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#कविता #तेरे #छाया #आंचल #मां #की  White ओ मां तेरे आंचल की छाया, मेरे सिर पे हमेशा तुम रखना।
तुझसे है ये जीवन मां मेरा, बिन तेरे ये जीवन कुछ भी न।।

©दूध नाथ वरुण
#कविता #nojotohindi #Hope  White पल्लव की डायरी
परिंदो के ठिकाने और घोसले
रोड और विकास लील गया
छाया और सुस्ताने की जगह नही
बेचारो का दाना गायब हो गया
लुप्पत हो गयी कई प्रजातियां
मानव इनका दुश्मन बन गया
अट्टालिका पर बैठे पक्षियों का आगमन होता
तालमेल मानव से होता था
अब सिर्फ खम्बे टावर पर सुस्ताते है
धूप बरसात की भेंट चढ़कर
अपनी जान रोज गवाते है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Hope छाया और सुस्ताने की जगह नही #nojotohindi

153 View

#वृक्ष #विचार  हमारी राह मे बाधा कोई दुसरा नही बनता
हम खुद अपने आप बनते है,
हम हि जिम्मेदार होते है अपनी कमियो के
आलस ,क्रोध,काम की वासना,
किसी दुसरे कि प्रगती से 
सीखने कि बजाय  चिड़ना..
यहि वो कारण होते है जो 
हमारे लक्ष मे बाधा बनते है
अत हमे व्रक्ष कि भाती फल भी देने है छाया भी और आवश्यकता पढ़ने पर लकड़ी भी..!!

©SHI.V.A 369

#वृक्ष की छाया

90 View

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

#MereKhayal #CTET

#CTET प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक #MereKhayal

108 View

#loveshayari  "सुमित" उसके जहन में छाया रहा ,
अपनी इश्क को खोने वाला वो शख्स 
तन्हा तारो की छाव में असमान की बाहों में ,
सनम की निगाहों में सहेजी हुई स्मृति में यूंही
एकाकी तकता रहा ,,
अपनी सजोई स्मृति को
 उस साय से बाट ता रहा
 यूंही तन्हा उम्र कटता रहा ,
रात भर इक चांद का साया रहा 
सुमित" उसके जहन में छाया रहा ।।

©Sumit shukla Ss

रात भर इक चांद का साया रहा सुमित" उसके जहन में छाया रहा ।।

108 View

#कविता #तेरे #छाया #आंचल #मां #की  White ओ मां तेरे आंचल की छाया, मेरे सिर पे हमेशा तुम रखना।
तुझसे है ये जीवन मां मेरा, बिन तेरे ये जीवन कुछ भी न।।

©दूध नाथ वरुण
#कविता #nojotohindi #Hope  White पल्लव की डायरी
परिंदो के ठिकाने और घोसले
रोड और विकास लील गया
छाया और सुस्ताने की जगह नही
बेचारो का दाना गायब हो गया
लुप्पत हो गयी कई प्रजातियां
मानव इनका दुश्मन बन गया
अट्टालिका पर बैठे पक्षियों का आगमन होता
तालमेल मानव से होता था
अब सिर्फ खम्बे टावर पर सुस्ताते है
धूप बरसात की भेंट चढ़कर
अपनी जान रोज गवाते है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Hope छाया और सुस्ताने की जगह नही #nojotohindi

153 View

#वृक्ष #विचार  हमारी राह मे बाधा कोई दुसरा नही बनता
हम खुद अपने आप बनते है,
हम हि जिम्मेदार होते है अपनी कमियो के
आलस ,क्रोध,काम की वासना,
किसी दुसरे कि प्रगती से 
सीखने कि बजाय  चिड़ना..
यहि वो कारण होते है जो 
हमारे लक्ष मे बाधा बनते है
अत हमे व्रक्ष कि भाती फल भी देने है छाया भी और आवश्यकता पढ़ने पर लकड़ी भी..!!

©SHI.V.A 369

#वृक्ष की छाया

90 View

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

#MereKhayal #CTET

#CTET प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक #MereKhayal

108 View

#loveshayari  "सुमित" उसके जहन में छाया रहा ,
अपनी इश्क को खोने वाला वो शख्स 
तन्हा तारो की छाव में असमान की बाहों में ,
सनम की निगाहों में सहेजी हुई स्मृति में यूंही
एकाकी तकता रहा ,,
अपनी सजोई स्मृति को
 उस साय से बाट ता रहा
 यूंही तन्हा उम्र कटता रहा ,
रात भर इक चांद का साया रहा 
सुमित" उसके जहन में छाया रहा ।।

©Sumit shukla Ss

रात भर इक चांद का साया रहा सुमित" उसके जहन में छाया रहा ।।

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