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New ब्रिगेडियर सूर्यदेव Status, Photo, Video

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#Bhakti  Happy Sunday Good Morning
जय सूर्यदेव

सूर्यदेव की कृपा से आपका दिन शुभ हो

©meenakshi kanwar

जय सूर्यदेव

99 View

White दोहा :- मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत । साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।। सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज । भाग रहे शीतल जगह , छोड़ आज सब काज ।। वादा करते आपसे , अभी न छोड़ूँ हाथ । जीवन भर बस प्यार से , रखना हमको साथ ।। जीवन साथी संग में , उठा रहे आनंद । दुआ यही करता प्रखर , कभी न हो ये मंद ।। वर्षगाँठ शुभकामना , करें आप स्वीकार । जीवन भर मिलता रहे , साथी से यूँ प्यार ।। आगे जीवन में यही , करे खड़ी दीवार । बात-बात पर तुम कहीं , अगर करो तकरार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :-

मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत ।
साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।।

सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।
भाग रहे शीतल जगह , छोड़ आज सब काज ।।

वादा करते आपसे , अभी न छोड़ूँ हाथ ।
जीवन भर बस प्यार से , रखना हमको साथ ।।

जीवन साथी संग में , उठा रहे आनंद ।
दुआ यही करता प्रखर , कभी न हो ये मंद ।।

वर्षगाँठ शुभकामना , करें आप स्वीकार ।
जीवन भर मिलता रहे , साथी से यूँ प्यार ।।

आगे जीवन में यही , करे खड़ी दीवार ।
बात-बात पर तुम कहीं , अगर करो तकरार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत । साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।। सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।

14 Love

सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।। लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का । करना क्या है आज ,  पहाड़ो औ झरनों का ।। महल बने फिर चार ,  वृक्ष हो बिल्कुल छोटे । गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।। हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी । फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सोरठा :-
सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।
नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का ।
करना क्या है आज ,  पहाड़ो औ झरनों का ।।

महल बने फिर चार ,  वृक्ष हो बिल्कुल छोटे ।
गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।।

हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी ।
फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

11 Love

#Bhakti  Happy Sunday Good Morning
जय सूर्यदेव

सूर्यदेव की कृपा से आपका दिन शुभ हो

©meenakshi kanwar

जय सूर्यदेव

99 View

White दोहा :- मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत । साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।। सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज । भाग रहे शीतल जगह , छोड़ आज सब काज ।। वादा करते आपसे , अभी न छोड़ूँ हाथ । जीवन भर बस प्यार से , रखना हमको साथ ।। जीवन साथी संग में , उठा रहे आनंद । दुआ यही करता प्रखर , कभी न हो ये मंद ।। वर्षगाँठ शुभकामना , करें आप स्वीकार । जीवन भर मिलता रहे , साथी से यूँ प्यार ।। आगे जीवन में यही , करे खड़ी दीवार । बात-बात पर तुम कहीं , अगर करो तकरार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :-

मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत ।
साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।।

सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।
भाग रहे शीतल जगह , छोड़ आज सब काज ।।

वादा करते आपसे , अभी न छोड़ूँ हाथ ।
जीवन भर बस प्यार से , रखना हमको साथ ।।

जीवन साथी संग में , उठा रहे आनंद ।
दुआ यही करता प्रखर , कभी न हो ये मंद ।।

वर्षगाँठ शुभकामना , करें आप स्वीकार ।
जीवन भर मिलता रहे , साथी से यूँ प्यार ।।

आगे जीवन में यही , करे खड़ी दीवार ।
बात-बात पर तुम कहीं , अगर करो तकरार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत । साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।। सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।

14 Love

सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।। लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का । करना क्या है आज ,  पहाड़ो औ झरनों का ।। महल बने फिर चार ,  वृक्ष हो बिल्कुल छोटे । गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।। हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी । फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  सोरठा :-
सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।
नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का ।
करना क्या है आज ,  पहाड़ो औ झरनों का ।।

महल बने फिर चार ,  वृक्ष हो बिल्कुल छोटे ।
गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।।

हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी ।
फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

11 Love

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