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#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

90 View

#election #car  White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार।
मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार।
केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार।
कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार।
अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार।

©Sapna Meena

#car चुनाव 2024 पर कविता

126 View

#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope
#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

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©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

441 View

#कविता #cg_forest  White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में

©श्यामजी शयमजी

#cg_forest कविता कविता

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#election #car  White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार।
मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार।
केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार।
कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार।
अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार।

©Sapna Meena

#car चुनाव 2024 पर कविता

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#मराठीशायरी #रानफुले #कविता  #रानफुले वेडी

©Dileep Bhope
#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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©Harsh Sharma

#कविता

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