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White शान्त बैठा है सुलगता मन, चाँदनी से भर गया आँगन, दर्द से राहत मिली मन को, कोई आकर मल गया चंदन, जब उगा दिनमान के जैसा, रौशनी से भर गया प्रांगण, चमकता नभ में सितारों सा, बहारें करती चरण वंदन, गर्व करता राष्ट्र का गौरव, है तुम्हारा सतत अभिनंदन, ज्ञान है अनमोल जीवन में, नमक बिन फीका है व्यंजन, खिल गई है कली बगिया में, भ्रमर का मनुहार है 'गुंजन', --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ•प्र• ©Shashi Bhushan Mishra

#चाँदनी #कविता  White शान्त बैठा है  सुलगता  मन, 
चाँदनी से  भर गया  आँगन, 

दर्द  से  राहत मिली मन को, 
कोई आकर मल गया चंदन, 

जब उगा  दिनमान के जैसा, 
रौशनी  से  भर  गया प्रांगण,

चमकता नभ में सितारों सा, 
बहारें   करती  चरण  वंदन,

गर्व  करता  राष्ट्र  का गौरव, 
है तुम्हारा सतत अभिनंदन,

ज्ञान  है  अनमोल जीवन में, 
नमक बिन फीका है व्यंजन,

खिल गई है कली बगिया में,
भ्रमर  का  मनुहार है 'गुंजन',
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra

#चाँदनी से भर गया आँगन#

15 Love

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

441 View

 Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही,
चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी,
हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर,
 ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी
🙂

©Shahid0007

#कविता

108 View

#कविता

14,247 View

White शान्त बैठा है सुलगता मन, चाँदनी से भर गया आँगन, दर्द से राहत मिली मन को, कोई आकर मल गया चंदन, जब उगा दिनमान के जैसा, रौशनी से भर गया प्रांगण, चमकता नभ में सितारों सा, बहारें करती चरण वंदन, गर्व करता राष्ट्र का गौरव, है तुम्हारा सतत अभिनंदन, ज्ञान है अनमोल जीवन में, नमक बिन फीका है व्यंजन, खिल गई है कली बगिया में, भ्रमर का मनुहार है 'गुंजन', --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ•प्र• ©Shashi Bhushan Mishra

#चाँदनी #कविता  White शान्त बैठा है  सुलगता  मन, 
चाँदनी से  भर गया  आँगन, 

दर्द  से  राहत मिली मन को, 
कोई आकर मल गया चंदन, 

जब उगा  दिनमान के जैसा, 
रौशनी  से  भर  गया प्रांगण,

चमकता नभ में सितारों सा, 
बहारें   करती  चरण  वंदन,

गर्व  करता  राष्ट्र  का गौरव, 
है तुम्हारा सतत अभिनंदन,

ज्ञान  है  अनमोल जीवन में, 
नमक बिन फीका है व्यंजन,

खिल गई है कली बगिया में,
भ्रमर  का  मनुहार है 'गुंजन',
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra

#चाँदनी से भर गया आँगन#

15 Love

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

441 View

 Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही,
चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी,
हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर,
 ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी
🙂

©Shahid0007

#कविता

108 View

#कविता

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