tags

New पुरुष पर कविता Status, Photo, Video

Find the latest Status about पुरुष पर कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about पुरुष पर कविता.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#पुरुष #शायरी  Village Life पुरुष जब किसी स्त्री को चाहता है तो उसका सर्वस्व चाहता है,
उसके दुःख, सुख, प्रेम, ईर्ष्या सब कुछ पर अपना पूर्ण अधिकार चाहता है, पुरुष अपनी प्रिय स्त्री के आंसुओ के एक बूंद को भी किसी के साथ साझा नही करना चाहता है। ❤️

©Andy Mann
#पुरुष #कविता
#विचार #HappyRoseDay  एक पुरुष समय के साथ ,
सबसे उम्मीदें रखना छोड़ देता है।
क्योंकि इस समाज ने उसे , 
कभी उम्मीदें रखने ही नहीं दी ।।

IG:- words_with_heart_

©Harish Labana

एक पुरुष । । #HappyRoseDay

135 View

सुनो! तुम पुरुष हो तुम्हारी तारीफ़ के लिए मैं किसी भौतिक वस्तु का सहारा नहीं लूंगी मैं नहीं कहूंगी तुम खूबसूरत हो मैं नहीं कहूंगी तुम्हारे माथे पर ये चांद सी बिंदी तुम्हारे कानों में वो गुंबदनुमा झुमके तुम्हारी घनी काली जुल्फों की छाया...!. तुम पुरुष हो तुम्हारे हाथों में चूड़ियां भी नहीं खनकतीं तुम्हारे पैरों ने पायल भी नहीं बजतीं न तुम्हारे पैरों की उंगलियों में सजती है कोई बिछिया मैं तुम्हारी तारीफ के लिए तुम्हारे बालों में किसी गजरे से लेकर पैरों के बिछिया तक का कोई सहारा नहीं ले पाऊंगी। मैं लिख भी नहीं सकूंगी कोई कविता गीत ग़ज़ल तुम्हारी तारीफ़ में। तुम पुरुष हो दुनियां की सारी भाषाओं के सारे अक्षर ढूंढ लिए तुम्हारी तारीफ़ के लिए कोई शब्द ही नहीं मिले लेकिन तुम जानते हो? तुम्हारी ’तारीफ़’ शब्दों से परे है कोई वर्णमाला तुम्हारी तारीफ़ नहीं कर पाएगी तुम समझ सको तो समझना सुन सको तो सुनना तुम्हारी तारीफ़ में कहे जाने वाले मेरे अनकहे शब्द जब भी मैं प्रेम से निहरूंगी तुम्हें क्यों कि तुम पुरुष हो और मैं 'नि:शब्द' हूं तुम्हारे लिए तुम्हारी तारीफ़ में हे मेरे प्रिय पुरुष! ©पूर्वार्थ

#पुरुष  सुनो!
तुम पुरुष हो
तुम्हारी तारीफ़ के लिए मैं 
किसी भौतिक वस्तु का सहारा नहीं लूंगी
मैं नहीं कहूंगी 
तुम खूबसूरत हो
मैं नहीं कहूंगी
तुम्हारे माथे पर ये चांद सी बिंदी
तुम्हारे कानों में वो गुंबदनुमा झुमके
तुम्हारी घनी काली जुल्फों की छाया...!.

तुम पुरुष हो
तुम्हारे हाथों में चूड़ियां भी नहीं खनकतीं
तुम्हारे पैरों ने पायल भी नहीं बजतीं
न तुम्हारे पैरों की उंगलियों में सजती है 
कोई बिछिया
मैं तुम्हारी तारीफ के लिए
तुम्हारे बालों में किसी गजरे से लेकर 
पैरों के बिछिया तक का कोई सहारा नहीं ले पाऊंगी।
मैं लिख भी नहीं सकूंगी कोई कविता गीत ग़ज़ल 
तुम्हारी तारीफ़ में।

तुम पुरुष हो
दुनियां की सारी भाषाओं के 
सारे अक्षर ढूंढ लिए
तुम्हारी तारीफ़ के लिए कोई शब्द ही नहीं मिले

लेकिन तुम जानते हो?
तुम्हारी ’तारीफ़’ शब्दों से परे है
कोई वर्णमाला तुम्हारी तारीफ़ नहीं कर पाएगी
तुम समझ सको तो समझना
सुन सको तो सुनना
तुम्हारी तारीफ़ में कहे जाने वाले
मेरे अनकहे शब्द
जब भी मैं प्रेम से निहरूंगी तुम्हें
क्यों कि
तुम पुरुष हो
और
मैं 'नि:शब्द' हूं
तुम्हारे लिए तुम्हारी तारीफ़ में
हे मेरे प्रिय पुरुष!

©पूर्वार्थ
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

पुरुष नही समझता स्त्री की भावनाओं को, स्त्री के कोमल मन को, पुरुष केवल समझता है स्त्री की देह को..! रंग_रूप, कद_काठी चाल_ढाल वो पैमाने हैं जिसके आधार पर एक पुरुष आंकता है स्त्री को...!!! ©Poonam

#स्त्री #nojotohindiquotes #पुरुष #विचार #nojotohindi  पुरुष नही समझता
स्त्री की भावनाओं को,
स्त्री के कोमल मन को,
पुरुष केवल समझता है
स्त्री की देह को..!

रंग_रूप, कद_काठी
चाल_ढाल वो पैमाने हैं
जिसके आधार पर
एक पुरुष आंकता है स्त्री को...!!!

