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#nolove #Video #Like #Rel
#मानस #GateLight  वो मेरी रूह के आंगन में खेलता है 
सुना है
अपना नाम वो जख्म बतलाता है ।
रोज रात दीवार फ़ांद चला आता है 
बिना इज़ाजत लिए,
सुना है, 
दीवार के उस तरफ़ मुस्कुराता है वो 
बहुत बेशर्मी से...
वो मेरी रूह के आंगन में, मेरी जमीं 
को कूरेद जाता है, और 
वापस जाकर एक हजूम से कहता है 
मैं खेल आया उससे बड़ी बे़शर्मी से ।

#मानस ।।

रमेश राज सर की चंद 
पंक्तियों से प्रभावित इक नज़्म ...

©Manas Krishna

#GateLight

126 View

#शायरी

https://youtube.com/@gattubaba0?si=NUUlwaF6A1q0gC3h

162 View

गझल मंथन साहित्य संस्था, कोपरणा आयोजित 'एक दिवसीय मराठवाडा विभागीय गझल मुशायरा' अंबेजोगाई, जि. बीड येथे आयोजित संमेलनात सादर केलेली माझी एक गझल... दि.७ एप्रिल २०२४ गझल हवा कशाला एक शेर वा केवळ मतला... मांडत जाऊ गझलेमधुनी भाव आतला! गर्भ पाडता प्रमाण झाले कमी मुलींचे... चिंता आता यावी मुलगी घरी सातला! हिटलरशाही ज्यांनी केली झाली माती... नियतीही गाडत जाते जो उगा मातला! प्रत्येकाने जबाबदारीने वागावे... अखेर हिस्सा आहो आपण समाजातला! फंदफितुरी प्रथाच जाहली आहे हल्ली... नवखे नाही पहा दाखला पुराणातला! जयराम धोंगडे ©Jairam Dhongade

#मराठीशायरी #GateLight  गझल मंथन साहित्य संस्था, कोपरणा 
आयोजित 'एक दिवसीय मराठवाडा विभागीय गझल मुशायरा' अंबेजोगाई, जि. बीड येथे आयोजित संमेलनात 
सादर केलेली माझी एक गझल... 
दि.७ एप्रिल २०२४




गझल

हवा कशाला एक शेर वा केवळ मतला...
मांडत जाऊ गझलेमधुनी भाव आतला!

गर्भ पाडता प्रमाण झाले कमी मुलींचे...
चिंता आता यावी मुलगी घरी सातला!

हिटलरशाही ज्यांनी केली झाली माती...
नियतीही गाडत जाते जो उगा मातला!

प्रत्येकाने जबाबदारीने वागावे...
अखेर हिस्सा आहो आपण समाजातला!

फंदफितुरी प्रथाच जाहली आहे हल्ली...
नवखे नाही पहा दाखला पुराणातला!

जयराम धोंगडे

©Jairam Dhongade

#GateLight

12 Love

A Black shirt is hanging in the robe, The tired soul's lying on floor. The books are spilled with tea , With the cold body in couch's pit . The night is engulfing the gleam , The eyes are browsing the saddest dreams . The moon is drowning in the clouds All the senses are escaping to drowse.. ~bhakta ©BP Bagh

#GateLight #SAD  A Black  shirt is hanging in the  robe,
 The tired  soul's  lying on floor.

The books are spilled with tea ,
With the cold body in couch's pit .

The night is engulfing the gleam ,
The eyes are browsing the saddest dreams .

The moon is drowning in the clouds 
All the senses are  escaping  to drowse..





~bhakta

©BP Bagh

#GateLight

16 Love

शहर की आबोहवा इतनी बदनाम क्यों है रिश्तों में जहर की कड़वाहट आम क्यों है जी रहे है सभी अकेलेपन का बोझ लेकर सिमटकर हुआ आदमी अब गुमनाम क्यों है शरीफों की तरह गर रहते सब इस मुल्क में फिर औरतों की इज्जत होती नीलाम क्यों है उसको जम्हूरियत ने बिठाया जब गद्दी पर उसके फैसलों से फिर मचा कोहराम क्यों है दफ्न कर दिया जब गुजरी जिंदगी को संजय जुबां पर अक्सर आता उसका ही नाम क्यों है ©संजय श्रीवास्तव

#शायरी #GateLight  शहर की आबोहवा इतनी बदनाम क्यों है
रिश्तों में जहर की कड़वाहट आम क्यों है

जी रहे है सभी अकेलेपन का बोझ लेकर
सिमटकर हुआ आदमी अब गुमनाम क्यों है

शरीफों की तरह गर रहते सब इस मुल्क में
फिर औरतों की इज्जत होती नीलाम क्यों है

उसको जम्हूरियत ने बिठाया जब गद्दी पर
उसके फैसलों से फिर मचा कोहराम क्यों है

दफ्न कर दिया जब गुजरी जिंदगी को संजय
जुबां पर अक्सर आता उसका ही नाम क्यों है

©संजय श्रीवास्तव

#GateLight

10 Love

#nolove #Video #Like #Rel
#मानस #GateLight  वो मेरी रूह के आंगन में खेलता है 
सुना है
अपना नाम वो जख्म बतलाता है ।
रोज रात दीवार फ़ांद चला आता है 
बिना इज़ाजत लिए,
सुना है, 
दीवार के उस तरफ़ मुस्कुराता है वो 
बहुत बेशर्मी से...
वो मेरी रूह के आंगन में, मेरी जमीं 
को कूरेद जाता है, और 
वापस जाकर एक हजूम से कहता है 
मैं खेल आया उससे बड़ी बे़शर्मी से ।

#मानस ।।

रमेश राज सर की चंद 
पंक्तियों से प्रभावित इक नज़्म ...

