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New हृदय आदित्य स्त्रोत Status, Photo, Video

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#भक्ति

आशुतोष राणा की हिंदी अनुवादित शिव तांडव स्त्रोत

252 View

 कल्पना की ताक़त

#mothernature #विचार #मोटिवेशनल #हृदय #thought #love #motivation

108 View

#हृदय  हृदय जब भटका
तो वह एक शख्स पर अटका
जैसे बरसों से था वह इसके लिए भटका
खुद को तो निकलती
लेकिन कैसे  
 इस हृदय को मैं संभालती
मैं रहने दिया
उसे बहने दिया
उसे उसकी राहों पर छोड़ दिया
उसे एक नया मोड़ दिया
वह अकेला नहीं
 मैं उसके लिए हर क्षण यहीं
वह थमे न
प्रेम बिखेरे प्रेमियों सा
वह महके 
वह चमके
वह तो सब जानता है 
फिर भी मुझे मानता है ।

©Bhanu Priya

#हृदय @03e3628cad924469474/r-ojha" title="R. Ojha">@R. Ojha @Andy Mann @051df4c36a4@0b8ec6f8@02d73b1ae/sethi-ji" title="Sethi Ji">@Sethi Ji @0 Ak.writer_2.@0

513 View

#परमात्मा #विचार  परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं,लेकिन अंहकार बर्फ की सतह आवरण बनकर खड़ा है,इस आवरण के भंग होते ही पता चलता हैं कि मैं और परमात्मा कभी दो न थे कभी अलग न थे।

©Health Is Wealth DK

##परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं####

117 View

#ज़िन्दगी

आदित्य के साथ सुनिए "कभी हार रहा हूँ"

99 View

#कविता  एक पुरुष  कविता के लिए
कलम बन सकता हैँ  पर
कवि तभी बन पायेगा
ज़ब पुरुष रूपेण कठोरता को. वो छोड़ कर इस्त्रेण संवेदनशिलता से जुड़ जाएगा

क्योंकि  पुरुष कवि को भावनाओ और जज्बातो का
स्त्रोत  तो वही से उपलब्ध हो सकता हैँ

©Arora PR

स्त्रोत

135 View

#भक्ति

आशुतोष राणा की हिंदी अनुवादित शिव तांडव स्त्रोत

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 कल्पना की ताक़त

#mothernature #विचार #मोटिवेशनल #हृदय #thought #love #motivation

108 View

#हृदय  हृदय जब भटका
तो वह एक शख्स पर अटका
जैसे बरसों से था वह इसके लिए भटका
खुद को तो निकलती
लेकिन कैसे  
 इस हृदय को मैं संभालती
मैं रहने दिया
उसे बहने दिया
उसे उसकी राहों पर छोड़ दिया
उसे एक नया मोड़ दिया
वह अकेला नहीं
 मैं उसके लिए हर क्षण यहीं
वह थमे न
प्रेम बिखेरे प्रेमियों सा
वह महके 
वह चमके
वह तो सब जानता है 
फिर भी मुझे मानता है ।

©Bhanu Priya

#हृदय @03e3628cad924469474/r-ojha" title="R. Ojha">@R. Ojha @Andy Mann @051df4c36a4@0b8ec6f8@02d73b1ae/sethi-ji" title="Sethi Ji">@Sethi Ji @0 Ak.writer_2.@0

513 View

#परमात्मा #विचार  परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं,लेकिन अंहकार बर्फ की सतह आवरण बनकर खड़ा है,इस आवरण के भंग होते ही पता चलता हैं कि मैं और परमात्मा कभी दो न थे कभी अलग न थे।

©Health Is Wealth DK

##परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं####

117 View

#ज़िन्दगी

आदित्य के साथ सुनिए "कभी हार रहा हूँ"

99 View

#कविता  एक पुरुष  कविता के लिए
कलम बन सकता हैँ  पर
कवि तभी बन पायेगा
ज़ब पुरुष रूपेण कठोरता को. वो छोड़ कर इस्त्रेण संवेदनशिलता से जुड़ जाएगा

क्योंकि  पुरुष कवि को भावनाओ और जज्बातो का
स्त्रोत  तो वही से उपलब्ध हो सकता हैँ

©Arora PR

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