©Poonam
#पुरुष #शायरी  Village Life पुरुष जब किसी स्त्री को चाहता है तो उसका सर्वस्व चाहता है,
उसके दुःख, सुख, प्रेम, ईर्ष्या सब कुछ पर अपना पूर्ण अधिकार चाहता है, पुरुष अपनी प्रिय स्त्री के आंसुओ के एक बूंद को भी किसी के साथ साझा नही करना चाहता है। ❤️

©Andy Mann
#पुरुष #कविता
#विचार #HappyRoseDay  एक पुरुष समय के साथ ,
सबसे उम्मीदें रखना छोड़ देता है।
क्योंकि इस समाज ने उसे , 
कभी उम्मीदें रखने ही नहीं दी ।।

IG:- words_with_heart_

©Harish Labana

एक पुरुष । । #HappyRoseDay

135 View

सुनो! तुम पुरुष हो तुम्हारी तारीफ़ के लिए मैं किसी भौतिक वस्तु का सहारा नहीं लूंगी मैं नहीं कहूंगी तुम खूबसूरत हो मैं नहीं कहूंगी तुम्हारे माथे पर ये चांद सी बिंदी तुम्हारे कानों में वो गुंबदनुमा झुमके तुम्हारी घनी काली जुल्फों की छाया...!. तुम पुरुष हो तुम्हारे हाथों में चूड़ियां भी नहीं खनकतीं तुम्हारे पैरों ने पायल भी नहीं बजतीं न तुम्हारे पैरों की उंगलियों में सजती है कोई बिछिया मैं तुम्हारी तारीफ के लिए तुम्हारे बालों में किसी गजरे से लेकर पैरों के बिछिया तक का कोई सहारा नहीं ले पाऊंगी। मैं लिख भी नहीं सकूंगी कोई कविता गीत ग़ज़ल तुम्हारी तारीफ़ में। तुम पुरुष हो दुनियां की सारी भाषाओं के सारे अक्षर ढूंढ लिए तुम्हारी तारीफ़ के लिए कोई शब्द ही नहीं मिले लेकिन तुम जानते हो? तुम्हारी ’तारीफ़’ शब्दों से परे है कोई वर्णमाला तुम्हारी तारीफ़ नहीं कर पाएगी तुम समझ सको तो समझना सुन सको तो सुनना तुम्हारी तारीफ़ में कहे जाने वाले मेरे अनकहे शब्द जब भी मैं प्रेम से निहरूंगी तुम्हें क्यों कि तुम पुरुष हो और मैं 'नि:शब्द' हूं तुम्हारे लिए तुम्हारी तारीफ़ में हे मेरे प्रिय पुरुष! ©पूर्वार्थ

#पुरुष  सुनो!
तुम पुरुष हो
तुम्हारी तारीफ़ के लिए मैं 
किसी भौतिक वस्तु का सहारा नहीं लूंगी
मैं नहीं कहूंगी 
तुम खूबसूरत हो
मैं नहीं कहूंगी
तुम्हारे माथे पर ये चांद सी बिंदी
तुम्हारे कानों में वो गुंबदनुमा झुमके
तुम्हारी घनी काली जुल्फों की छाया...!.

तुम पुरुष हो
तुम्हारे हाथों में चूड़ियां भी नहीं खनकतीं
तुम्हारे पैरों ने पायल भी नहीं बजतीं
न तुम्हारे पैरों की उंगलियों में सजती है 
कोई बिछिया
मैं तुम्हारी तारीफ के लिए
तुम्हारे बालों में किसी गजरे से लेकर 
पैरों के बिछिया तक का कोई सहारा नहीं ले पाऊंगी।
मैं लिख भी नहीं सकूंगी कोई कविता गीत ग़ज़ल 
तुम्हारी तारीफ़ में।

तुम पुरुष हो
दुनियां की सारी भाषाओं के 
सारे अक्षर ढूंढ लिए
तुम्हारी तारीफ़ के लिए कोई शब्द ही नहीं मिले

लेकिन तुम जानते हो?
तुम्हारी ’तारीफ़’ शब्दों से परे है
कोई वर्णमाला तुम्हारी तारीफ़ नहीं कर पाएगी
तुम समझ सको तो समझना
सुन सको तो सुनना
तुम्हारी तारीफ़ में कहे जाने वाले
मेरे अनकहे शब्द
जब भी मैं प्रेम से निहरूंगी तुम्हें
क्यों कि
तुम पुरुष हो
और
मैं 'नि:शब्द' हूं
तुम्हारे लिए तुम्हारी तारीफ़ में
हे मेरे प्रिय पुरुष!

©पूर्वार्थ
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

पुरुष नही समझता स्त्री की भावनाओं को, स्त्री के कोमल मन को, पुरुष केवल समझता है स्त्री की देह को..! रंग_रूप, कद_काठी चाल_ढाल वो पैमाने हैं जिसके आधार पर एक पुरुष आंकता है स्त्री को...!!! ©Poonam

#स्त्री #nojotohindiquotes #पुरुष #विचार #nojotohindi  पुरुष नही समझता
स्त्री की भावनाओं को,
स्त्री के कोमल मन को,
पुरुष केवल समझता है
स्त्री की देह को..!

रंग_रूप, कद_काठी
चाल_ढाल वो पैमाने हैं
जिसके आधार पर
एक पुरुष आंकता है स्त्री को...!!!

©Poonam
Trending Topic