मेरे ऑफिस की वो लड़की
उसकी हँसती आँखों में, सारी खुशियाँ दिख जाती है,
मेरे ऑफिस की वो लड़की, याद बहुत अब आती है।
अपने मैडम की इज्जत वो हद से ज्यादा करती है,
पर सच्ची बातों की खातिर, मैडम से भी लड़ती है।
कल क्या होगा जाने कौन, अच्छा समय है सबको भाता ,
जिस दिन वो ऑफिस आ जाये, मेरा दिन अच्छा हो जाता।
ऑफिस का काम हमेशा वो, घर से भीं कर जाती है,
अच्छी सुन्दर बातें करती, मन को वो हर्षाती है,
मेरे ऑफिस की वो लड़की, याद बहुत अब आती है।
तन रम्भा, मन सरस्वती है, मनमोहक नवयौवन है,
पहाड़ी नदी सी वो चलती, गजगामीनी चंचल मन है।
सबके मन की भाषा समझे, अपनी बात छिपाती है।
मेरे ऑफिस की वो लड़की याद बहुत अब आती है,
पुष्प, धुप और दीप सजी, वो पूजा की एक थाली है,
इससे ज्यादा क्या और बताऊं, नाम उसका दीपाली है।
नहीं किसी को ऊँचा बोले सदा हँसती-खिलखिलाती है।
मन की बात न बोले हमसे, जाने क्यों शर्माती है,
मेरे ऑफिस की वो लड़की याद बहुत अब आती है।।
मन की कलम से....................
जन्म दिन की अशेष शुभकामनाओं के साथ 💐💐
©Ganesh Kumar Verma
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