(क्या हुए)
वो दिल पे ज़ख्म खाने वाले क्या हुए ,, वो जान को लुटाने वाले क्या हुए ,, कहां गए वो रास्ते के पत्थर ,,वो ठोकरे खाने वाले ,,क्या हुए ।।
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क्या हुई वो बेहकती सांसे ,,वो धड़कने बढ़ाने वाले क्या हुए ,, कौन कहता था मेरी रगो में बसर करते हो तुम ,,वो खुद को चीर कर दिखाने वाले,, क्या हुए ।।
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गुम हो गई वो शोखरंग तितलियां,,वो गुलिस्तां उगाने वाले क्या हुए ,, कहां गई वो समंदर की मछलियां,,वो कश्तियां चलाने वाले ,,क्या हुए ।।
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क्या हुए वो चांद को चाहने वाले ,,हाल तारों को सुनाने वाले क्या हुए , कहां गए वो रात भर लिखने वाले ,, सुबह पन्नो को जलाने वाले ,,क्या हुए ।।
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कहां गई काफिलों से रौनक बहार की ,,खेल कटपुतलियों का दिखाने वाले क्या हुए ,,
वो कहते थे हर सफर में साथ होंगे हम ,, आरज़ू वस्ल की जगाने वाले ,,क्या हुए ।।
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बात बात पर बिगड़ जाते थे वो दोस्त मयखाने वाले मेरे ,,अब मैं अकेला ही यादों का सागर गले से उतारता हूं,,एक जाम फिर एक और जाम ,,फिर जाम पर जाम ,,मेरा हौसला बढ़ाने वाले ,,क्या हुए ।।
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©#शुन्य राणा
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