मैं कुछ कर ना सका
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मैं कुछ कर ना सका,
सीढ़ी बनी है मगर मैं चढ़ ना सका।
आगे चलूं या पिछे,
उपर चढ़ूं या निचे।
समय साथ है पर किस्मत नहीं,
मैं भाग्यशाली हूं बदकिस्मत नहीं।
इश्वर को भी मूझ पर विश्वास है,
स्वर्ग चल रहा मेरे साथ है।
तमन्ना तो बहुत है जिंदगी में,
तूफान भी बहुत है संजीदगी में।
रफ़्तार धिमी है पर सुरक्षित है,
नर्क में नहीं स्वर्ग में सीट आरक्षित है।
नहीं किसी से नफ़रत नहीं किसी से दोस्ती,
नहीं किसी से डर नहीं कोई फिरौती।
किसी के राह पर मैं चल ना सका,
सीढ़ी बनी है मगर मैं चढ़ ना सका।
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प्रमोद मालाकार
©pramod malakar
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