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New शायरी जिन्दगी की Status, Photo, Video

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 White सब कुछ बताया जाए तो अच्छा रहेगा
 अब कुछ ना छुपाया जाए तो अच्छा रहेगा अदालत सजी है
 तेरे मोहल्ले में
 तो कोई गिला नहीं
 गवाह मेरे मोहल्ले से बुलाया जाए
 तो अच्छा रहेगा
 मुझ पर इल्जाम लगा है
 तेरी गली से गुजरने की
 रास्ता बाजार जाने का तेरा भी बताया जाए

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

171 View

 White प्यास बुझाने के बाद हमेशा 
खाली बोतल भी बोझ लगने लगती है
 बात गहरी है 
जरा समय निकाल कर सोचा

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

189 View

 White यू तो आदत नहीं मुझे
 मुड़कर देखने की
 तुझे देखा तो सोचो 
एक बार और देख लू

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

126 View

 White टाइम उनसे ही मांगो जो
 आपसे बात करके खुश हो 
उनसे नहीं
जो आपसे परेशान हो
क्योंकि आजकल लोग
 व्यस्त बहुत होते हैं

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

135 View

 White महत्वकांक्षाएं तुझें दूर ले जाएंगी सबसे
की इच्छाएं कब पूरी हुई हैं किसी की
'अंजान' जो एक आरजू दिल में
यहाँ तो खत्म ही नहीं होती जरूरत किसी   की।

©कवि: अंजान

#Night #लव #जिन्दगी #कविता #शायरी #Life #SAD #Poetry #Shayari

126 View

White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥ बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ, तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥ यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥ अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई, ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥ मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है, हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥ मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है, कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥ ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में, ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥ - मुनव्वर राना ©Saurav Kumar

#जिन्दगी #शायरी #एहसास #follow4follow #copyright  White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar
 White सब कुछ बताया जाए तो अच्छा रहेगा
 अब कुछ ना छुपाया जाए तो अच्छा रहेगा अदालत सजी है
 तेरे मोहल्ले में
 तो कोई गिला नहीं
 गवाह मेरे मोहल्ले से बुलाया जाए
 तो अच्छा रहेगा
 मुझ पर इल्जाम लगा है
 तेरी गली से गुजरने की
 रास्ता बाजार जाने का तेरा भी बताया जाए

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

171 View

 White प्यास बुझाने के बाद हमेशा 
खाली बोतल भी बोझ लगने लगती है
 बात गहरी है 
जरा समय निकाल कर सोचा

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

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 White यू तो आदत नहीं मुझे
 मुड़कर देखने की
 तुझे देखा तो सोचो 
एक बार और देख लू

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

126 View

 White टाइम उनसे ही मांगो जो
 आपसे बात करके खुश हो 
उनसे नहीं
जो आपसे परेशान हो
क्योंकि आजकल लोग
 व्यस्त बहुत होते हैं

©Arjit Singh

शायरों की शायरी

135 View

 White महत्वकांक्षाएं तुझें दूर ले जाएंगी सबसे
की इच्छाएं कब पूरी हुई हैं किसी की
'अंजान' जो एक आरजू दिल में
यहाँ तो खत्म ही नहीं होती जरूरत किसी   की।

©कवि: अंजान

#Night #लव #जिन्दगी #कविता #शायरी #Life #SAD #Poetry #Shayari

126 View

White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥ बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ, तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥ यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥ अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई, ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥ मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है, हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥ मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है, कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥ ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में, ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥ - मुनव्वर राना ©Saurav Kumar

#जिन्दगी #शायरी #एहसास #follow4follow #copyright  White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar
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