©Manas Krishna

#GateLight

126 View

#शायरी

https://youtube.com/@gattubaba0?si=NUUlwaF6A1q0gC3h

162 View

गझल मंथन साहित्य संस्था, कोपरणा आयोजित 'एक दिवसीय मराठवाडा विभागीय गझल मुशायरा' अंबेजोगाई, जि. बीड येथे आयोजित संमेलनात सादर केलेली माझी एक गझल... दि.७ एप्रिल २०२४ गझल हवा कशाला एक शेर वा केवळ मतला... मांडत जाऊ गझलेमधुनी भाव आतला! गर्भ पाडता प्रमाण झाले कमी मुलींचे... चिंता आता यावी मुलगी घरी सातला! हिटलरशाही ज्यांनी केली झाली माती... नियतीही गाडत जाते जो उगा मातला! प्रत्येकाने जबाबदारीने वागावे... अखेर हिस्सा आहो आपण समाजातला! फंदफितुरी प्रथाच जाहली आहे हल्ली... नवखे नाही पहा दाखला पुराणातला! जयराम धोंगडे ©Jairam Dhongade

#मराठीशायरी #GateLight  गझल मंथन साहित्य संस्था, कोपरणा 
आयोजित 'एक दिवसीय मराठवाडा विभागीय गझल मुशायरा' अंबेजोगाई, जि. बीड येथे आयोजित संमेलनात 
सादर केलेली माझी एक गझल... 
दि.७ एप्रिल २०२४




गझल

हवा कशाला एक शेर वा केवळ मतला...
मांडत जाऊ गझलेमधुनी भाव आतला!

गर्भ पाडता प्रमाण झाले कमी मुलींचे...
चिंता आता यावी मुलगी घरी सातला!

हिटलरशाही ज्यांनी केली झाली माती...
नियतीही गाडत जाते जो उगा मातला!

प्रत्येकाने जबाबदारीने वागावे...
अखेर हिस्सा आहो आपण समाजातला!

फंदफितुरी प्रथाच जाहली आहे हल्ली...
नवखे नाही पहा दाखला पुराणातला!

जयराम धोंगडे

©Jairam Dhongade

#GateLight

12 Love

A Black shirt is hanging in the robe, The tired soul's lying on floor. The books are spilled with tea , With the cold body in couch's pit . The night is engulfing the gleam , The eyes are browsing the saddest dreams . The moon is drowning in the clouds All the senses are escaping to drowse.. ~bhakta ©BP Bagh

#GateLight #SAD  A Black  shirt is hanging in the  robe,
 The tired  soul's  lying on floor.

The books are spilled with tea ,
With the cold body in couch's pit .

The night is engulfing the gleam ,
The eyes are browsing the saddest dreams .

The moon is drowning in the clouds 
All the senses are  escaping  to drowse..





~bhakta

©BP Bagh

#GateLight

16 Love

शहर की आबोहवा इतनी बदनाम क्यों है रिश्तों में जहर की कड़वाहट आम क्यों है जी रहे है सभी अकेलेपन का बोझ लेकर सिमटकर हुआ आदमी अब गुमनाम क्यों है शरीफों की तरह गर रहते सब इस मुल्क में फिर औरतों की इज्जत होती नीलाम क्यों है उसको जम्हूरियत ने बिठाया जब गद्दी पर उसके फैसलों से फिर मचा कोहराम क्यों है दफ्न कर दिया जब गुजरी जिंदगी को संजय जुबां पर अक्सर आता उसका ही नाम क्यों है ©संजय श्रीवास्तव

#शायरी #GateLight  शहर की आबोहवा इतनी बदनाम क्यों है
रिश्तों में जहर की कड़वाहट आम क्यों है

जी रहे है सभी अकेलेपन का बोझ लेकर
सिमटकर हुआ आदमी अब गुमनाम क्यों है

शरीफों की तरह गर रहते सब इस मुल्क में
फिर औरतों की इज्जत होती नीलाम क्यों है

उसको जम्हूरियत ने बिठाया जब गद्दी पर
उसके फैसलों से फिर मचा कोहराम क्यों है

दफ्न कर दिया जब गुजरी जिंदगी को संजय
जुबां पर अक्सर आता उसका ही नाम क्यों है

©संजय श्रीवास्तव

#GateLight

10 Love

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