बोल गर्मी बोल
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बोल गर्मी बोल तुम्हारा क्या हाल है,
आदमी के कारण आदमी हो रहा बेहाल है।
पशु,पक्षी,इंसान सब छोड़ रहा संसार है।।
बोल गर्मी बोल तुम्हारा क्या हाल है,
जल रही धरती जल रहा पाताल है।
तुम्हारी शक्ति भी कमाल है।।
बोल गर्मी बोल तुम्हारा क्या हाल है,
तुम्हारे सामने AC. कूलर सब बेकार है।
खाली सड़क , खाली सब बाजार है।।
बोल गर्मी बोल तुम्हारा क्या हाल है,
समंदर , नदी झरना सब हुआ बेकार है।
बहती थी ठ़ंढ़ हवा,लाचार हुआ बयार है।।
बोल गर्मी बोल तुम्हारा क्या हाल है,
पेंड़-पौधा का हत्यारा कर रहा व्यापार है।
बेशर्म इंसान मानता नहीं हार है।।
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प्रमोद मालाकार
©pramod malakar
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