Love

#अब #Videos

#अब कौन सी दुआ मांग रहा बीसी, एक काम एक, सारी दुआ तुम्ही मांग ले 🥴🥴

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#शायरी  अब…
तुमसे क्या कहना
सोचा पन्नों से बात करूँ
मन बहल जाए शायद
तुमको याद करूँ
और फ़िर
इनसे सारी बात कहूँ

©हिमांशु Kulshreshtha

अब, तुमसे..

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White कभी एक जमाना था जब हम अंधेरे से डरते थे अब एक ऐसा दौर आया की अंधेरों से ही इश्क कर बैठे ©DILEEP RAJ AHIRWAR

#mango  White कभी एक जमाना था जब हम अंधेरे से डरते थे 
अब एक ऐसा दौर आया की अंधेरों से ही इश्क कर बैठे

©DILEEP RAJ AHIRWAR

#mango कभी एक जमाना था जब हम अंधेरे से डरते थे अब एक ऐसा दौर आया की अंधेरों से ही इश्क कर बैठे

13 Love

#शायरी #Free  White बैठ कर ख़ामोश् अब तुम्हें आज़मायेंगे देखते है हम तुम्हें कब याद आयेंगे

©RAVI PRAKASH

#Free ख़ामोश् अब

135 View

अब बस एक ही तरीका बाकी है, जिससे हमारे दिल को आराम आए.......... हम पढ़ें बेहतरीन ग़ज़ल महफ़िल में और उस ग़ज़ल में तुम्हारा नाम आए......... ©Poet Maddy

#Comfort #Heart #gazal #Name  अब बस एक ही तरीका बाकी है,
जिससे हमारे दिल को आराम आए..........
हम पढ़ें बेहतरीन ग़ज़ल महफ़िल में
और उस ग़ज़ल में तुम्हारा नाम आए.........

©Poet Maddy

अब बस एक ही तरीका बाकी है, जिससे हमारे दिल को आराम आए.......... #Way#Comfort#Heart#read#gazal#Name...........

11 Love

अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे, मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, फूल कलियों से चमन में ताज़गी है, दुआओं के इत्र से आबाद हूँ अब, चाँदनी उतरी है दिल के दरीचे में, लग रहा जैसे कोई महताब हूँ अब, जलने वाले इस क़दर हैरानगी से, देखते जैसे कोई तेजाब हूँ अब, झुकाते हैं शीश दरवाजे पे आकर, नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब, ख़त्म दौर-ए-जहाँ का करके गुंजन, ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #आजाद  अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, 
बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, 

नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे,
मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, 

फूल कलियों से  चमन में  ताज़गी है, 
दुआओं  के  इत्र  से  आबाद हूँ  अब, 

चाँदनी  उतरी  है  दिल  के  दरीचे में, 
लग रहा  जैसे  कोई  महताब हूँ अब, 

जलने  वाले  इस  क़दर  हैरानगी से, 
देखते  जैसे   कोई   तेजाब  हूँ  अब, 

झुकाते  हैं  शीश  दरवाजे पे आकर, 
नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब,

ख़त्म  दौर-ए-जहाँ का  करके गुंजन,
ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, 
      --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#आजाद हूँ अब#

13 Love

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